भारतीय चावल का स्वाद विदेशियों को खूब पसंद आ रहा है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में पिछले एक वर्ष में चावल के निर्यात में जिस तरह की बढ़त हुई है वह चावल का उत्पादन करने वाले किसानों के लिए उत्साहजनक है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा निर्यात को वृद्धी देने के प्रयासों के कुछ वस्तुओं के निर्यात में उत्साहजनक नतीजे दिखाई दे रहे हैं लेकिन अनेक परंपरागत उपभोक्ता वस्तुओं के निर्यात में आई कमी चिंता का विषय है।
पिछले वर्ष में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय चावल के अलावा इस्पात एवं एल्यूमीनियम के निर्यात में अच्छी बढ़त हुई है तो वहीं चीनी, सब्जियों, कन्ज्यूमर इलैक्ट्रानिक और उपभोक्ता वस्तुओं के निर्यात में काफी कमी आयी है। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय द्वारा निर्यात को बढत देने के लिए कई योजनाएं चलाई जाएँगी हैं। निर्यात प्रोत्साहन परिषद के अलावा फैडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाईजेशन आदि संगठन निर्यात को बढ़त देने के लिए लगातार योजनाएं चल रहीं हैं। इन प्रयासों के बावजूद वर्ष 2016 की तुलना में वर्ष 2017 में कई प्रमुख वस्तुओं के निर्यात में कमी आयी है।
इस्पात का निर्यात 88 प्रतिशत की बढ़त इस्पात उद्योग को भी पिछले वर्ष अंतर्राष्ट्रीय बाजार में लगभग 88 प्रतिशत निर्यात में बढ़त के साथ बड़ी सफलता मिली है। बीते वर्ष इस्पात व स्टील के निर्यात में सबसे ज्यादा बढ़त हुई है जबकि एल्यूमीनियम के निर्यात में 50 प्रतिशत की बढ़त हुई है। जैविक रसायनों के निर्यात में 32 प्रतिशत तथा सामुद्रिक उत्पादों में 30 फीसदी की बढ़त के अलावा बिजली की मशीनरी व उपकरणों में 29 प्रतिशत, पैट्रोलियम उत्पादों में 24 प्रतिशत व प्लास्टिक रॉ मैटीरियल में 21 प्रतिशत की बढ़त हुई है।
सूती धागा, मीट, महंगे नग, पत्थर तथा सोने व अन्य पदार्थों के आभूषणों आदि में जहां 1 से 10 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है तो वहीं रसायनिक उत्पादों, आटो पार्ट, डेयरी मशीन आदि में 10 से 20 फीसदी की बढ़त हुई है। निर्यात में कमी को लेकर कुछ चिंताजनक आंकड़े भी सामने आए हैं।
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