मूंगफली सर्द मौसम की सहेली है. कड़ी ठंड में धूप में बैठकर परिवार व दोस्तों के साथ मूंगफली खाने का मजा कुछ और ही है. मूंगफली रबी सीजन की मुख्य तिलहनी फसलों में से एक है और इसके उत्पादन को बढ़ाने को लेकर कवायत तेज हो गई है. मूंगफली के दाने ना सिर्फ सेवन में लाए जाते हैं बल्कि इससे तेल भी निकाला जाता है, यदि उत्पादन बढ़ता है तो भारत की अन्य देशों में तेल की निर्भरता कम हो जाएगी. मूंगफली की खेती ध्यानपूर्वक की जाए तो इससे सालभर मुनाफा मिलता रहेगा, जहां मूंगफली में से 1 या 2 दाने निकलते हैं तो वहीं आप 4 दानें प्राप्त कर सकेंगे.
भारत में राजस्थान और गुजरात में मूंगफली की खेती बड़े पैमाने में होती है. मूंगफली का उत्पादन बढ़ाने के लिए जरूरी है कि मूंगफली के अंदर दानों में इजाफा हो. अक्सर देखा गया है कि किसान उत्पादन बढ़ाने के लिए फर्टिलाइजर का इस्तामाल करते हैं, जिससे कीट रोग तो कम होते हैं मगर दानों में बढ़ोतरी नहीं होती है. मूंगफली के दानों को बढ़ाने के लिए किसानों को जिप्सम तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए, जिससे मूंगफली के उत्पादन में 4 क्विंटल प्रति एकड़ तक बढ़ोतरी हो सकती है.
जिप्सम का करें इस्तेमाल
किसान मूंगफली की फसल में अच्छा उत्पादन पाने के लिए प्रति हेक्टेयर फसल में 250 ग्राम जिप्सम का उपयोग करें. इसके अलावा यदि आप प्रति हेक्टेयर की दर से 5 किलोग्राम नाइट्रोजन और 60 किलोग्राम फास्फोरस का उपयोग करते हैं तो आपको मूंगफली के दानों की संख्या में इजाफा देखने को मिलेगा.
इन बातों का रखें ध्यान
मूंगफली के अच्छे उत्पादन के लिए जरूरी है कि किसान बीजोपचार कर लें तथा खेत तैयार करते हुए खेतों में नीम की खली का उपयोग करें. जिससे मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है साथ ही बीमारी भी खत्म होती है. इसके अलावा फसल भेदक कीट फसलों पर नहीं लगते हैं. खास बात यह कि इस प्रकार कीटनाशकों पर होने वाले खर्च में कमी आएगी.
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मूंगफली की उन्नत किस्में
मूंगफली के अच्छे उत्पादन के लिए जरूरी है कि किसान उन्नत किस्मों का चयन करें. एचएनजी 10, एचएनजी 123, गिरनार, एनएनजी 169, आरजी 425, आरजी 120 से 130, जीजी 20, जी 201, 110 से 120 , एम 548, 120 से 126, टीजी 37ए 120 से 130, एमए 10 125 से 130 आदि मूंगफली की उन्नत किस्में हैं.
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