
भारत जैसे कृषि प्रधान देश में बाजरा एक पारंपरिक और पोषणयुक्त फसल के रूप में जाना जाता है. भारत के राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में इसकी व्यापक रूप से खेती होती है. यह न केवल सूखा सहने वाला अनाज है, बल्कि सीमित संसाधनों वाले किसानों के लिए आय और पोषण का महत्वपूर्ण स्रोत भी है. बदलते मौसम, जलवायु परिवर्तन और सिंचाई की कमी जैसी चुनौतियों के बीच, अगर कोई फसल किसानों को राहत दे सकती है, तो वह है बाजरा.
इन्हीं जरूरतों को ध्यान में रखते हुए Shakti Vardhak Hybrid Seeds Pvt. Ltd. ने एक अत्यंत उपयोगी और उन्नत किस्म बाजार में उतारी है, जिसका नाम है Yodha Plus Hybrid Bajra. यह किस्म आधुनिक वैज्ञानिक विधियों से तैयार की गई है, जो कम समय में पकने, ज्यादा उपज देने की क्षमता, बीमारियों से प्राकृतिक बचाव और दोहरी उपयोगिता (अनाज + चारा) जैसी कई विशेषताओं से युक्त है.
योधा प्लस हाइब्रिड बाजरा: शक्ति वर्धक का एक उन्नत और उच्च उपज वाला बाजरा
मोटे अनाज (मिलेट) के क्षेत्र में शक्ति वर्धक हाइब्रिड सीड्स प्रा. लि. द्वारा विकसित योधा प्लस हाइब्रिड बाजरा एक बेहतरीन किस्म है. यह किस्म खासतौर पर आज के समय की खेती की चुनौतियों को ध्यान में रखकर बनाई गई है. आइए जानते हैं इसे खास क्या बनाता है:-
योधा प्लस हाइब्रिड बाजरा की खूबियां:
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पौधे की ऊंचाई: यह बाजरा तेज़ी से बढ़ता है और इसकी ऊंचाई 300 से 310 सेमी तक होती है. इसकी लंबाई इसे अनाज और चारे दोनों के लिए उपयोगी बनाती है.
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टिलर बनने की क्षमता: एक पौधे से 10-12 उपज देने वाले टिलर (शाखाएं) निकलते हैं, जिससे पूरे खेत में समान विकास होता है और प्रति एकड़ अच्छी उपज मिलती है.
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फूल आना और फसल पकना: यह किस्म 50-55 दिनों में 50% फूल ले आती है और 85 से 90 दिनों में पक जाती है यानी यह एक जल्दी पकने वाली फसल है, जिससे किसान दूसरी फसलें भी आसानी से ले सकते हैं.
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बालियों की गुणवत्ता: योधा प्लस की बालियां 30-35 सेमी लंबी, मोटी और बेलनाकार (सिलेंडर जैसी) होती हैं. इससे कटाई में आसानी होती है और कटाई के बाद नुकसान कम होता है.
यह बाजरा किस्म किसानों के लिए लाभकारी और भरोसेमंद विकल्प है, जो बेहतर उपज, जल्दी कटाई और पशु चारे के लिए भी उपयुक्त है.
बेहतर सहनशक्ति और खेत में मजबूत प्रदर्शन
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गिरने से बचाव (लॉजिंग रेज़िस्टेंस): योधा प्लस का तना मजबूत होता है, जिससे यह तेज़ हवा या भारी बारिश में भी नहीं गिरता. यह खासियत ऐसे इलाकों के किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है जहां मौसम अचानक बदलता रहता है.
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पत्तों की गुणवत्ता: इसकी पत्तियां गहरे हरे रंग की और चौड़ी होती हैं. इससे पौधा ज्यादा अच्छे से प्रकाश संश्लेषण (फोटोसिंथेसिस) कर पाता है और इसका चारा भी ज्यादा पौष्टिक होता है.
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रोगों से बचाव: योधा प्लस की एक बड़ी खासियत यह है कि यह बाजरा में होने वाले प्रमुख रोग डाउनी मिल्ड्यू से काफी हद तक सुरक्षित रहता है. इससे दवाओं की ज़रूरत कम पड़ती है और फसल स्वस्थ बनी रहती है.
योधा प्लस बाजरा की खेती कैसे करें?
1. भूमि का चयन
योधा प्लस हाइब्रिड बाजरा की सफल खेती के लिए सही मिट्टी का चयन बहुत जरूरी है. यह किस्म बलुई दोमट मिट्टी (sandy loam soil) में सबसे अच्छा उत्पादन देती है, क्योंकि ऐसी मिट्टी में हवा और पानी का बहाव अच्छा होता है. इससे पौधों की जड़ें गहराई तक और अच्छी तरह से फैलती हैं, जिससे पौधा मजबूत बनता है.
