पौधों की समुचित वृद्धि एवं विकास सोलह पोषक तत्वों पर निर्भर करता है. इन पोषक तत्वों को विज्ञान की भाषा में कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, मैग्निशियम एवं सल्फ़र के नाम से जाना जाता है. आमतौर पर कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को पौधे अपने आस-पास के वातावरण से पा लेते हैं, लेकिन शेष 13 पोषक तत्व उन्हें सिर्फ भूमि से ही मिलते हैं. वैसे तो भूमि में सभी पोषक तत्व उपलब्ध रहते हैं, लेकिन लगातार की जा रही खेती के कारण फसलों द्वारा उनका हरण हो जाता है.
पोषक तत्वों के अभाव में फसलों का पूर्ण विकास संभव नहीं है. इसलिए किसान महंगे उर्वरकों का रुख करते हैं. परिणामस्वरूप कर्ज का बोझ बढ़ता है और उसकी आर्थिक स्थिति खराब होती चली जाती है. सत्य तो यही है कि मिट्टी परीक्षण किए बिना ही उन उर्वरकों को किसान बेहवजह उपयोग करता है, जिसकी वास्तव में फसल को जरूरत ही नहीं होती. इसलिए फसलों को लगाने से पहले या उर्वरकों के उपयोग से पहले मिट्टी परीक्षण करना जरूरी है. चलिए आज आपको इसकी पूरी प्रक्रिया समझाते हैं.
इस तरह लें मिट्टी का नमूना
मिट्टी परीक्षण का प्रथम चरण है मिट्टी का सही नमूना लेना. इस प्रक्रिया से पूर्व कुछ बातों पर ध्यान देना जरूरी है. जैसे फसल की बढ़वार एक ही रही हो, एक समान उर्वरकों का ही उपयोग किया गया हो और जमीन समतल व एक जैसी ही हो. हालांकि अगर खेत में अलग-अलग फसल लगाई गई हो, उर्वरक भी कई तरह के उपयोग किए गए हों या फसल बढ़वार असामान्य हो तो ऐसी स्थिति में खेत को समान गुणो वाली सम्भव इकाईयो में बांटकर अलग-अलग नमूने लेना बेहतर है.
नमूना लेने का सही समय
आप कभी भी नमूना ले सकते हैं लेकिन सबसे उचित समय फसल बोने से एक माह पहले तक का है. ऐसा करने से जानकारी समय पर मिलेगी और रणनीति बनाने का वक्त भी मिलेगा.
ऐसे बनाएं निशान
नमूना लेने के लिए खेत में जिग-जैग प्रकार से घूमकर 10-12 स्थानों पर निशान बना लें. घास-फूस, कूड़ा-करकट आदि हटाने के बाद 15 सें.मी. (6-9 इंच) गहरा वी आकार का गड्ढा खोदें और साफ खुरपी से एक तरफ उपर से नीचे तक 2 से.मी. मोटी मिट्टी की सतह को निकालें. निकाली गई मिट्टी को साफ बाल्टी या ट्रे में डालें. एकत्रित की गई मिट्टी को हाथ से अच्छी तरह मिलाते हुए चार बराबर भागों में बांट दें. अब शेष दो भागों की मिट्टी को पुन: अच्छी तरह से मिलाते हुए गोल बनायें. यह प्रक्रिया आधा किलो मिट्टी शेष रहने तक दोहराएं. सूखे मिट्टी नमूने को साफ प्लास्टिक थैली में रखते हुए एक सूचना पत्रक पर सारी जानकारी लिख दें.
इन जानकारियों का लिखना है जरूरी
नमूने वाले साफ प्लास्टिक थैली पर कृषक का नाम, उसके पिता का नाम, ग्राम/मोहल्ला, डाकघर, विकासखण्ड/तहसील, जिला और खेत का खसरा नम्बर/सर्वे नम्बर लिखना जरूरी है. इसके साथ ही अगर पहले की गई फसलों की जानकारी और आगे ली जाने वाली फसलों की जानकारी या मिट्टी सबंधी अन्य विशेष समस्याओं के बारे में लिखा गया हो तो और बढ़िया है.
निर्धारित शुल्क
सामान्य किसानों के लिए मिट्टी परीक्षण शुल्क 40 रुपये प्रति नमूना है. जबकि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति किसान के लिए 30 रुपये प्रति नमूना शुल्क रखा गया है. वहीं मुख्य तत्वों के विश्लेषण हेतु सामान्य कृषको को 5 रुपये प्रति नमूना देना होता है. जबिक अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के कृषकों को 3 रुपये प्रति नमूना देना होता है.
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