खीरे की खेती सुनने में जितनी आम लगती है उतनी ही वो मुनाफा कमा कर देती है. खीरे की खेती (Cucumber Farming) ज्यादातर दोहरे उद्देश्यों के लिए की जाती है. पहला सब्जी के रूप में और दूसरा सलाद के रूप में. इसकी रोजमर्रे की खपत के चलते बहुत से किसानों ने इसकी कमर्शियल खेती (Commercial Farming) करना शुरू कर दी है. ऐसे में आज हम आपको इसकी बेहतरीन खेती के साथ खीरे की लेटेस्ट किस्मों (Cucumber Latest Varieties) के बारे में बात करेंगे जिसको उगाने के बाद आपके घर पैसा ही पैसा बरसेगा.
भारत में खीरे की खेती (Cucumber Cultivation in India)
जलवायु (Climate)
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Kheere ki Kheti के लिए आवश्यक तापमान 25 से 35 सेल्सियस के बीच होना चाहिए, औसत वर्षा 20 से 30 सेमी के बीच होनी चाहिए
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यह उच्च तापमान, आर्द्रता और प्रकाश की तीव्रता की परिस्थितियों में सबसे अच्छा बढ़ता है.
मिट्टी (Soil)
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खीरा रेतीली दोमट मिट्टी (Sandy Loam Soil) में सबसे अच्छी उपज देता है. इसकी फसल में पीएच 0 से 7.0 के बीच ही होना चाहिए.
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दोमट मिट्टी जो कार्बनिक पदार्थों से भरपूर होती है और जिसमें जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होती है वो खीरे की खेती के लिए सबसे अच्छी होती है.
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इसके अलावा खीरा जलोढ़ मिट्टी (Alluvium Soil) पर उगाया जा सकता है.
खीरे की खेती का समय (Cucumber Cultivation Time or Season)
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खरीफ (Kharif): बुवाई जून से शुरू होकर जुलाई तक चलती है.
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जायद (Zaid): बुवाई मार्च से शुरू होकर जून में समाप्त होती है.
भूमि की तैयारी (Land Preparation)
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खीरे के रोपण के लिए अच्छी तरह से तैयार और खरपतवार मुक्त क्षेत्र की आवश्यकता होती है.
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मिट्टी को अच्छी तरह से भुरभुरा बनाने के लिए रोपण से पहले 3-4 जुताई कर लेनी चाहिए.
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खेत को समृद्ध करने के लिए गोबर की खाद (Cow Dung Manure) को मिलाया जाता है क्योंकि यह मृदा जनित रोगों के नियंत्रण में सहायक होता है.
बुवाई का उपयुक्त समय (Suitable Time of Sowing)
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ज्यादातर खीरे को फरवरी-मार्च के महीने में बोया जाता है.
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इसके अलावा, खीरे के बीजों के बीच 60 सेमी की दूरी रखें.
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Kheera की बुवाई के लिए बीजों की गहराई 2-3 सेमी रखें.
खरपतवार नियंत्रण (Weed Control)
निराई-गुड़ाई से खरपतवार को नियंत्रित किया जा सकता है और रासायनिक रूप से भी नियंत्रित किया जा सकता है. इसके लिए आपको ग्लाइफोसेट का प्रयोग कर सकते हैं. ध्यान रहे कि ग्लाइफोसेट का प्रयोग केवल खरपतवारों पर करें न कि फसल वाले पौधों पर.
सिंचाई (Irrigation)
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गर्मी के मौसम में इसे बार-बार सिंचाई की आवश्यकता होती है और बरसात के मौसम में इसे किसी भी सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है.
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कुल मिलाकर इसे 10-12 सिंचाई की आवश्यकता होती है.
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बुवाई से पहले भी पूर्व-सिंचाई की आवश्यकता होती है.
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फिर बुवाई के 2-3 दिनों के बाद बाद की सिंचाई की आवश्यकता होती है.
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दूसरी बुवाई के बाद 4-5 दिनों के अंतराल पर फसलों की सिंचाई करें.
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इस फसल के लिए ड्रिप सिंचाई बहुत उपयोगी होती है.
कटाई (Harvesting)
Cucumber Farming बुवाई के बाद लगभग 45-50 दिनों में उपज देने लगता हैं. कटाई मुख्य रूप से तब की जाती है जब खीरे नरम, फल हरे और युवा होते हैं. कटाई तेज चाकू या किसी नुकीली चीज से की जाती है. यह औसतन 33-42 क्विंटल प्रति एकड़ उपज देता है.
खीरा की खेती के लिए उन्नत किस्में (Improved Varieties for Cucumber Cultivation)
Kheere Ki Kheti की उन्नत किसानों में पंजाब खीरा-1, पूसा उदय, पूसा बरखा, वी. पॉइन्सेट, स्वर्ण पूर्णा, स्वर्ण शीतल, स्वर्ण अगेती, पंत खीरा-1, पूना खीरा, हिमांगी, खिरान-75, खिरान-90 और पंजाब नवीन शामिल हैं.
खीरे के स्वास्थ्य गुण (Health Properties of Cucumber)
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Kheera प्रोटीन और विटामिन का एक समृद्ध स्रोत है जो मानव आहार के लिए आवश्यक है.
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खीरा पानी का एक समृद्ध स्रोत हैं जिसमें लगभग 90 से 96% पानी होता है.
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इसमें अन्य पोषक तत्वों और खनिजों के बीच एमबी और विटामिन के समृद्ध स्रोत हैं.
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इसके अलावा खीरे का उपयोग विभिन्न त्वचा रोगों के अलावा हृदय और गुर्दे की बीमारियों को ठीक करने में किया जाता है.
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