ध्यान रखें: जलभराव वाली जमीन में यह फसल न लगाएं. खड़े पानी से जड़ें खराब हो सकती हैं, बीमारियां लग सकती हैं और पोषक तत्वों का absorption रुक सकता है. शुरू से ही अच्छी जल निकासी वाली जमीन का चुनाव करें.
2. बुआई का समय
अच्छी उपज के लिए सही समय पर बुआई बहुत जरूरी है.
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सिंचित क्षेत्रों (जहां सिंचाई उपलब्ध हो): 15 जून से 15 जुलाई के बीच बुआई करें. यह समय अंकुरण और शुरुआती वृद्धि के लिए आदर्श होता है.
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बारानी क्षेत्रों (जहां वर्षा पर निर्भर हो): पहले मानसून की बारिश का इंतजार करें. बारिश से मिट्टी में नमी आ जाती है, जो बीज के अंकुरण के लिए जरूरी है.
सही समय पर बुआई करने से फसल अच्छे से जमती है और सूखा या ज्यादा बारिश होने पर नुकसान कम होता है.
3. बीज की मात्रा
योधा प्लस बाजरा के लिए 1.5 से 2.0 किलो बीज प्रति एकड़ पर्याप्त होता है.
यह मात्रा पौधों की सही संख्या बनाए रखती है जिससे न तो पौधे बहुत ज्यादा भीड़ में होते हैं और न ही बहुत कम.
4. बीज का उपचार
शक्ति वर्धक के बीज पहले से ही फफूंदनाशक, कीटनाशक और जैव उर्वरकों से उपचारित होते हैं.
इससे किसानों को अलग से बीज उपचार करने की जरूरत नहीं पड़ती – समय और मेहनत दोनों बचते हैं.
यह उपचार बीजों को शुरुआती फफूंद, मिट्टी में रहने वाले कीड़े और पोषक तत्वों की कमी से बचाता है. इससे अंकुरण बेहतर होता है और पौधा स्वस्थ रहता है.
5. बुआई की विधि
पौधों की अच्छी वृद्धि के लिए
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कतार से कतार की दूरी: 45 सेमी
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पौधे से पौधे की दूरी: 15 सेमी रखना चाहिए.
इससे हर पौधे को पर्याप्त जगह, पोषक तत्व, पानी, और धूप मिलती है. साथ ही कीट और रोग कम होते हैं और खेत में काम करना भी आसान हो जाता है.
6. सिंचाई (पानी देना)
बाजरा सूखा सहने वाली फसल है, लेकिन सही समय पर पानी देने से उपज बहुत बढ़ सकती है.
सबसे जरूरी सिंचाई के समय:
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कल्ला फूटने (bud break) पर
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फूल आने (flowering) पर
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दाना बनने (grain formation) पर
ध्यान रखें: खारा या खारी पानी (saline/brackish water) न दें, इससे पौधे और मिट्टी दोनों खराब हो सकते हैं. मीठा पानी या वर्षा का पानी सबसे अच्छा होता है.
मध्यवर्ती कार्य और खरपतवार नियंत्रण (Intercultural Operations and Weed Control)
बाजरा की शुरुआती बढ़त के समय खरपतवार नियंत्रण बहुत जरूरी होता है, क्योंकि खरपतवार पौधों से नमी और पोषक तत्व छीन लेते हैं.
एक प्रभावी तरीका है:
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400 ग्राम एट्राजीन 50 डब्ल्यूपी (Atrazine 50 WP) को 150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें.
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यह छिड़काव बुआई के तुरंत बाद करें ताकि खरपतवार अंकुरित न हो सकें.
इसके अलावा, बुआई के 25 से 30 दिन बाद हल्की जुताई करें. इससे उगे हुए खरपतवार हट जाते हैं और मिट्टी में हवा का संचार बेहतर होता है, जो पौधों की जड़ों के लिए लाभकारी है.
उर्वरक प्रबंधन (Fertilizer Application)
उर्वरक देने से पहले अगर मिट्टी की जांच (soil testing) हो जाए, तो सबसे अच्छा होता है. लेकिन अगर जांच नहीं हो पाई हो, तो निम्नलिखित मात्रा प्रति एकड़ दी जा सकती है:
उर्वरक |
सिंचित क्षेत्र (kg) |
बारानी क्षेत्र (kg) |
यूरिया (Urea) |
125 |
35 |
डी.ए.पी (D.A.P) |
50 |
20 |
आर्बोइट जिंक (Zinc) |
3 |
3 |
पोटाश (Potash) |
20 |
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उर्वरक देने की विधि:
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डी.ए.पी, पोटाश और जिंक की पूरी मात्रा बुआई के समय ही खेत में दें. इससे पौधे की शुरुआती वृद्धि मजबूत होती है.
