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सीमांत और छोटे किसान के लिए आजीविका निर्वाह करना एक चुनौती

भारत के लिए देश के छोटे और सीमांत किसानों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए विकास और नीति सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।

KJ Staff
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marginal and small farmers
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नवीनतम कृषि गणना सन 2010-11 के अनुसार भारत में स्वकर्षित जोतों की संख्या 138  मिलियन थी। वहीं  2001-11 की अवधि में स्वकर्षित जोतों की संख्या में दशाब्दी वृद्धि 22.5% थी। छोटे किसानों की संख्या की तद्नुसार वृद्धि 8.9% थी। इस वृद्धि के कारण इन दो खंडों का संयुक्त अंश 2001-11 की अवधि के दस वर्षों के दौरान 82% से बढ़कर 85% हो गया।

अब सीमांत और छोटे किसान कुल स्वकर्षित क्षेत्रफल के 44% और स्वकर्षित जोतों की संख्या के 85% हैं। देश के किसानों के 85% की आजीविका निर्वाह आवश्यकताएं भारत के लिए मुख्य विकास और नीति चुनौतियों में से एक है। भारतीय कृषि अपनी छोटी जोतों के स्वरूप के कारण यांत्रिक खेती प्रारंभ करने में असमर्थ-सी रहती है और जब तक विशाल स्तर में विस्तार कार्यक्रम नहीं चलता है। नई प्रौद्योगिकी का अंगीकरण कठिन है। कृषि वृद्धि को धारणीय बनाए रखने और खाद सुरक्षा का उद्देश्य प्राप्त करने का एकमात्र रास्ता आदनों जैसे सिंचाई, बिजली, उर्वरक, कीटनाशक, तकनीकी जानकारी, HYV बीज, आधार मूल संरचना विकास और बाजार समर्थन आदि बड़ी हुई सरकारी सहायता है। 

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बढ़े हुए आदान के वित्तीय भार का बड़ा भाग सरकारी सहायता के द्वारा पूरा करना होगा। इसलिए छोटे किसानों की आवश्यकताएं WTO वार्ताओं में यथाविधि हल की जानी चाहिए, क्योंकि यह किसान विकसित देशों के विशाल आकार की यांत्रिक खेती से प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते हैं। बाजार सुलभता और संयुक्त राष्ट्र जापान तथा अन्य विकसित देशों में दी गई निर्यात सहायता और घरेलू सहायता की कटौती के अभाव में अन्य देशों द्वारा वचनबद्धता की पूर्ति के बिना व्यापार उदारीकरण नीतियों का अनुसरण किया जाता है तो भारत जैसे देशों को गंभीर प्रतिकूल प्रभाव भुगतने होंगे।

लेखक - रबीन्द्रनाथ चौबे कृषि मीडिया बलिया उत्तरप्रदेश।

English Summary: Making a living a challenge for marginal and small farmers Published on: 07 July 2023, 12:25 IST

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