कॉफ़ी भारत की मुख्य फसल है. इसका कई देशों में निर्यात भी किया जाता है. इस साल दिसंबर में पिछले साल के मुकाबले अरेबिका कॉफी के दामों में लगभग 14 प्रतिशत और रोबस्टा में 17 प्रतिशत की गिरावट आई है तथा कॉफी के दाम 119.15 डॉलर (अरेबिका) और 1,712 (रोबस्टा) के स्तर पर पहुंच गए हैं. ब्राजील और वियतनाम के अतिरिक्त उत्पादन को मुख्य रूप से इस गिरावट का जिम्मेदार ठहराया गया है. इस बीच, कॉफी बोर्ड ने मई 2018 तक कीमतों में मामूली बढ़ोतरी की संभावना जताई है.
पिछले सत्र में जब दाम करीब साढ़े पांच महीने के निचले स्तर पर पहुंच गए थे, तब तकनीकी रूप से अधिविक्रय की स्थिति में पहुंचने के बाद बाजार के मजबूत होने से 14 दिसंबर को आईसीई पर अरेबिका कॉफी के वायदा भाव में इजाफा हुआ था. आईसीई पर दिसंबर का अरेबिका कॉफी का वायदा 0.20 सेंट बढ़कर 1.1915 डॉलर प्रति पाउंड रहा, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान यह भाव 1.3830 डॉलर था. जनवरी 2017 की शुरुआत में दाम लगभग 1.35-1.37 डॉलर थे.
कॉफी एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रमेश राजा के अनुसार अरेबिका पार्चमेंट के उत्पादकों को परेशानी झेलनी पड़ सकती है क्योंकि विश्व बाजार में इसकी मांग काफी कमजोर है.
भारत में किसानों के लिए रोबस्टा महत्त्वपूर्ण फसल है. कॉफी बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, जिस पर किसानों को शक है, पुष्पण के बाद 2017-18 के लिए फसल का पूर्वानुमान 3,50,400 टन है. इसमें 1,03,100 टन अरेबिका और 2,47,300 टन रोबस्टा शामिल है. 2016-17 के लिए फसल कटाई के आंकड़ों के आधार पर अंतिम फसल अनुमान 3,12,000 टन पर रखा गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 36,000 टन कम है.
रोबस्टा पार्चमेंट 7,400 रुपये से गिरकर 5,400 रुपये, रोबस्टा चेरी 4,000 रुपये से 2,800 रुपये, अरेबिका पार्चमेंट 8,800 रुपये से 6,800 रुपये और अरेबिका चेरी 5,000 से 3,400 रुपये पर आ गई है ब्राजील, वियतनाम और कोलंबिया में बेहतर फसल को कॉफी के दामों में इस गिरावट का जिम्मेदार माना गया है।
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