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यूरिया तीन बार में दें:
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आधी मात्रा बुआई के समय
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चौथाई मात्रा 25–30 दिन बाद
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बाकी की चौथाई मात्रा दाना बनने के समय
इससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों अच्छे मिलते हैं.
कीट नियंत्रण – रोयेंदार इल्ली (Hairy Caterpillar)
बाजरा की फसल में रोयेंदार इल्ली एक आम कीट है, जो पत्तों को खाकर भारी नुकसान पहुंचा सकती है. जैसे ही इल्ली दिखाई दे, तुरंत नियंत्रण करना जरूरी है.
उपचार विधि:
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200 मिली मोनोक्रोटोफॉस (Monocrotophos - Monosil/Nuvacron)
या
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500 मिली क्विनालफॉस 25 ईसी (Quinalphos 25 EC - Ekalux) को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव करें.
समय पर छिड़काव करने से पत्तियों को नुकसान से बचाया जा सकता है और फसल सुरक्षित रहती है.
बीमारी नियंत्रण – ग्रीन ईयर रोग (Jogiya)
ग्रीन ईयर रोग या जोगिया, बाजरा की एक प्रमुख बीमारी है जो बालियों को बिगाड़ देती है या उन्हें बंजर बना देती है.
उपचार विधि:
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500 ग्राम मैंकोजेब (Mancozeb - Indofil M-45) को
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200 लीटर पानी में मिलाकर
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प्रति एकड़ छिड़काव करें.
फफूंदनाशक का समय पर छिड़काव करने से यह बीमारी फैलने से रुकती है और फसल की उपज बचाई जा सकती है.
किसानों की राय: भरोसे से बनी पसंद
राजस्थान के बीकानेर जिले के रहने वाले प्रगतिशील किसान किशन सिंह ने बताया, "पिछले 15 सालों में योधा प्लस सबसे बेहतरीन बाजरा साबित हुआ है. इसमें जल्दी फूल आते हैं और 85 दिन में कटाई हो जाती है. टिलर बहुत अच्छे आते हैं, और हरा चारा भी भरपूर मिलता है. मवेशी भी इसे खूब पसंद करते हैं."
महाराष्ट्र के जलगाँव जिले के रहने वाले प्रगतिशील किसान मनोज पटेल ने बताया, "मैंने बीज विक्रेता की सलाह पर योधा प्लस लगाया. सबसे अच्छा लगा कि बालियाँ एक जैसी थीं और अगस्त में आई तेज़ हवा में भी फसल गिरी नहीं. अगली बार फिर यही लगाऊंगा."
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के रहने वाली प्रगतिशील किसान सुनीता देवी ने बताया,"पहले बाजरे में बीमारियां बहुत आती थीं, पर इस हाइब्रिड ने बहुत सी समस्याएं दूर कर दीं. ग्रीन ईयर या डाउनी फफूंदी रोग को भी रोक लिया, उपज भी अच्छी मिली और कीटनाशकों का छिड़काव भी कम करना पड़ा. अब तो पड़ोसी भी यही बीज माँग रहे हैं."
क्यों किसान चुन रहे हैं योधा प्लस हाइब्रिड बाजरा?
योधा प्लस को आज देश के कई प्रगतिशील किसान अपना रहे हैं, क्योंकि यह फसल में लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहा है. इसकी ये खूबियां इसे खास बनाती हैं:
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जल्दी पकने वाली किस्म (85–90 दिन में तैयार)
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अधिक टिलर और ज्यादा उपज
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बीमारियों से सुरक्षा (जैसे ग्रीन ईयर रोग)
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अलग-अलग जलवायु वाले क्षेत्रों में भी अनुकूल
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चारे और अनाज दोनों के लिए उपयोगी
सस्टेनेबल खेती के लिए भी यह उपयुक्त है - कम पानी में उगता है, और रासायनिक दवाओं पर निर्भरता भी घटती है.
नवाचार और परंपरा का मेल
आज जब भारतीय खेती में जलवायु बदलाव और उत्पादकता दोनों बड़े मुद्दे हैं, योधा प्लस जैसे हाइब्रिड बाजरा इन दोनों के बीच संतुलन बना रहे हैं. यह हाइब्रिड विज्ञान से विकसित एक ऐसा बीज है जो पारंपरिक फसलों को नई ताकत देता है.
योधा प्लस हाइब्रिड बाजरा किसानों के लिए एक भरोसेमंद रास्ता है, जहां उपज भी बढ़े और पर्यावरण की भी रक्षा हो. शक्ति वर्धक हाइब्रिड सीड्स प्रा. लि. की गुणवत्ता और किसान-हितैषी सोच इसे और खास बनाती है.
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