कर्नाटक राज्य के कई जिलों में पहले बारिश और बाद में सूखे के चलते काली मिर्च उत्पादकता में गिरावट आने की संभावना है. इस तरह की प्राकृतिक आपदाएं आने से किसानों की समस्याएं भी बढ़ गई हैं. अगर कर्नाटक राज्य की बात करें तो राज्य में कोडगु, हासन और चिकमंगलूर जिले कॉफी और काली मिर्च के बेहद बड़े उत्पादक है. इन तीन जिलों में देश का 70 फीसदी कॉफी का उत्पादन होगा. दरअसल कॉफी बोर्ड के अधिकारियों के मुताबिक कॉफी के पौधों में ब्लैक रॉट नाम की एक बीमारी भी फैल गई है जिससे कॉफी के बीन गिर रहे है. वही कॉफी उत्पादक किसान ने बताया कि अरेबिका कॉफी उत्पादन की लागत काफी ज्यादा बढ़ती जा रही है और उर्वरकों, कीटनाशकों की बढ़ती कीमतों के साथ महंगे मजदूर और उनकी पर्याप्त उपलब्धता नहीं होने के कारण उत्पादन लागत बढ़ी है.
कॉफी उत्पादन भी होगा प्रभावित
आकंड़ों के मुताबिक वर्ष 2018-19 में राज्य ही नहीं बल्कि देश में भी कॉफी उत्पादन कम होगा. इसका सबसे बड़ा कारण है कि अधिक बारिश और अब सूखे के हालात पैदा हो गए है. फिलहाल वर्तमान में जो हालात हैं उससे वर्ष 2017-18 की तुलना में भी कॉफी का उत्पादन कम रहने की आशंका है. कॉफी उत्पादक संघ के अध्यक्ष मोहन बोपन्ना ने कहा है कि सरकार को लघु अवधि की जगह पर दीर्घ अवधि की योजना पर चलना चाहिए ताकि किसानों को फायदा हो सके. इसीलिए सरकार को कॉफी उत्पादकों की समस्या को हल करने के लिए विशेष तरह की नई योजना को लाने के प्रयास करने चाहिए.
काली मिर्च पर सूखे की मार
कर्नाटक में काली मिर्च की फसल भी सूखे की स्थिति के कारण सूखने के कगार पर आ गई है. सोमवारपेट तालुक में 4500 हेक्टेयर के रकबे में कुल काली मिर्च का उत्पादन होता है लेकिन कुंडली, कुंडल्ली, ताकेरी, किरांगंडुरू, कूथी, बाचली, होसी बीडू आदि गांवों में काली मिर्च की फसल पर कई तरह की बीमारियां लगने लगी है. किसानों को चिंता है कि इस बार काली मिर्च और कॉफी दोनों के ही उत्पादन में लगातार गिरावट हो रही है जिससे राज्य में किसानों को सबसे ज्यादा नुकसान सहना पड़ेगा.
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