मक्का हमारे देश की प्रमुख फसलों में से एक है. बड़े पैमाने पर इसकी खेती भारत के कई हिस्सों में की जाती है. किसान जहां इसकी व्यापक रूप से खेती करते हैं, वहीं इसमें लगने वाले कई तरह के रोग और कीटों से भी परेशान रहते हैं. उन्हें अपनी फसल का ज़्यादा ध्यान रखने की जरूरत होती है, खासकर फाल आर्मी वर्म से.
ऐसा इसलिए क्योंकि ये कीट झुंड में फसल पर हमला करते हैं और इस तरह कुछ ही समय में ये पूरी मक्का की फसल (maize crop) को नष्ट कर सकते हैं. मौसम के मुताबिक ही इस कीट की कई पीढ़ियां आपको मिलेंगी.
आपको बता दें कि मादा कीट अपने जीवन काल में लगभग एक से दो हजार अंडे दे सकती है. गर्मी के मौसम में फाल आर्मी वर्म (fall army worm) का जीवन चक्र लगभग 30 दिन ( एक महीना) का होता है.
वहीं बसंत एवं शरद ऋतु में इस कीट का जीवन काल (Life cycle of worm) 60 दिन, यानी दो महीने का हो जाता है. अब अगर शीतकाल की बात करें तो वहीं इसका जीवन काल बढ़कर 80-90 दिनों का हो जाता है.
मक्का फसल का बचाव (maize protection )
विशेषज्ञों की मानें तो इस कीट से फसल को शुरुआती अवस्था में ही बचाना चाहिए. इसके लिए 200 एमएल प्रति एकड़ नीम का तेल (neem oil) स्प्रे कर सकते हैं.
वहीं कीट के बड़े होने की अवस्था में, जब कीट मक्का फसल को पूरी तरह अपनी चपेट में ले लेता है, किसान एम्पलिगो स्प्रे करें. किसान इसे 80 एमएल डेढ़ लीटर पानी में मिला कर ढाई एकड़ में स्प्रे करें.
ठीक इसी तरह, एमिमामेक्टिन बेंजोएट पांच एसजी का 200 ग्राम प्रति हेक्टेयर में 15-20 दिन के अंतराल पर 2-3 बार छिड़काव करें. इसका पहला छिड़काव बुवाई के 15 दिन बाद जरूर करें.
80 से ज़्यादा तरह की फसलों पर फाल आर्मी वर्म का प्रकोप (Fall army worm outbreak on more than 80 types of crops)
वैसे तो यह फाल आर्मी वर्म बहुभक्षी कीट है, जो 80 से भी ज़्यादा प्रकार की फसलों पर अपना प्रकोप दिखाता है. वहीं अगर मक्का की बात करें तो यह इस कीट की सबसे पसंदीदा फसल है.
ऐसे में किसानों को अपनी मक्के की फसल को इससे बचाने के लिए विशेष ध्यान देने की जरूरत है जिससे उन्हें उत्पादन में किसी तरह की कमी न आए.
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