भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरह की मिठाईयां प्रसिद्ध है. यहां बनने वाली बहुत सी मिठाईयों की मांग तो विदेशों में भी खूब है. यही कारण है कि हर साल बड़ी मात्रा में भारत से विदेशों को मिठाईयों का निर्यात होता है. भारत सरकार भी इनके निर्यात को बढ़ाने के लिए तरह-तरह की योजनाएं बनाती रहती है. इसी क्रम में अब जॉयनगरर मोआ को विश्व के अलग-अलग देशों में पहुंचाने का निर्णय हुआ है.
दुर्लभ चावल से बनती है मिठाई
बता दें कि जॉयनगरर मोआ पश्चिम बंगाल की एक प्रसिद्ध मिठाई है, जिसे दुर्लभ किस्म के कड़ा चावल (कनकचुरहोई) से बनाया जाता है. इसमें मिठास लाने के लिए खजूर के रस का उपयोग किया जाता है. इसे मुख्य तौर पर शीतकालीन व्यंजन के रूप में जाना जाता है, जो केवल केवल सर्दियों के मौसम में उपलब्ध होता है.
2015 में मिला था जीआई टैग
हालांकि इस मिठाई को 2015 में जीआई टैग (बहु-प्रतिष्ठित भौगोलिक संकेत टैग) मिल गया था, लेकिन उसके बाद भी इसे विश्व में उस तरह की पहचान नहीं मिल रही थी. जिसके बाद कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण को खुद इसके लिए आगे आना पड़ा.
अन्य मिठाईयों को भी मिल सकता है बढ़ावा
इस बारे में संस्थान प्रमुख संदीप साहा ने मीडिया को बताया कि “पश्चिम बंगाल बहुत सी मिठाईयों के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. यहां का रोसोगुल्ला तो घर-घर में चाव से खाया ही जाता है, लेकिन कुछ स्पेशल टाइम में बनने वाली मिठाईयों की मांग भी बहुत अच्छी है, जो मुख्य तौर पर यहीं बनाई जाती है.” उन्होंने कहा कि सरकार इसी क्रम में और भी मिठाईयों के निर्यात को बढ़ावा देने का विचार कर रही है.
इन देशों में जाएगी पहली खेप
विदेशों में इस मिठाई की कीमत कितनी होगी, इस बारे में अभी निर्णय नहीं लिया गया है. लेकिन जानकारी के मुताबिक एक खेप लगभग 45,000 रुपए की बिकेगी. योजना के मुताबिक पहली खेप इटली और कनाडा के बाजारों में पहुंचाई जाएगी.
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