केन्या ने चाय की पैदावार में भारत को पीछे छोड़ दिया है. मौजूदा फसल वर्ष की दूसरी छमाही में केन्या ने रिकॉर्ड स्तर पर चाय का उत्पादन किया है. जिससे भारत को चाय के अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कठिन प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है. केन्या ने चाय के तीन प्रमुख बाजारों - यूरोप, पाकिस्तान और मिस्र के बाजार में पैठ बना ली है नतीजतन वैश्विक बाजार में भारतीय चाय की कीमतों में गिरावट देखी जा रही है.
वैश्विक बाजार में भारतीय चाय की कीमतें 2018 की पहली छमाही में 2017 के मुकाबले 10 फीसदी अधिक थीं. जो अब दूसरी छमाही में गिरकर निचले स्तर पर आ गईं हैं. चाय निर्यातकों का कहना है कि वैश्विक बाजार में केन्या के मजबूत दखल के बाद भारत के लिए पिछले साल के 240.68 मिलियन किग्रा के निर्यात को पार करना मुश्किल होगा.
मौजूदा वर्ष में केन्या के चाय उत्पादन में पिछले साल की अपेक्षा 50 मिलियन किग्रा की वृद्धि हुई है. इस वर्ष अफ्रीकी देशों में अच्छी बारिश हुई है जिससे चाय के उत्पादन में भारी बढ़ोतरी हुई है. इसने 'ब्लैक-टी' पीने वालों के लिए मुफीद माहौल तैयार करने में भूमिका अदा की है. बाजार में अधिक माल आने से इसके दामों में प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है और अपनी बिक्री को बनाये रखने के लिए विक्रेता देश अपनी चाय की कीमतों को कम करने के लिए मजबूर हैं. लिहाजा उपभोक्ताओं को इसका फायदा मिल रहा है. भारत भी इसकी मार झेल रहा है. जनवरी-सितंबर 2017 में, भारत ने 173.52 मिलियन किलोग्राम चाय निर्यात की थी. इसमें अब गिरावट का रुख देखा जा रहा है.
रोहिताश चौधरी, कृषि जागरण
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