वैसे तो पौधों में कई तरह की बीमारियां देखी जाती हैं जिसमें से एक है पाउडरी मिल्ड्यू (Powdery Mildew). किसानों के फसलों में जैसे ही यह फफूंद दस्तक देती है वैसे ही पौधा खत्म होना शुरू हो जाता है लेकिन अब इससे किसानों को इससे डरने की जरुरत नहीं है.
क्या है पाउडरी मिल्ड्यू (What is Powdery Mildew)
पाउड्री मिल्ड्यू मटर (Pea) में उगाई जाने वाली एक गंभीर बीमारी है. जो पौधे संक्रमित होते हैं वो सफेद पाउडर से ढके होते हैं और गंभीर रूप से संक्रमित पत्ते नीले-सफेद रंग के हो जाते हैं. जिसके परिणामस्वरूप पूरा पौधा मुरझा सकता है. यही नहीं, ये फफूंद मटर के अलावा और भी फसलों में लगता है.
हिमाचल प्रदेश के किसान है परेशान (Farmers of Himachal Pradesh are worried)
बता दें कि हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में मटर (Peas) की सबसे ज्यादा खेती होती है और इस बीमारी से वो काफी परेशान रहते है. लेकिन अब ऐसे ठंडे इलाकों में मटर की बुवाई कर रहे किसानों के लिए राहत भरी खबर आयी है.
अब उनकी फसल इस फफूंदी से उत्पन्न होने वाले कवक से खराब नहीं होगी. दरअसल, कृषि विश्वविद्यालय के प्लांट पैथोलॉजी विभाग (Department of Plant Pathology of Agricultural University) ने इसके लिए रोग प्रतिरोधी बीज तैयार किया है.
गुणवत्ता मटर के लिए है प्रसिद्ध (Famous for quality peas)
लाहौल क्षेत्र (Lahaul Region) गुणवत्तापूर्ण मटर (High quality peas) के उत्पादन के लिए जाना जाता है. यहां से हर साल करोड़ों रुपये के मटर देश के दूसरे राज्यों में भेजे जाते हैं. लेकिन हर साल यहां के मटर की फसलों को यह पाउडर फफूंदी ख़राब कर देती है जिससे उत्पादन में कमी तो आती ही है साथ ही किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है.
क्यों और कब लगता है यह रोग (Why and when does this disease occur?)
देश के कृषि वैज्ञानिकों ने लाहौल में मटर की फसल का अध्ययन करने के बाद पाया कि मटर के खेतों में पाउडर फफूंदी कहां से प्रवेश करती है और क्यों मटर की फसल को ही बर्बाद कर देती है.
कृषि विश्वविद्यालय, पालमपुर के कुलपति डॉ. एच.के. चौधरी और डॉ. अमर सिंह कपूर (The Vice Chancellor of Agricultural University, Palampur, Dr. H.K. Chaudhary and Dr. Amar Singh Kapoor) ने पाया कि लाहौल में मटर तैयार होने के कुछ दिन पहले ही फसल पर काले धब्बे दिखने लगते हैं. इतना ही नहीं, मटर की 25 से 40 प्रतिशत फसल इस रोग से प्रभावित होती है.
वैज्ञानिकों की टीम अध्ययन के बाद इस नतीजे पर पहुंची कि फरवरी-मार्च में पाउडर फफूंदी फिर से सक्रिय हो जाती है और मटर की फसल को नष्ट करना शुरू कर देती है.
पाउडरी मिल्ड्यू का रोकथाम (Powdery Mildew Prevention)
कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों (Agricultural University Scientists) ने मटर के पाउडर फफूंदीनाशक बीज को विकसित करने के साथ-साथ इसकी दवा भी विकसित की है.
प्लांट पैथोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. डीके बन्याल ने कहा कि वैज्ञानिकों ने पाउडर फफूंदी के फैलने के कारणों का पता लगाने के बाद रोग प्रतिरोधी मटर के बीज विकसित किए हैं. यह निःसंकोच किसानों के लिए बड़ी राहत की खबर है, जिससे अब किसानों को अपनी फसलों की आय में नुकसान का सामना नहीं करना पड़ेगा.
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