Success Story: आज हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. चाहे वह ऑफिस हो, खेल हो या फिर देश की सेवा का जज्बा, हर क्षेत्र में महिलाएं अब पुरुषों से कंधा मिलाकर चल रही हैं. महिलाओं को कभी कम नहीं समझना चाहिए. क्योंकि महिलाएं एक बार जो जिम्मेदारी ले लेती हैं उसे वह अच्छी तरह से निभाती भी हैं. आज सफल किसान में हम आपको एक ऐसी ही महिला किसान के बारे में बताएंगे जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत की बदौलत बेहद ही कम समय में सफलता की बुलंदियों को छुआ है. हम बात कर रहे हैं प्रगतिशील किसान रूपम सिंह की, जो उत्तराखंड के काशीपुर जिले की रहने वाली हैं.
ग्रामीण महिलाओं से मिली प्रेरणा
अगर इनकी शिक्षा की बात करें तो इन्होंने बीएससी-एमएससी फिशरीज के अलावा डेवलपमेंट प्लानिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है. रूपम सिंह ने बताया कि अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने कई सालों तक नौकरी की और फिर 2019 में मछली पालन की शुरुआत की. अपनी नौकरी के दौरान वह एक बार राजस्थान गईं थी, जहां उनकी मुलाकात कुछ ग्रामीण महिलाओं से हुई, जो कम पढ़ी-लिखी होने के बावजूद भी बिजनेस कर रहीं थी. उन्हीं ग्रामीण महिलाओं से प्रेरणा लेकर उन्होंने भी अपनी खुद का व्यवसाय शुरू करने की ठानी और मछली पालन की शुरुआत की.
पार्टनरशिप में शुरू किया था व्यवसाय
उन्होंने बताया कि पहले उनका विचार था कि वह इसकी शुरुआत दिल्ली में करेंगी, लेकिन दिल्ली में सभी चीजों की शुरुआती लागत काफी महंगी थी. जिसके बाद वह काशीपुर लौट आईं और वहीं इसकी शुरुआत करने का उन्होंने फैसला किया. उन्होंने बताया कि शुरुआत में उन्होंने पार्टनरशिप में इस व्यवसाय की शुरुआत की थी. तब वह अपने किसी रिश्तेदार के तालाब में मछली पालन करती थीं. लेकिन, एक साल बाद उन्होंने लीज पर तालाब लेकर स्वयं ही मछली पालन करने लगीं.
उन्होंने बताया कि शुरुआत में उन्होंने 10 एकड़ की जमीन लीज पर ली थी, जिस पर वह मछली पालन करती थीं. लेकिन, पिछले दो सालों से उनके पास 3 एकड़ के आसपास जमीन है. जिस पर उनके दो तालाब हैं, जिसमें वह मछली पालन करती हैं। उन्होंने बताया कि मछली पालन के अलावा उनका फिश फीड का भी व्यवसाय है. वह एक कंपनी की सब डिस्ट्रीब्यूटर हैं और उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में फिश फीड की डिस्ट्रीब्यूशन का काम देखती हैं.
सालाना 750 क्विंटल मछलियों का उत्पादन
उन्होंने बताया कि वह जरूरत के हिसाब से साल में 2 से 3 बार अपने तालाब से मछलियों की हार्वेस्टिंग करती हैं. वही, प्रति एकड़ वह 8 से 9 टन तक मछलियों का उत्पादन कर देती हैं. यानी 3 एकड़ पर उनकी फीश हार्वेस्ट 25 टन के आसपास होती है. इस हिसाब से देखें तो वह एक बार में 250 क्विंटल के करीब मछलियों का बैच तैयार कर देती हैं.
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सालना 20 लाख रुपये का मुनाफा
उन्होंने बताया कि वह उनके फार्म में सालाना 50 टन से ज्यादा मछलियों का उत्पादन हो जाता है. क्षेत्र के अन्य फार्म और मछली पालकों के मुकाबले उनकी हार्वेस्टिंग काफी ज्यादा रहती है. जिसकी वजह है उनकी एजुकेशन. इसके अलावा वह अपने तालाब में मछलियों के कम बच्चे डालती हैं. जिससे मछलियां अच्छे से और तेजी से बढती हैं और उनका वजह भी काफी रहता है. जिसके मार्केट में उन्हें अच्छे दाम मिल जाते हैं. उन्होंने बताया कि वह मुख्य तौर पर पंगेशियस प्रजाती की मछली का पालन करती हैं. मछलियों के उत्पादन से उन्हें सालाना 15 से 20 लाख रुपये का मुनाफा हो जाता है.
कैश क्रॉप पर फोकस करें किसान
वही, कृषि जागरण के माध्यम से उन्होंने किसानों और मछली पालकों को यह संदेश दिया कि किसान कैश क्रॉप पर ज्यादा फोकस करें. उन्होंने बताया कि मछली की अन्य प्रजातियां उतना मुनाफा नहीं देती, जितना पंगेशियस देती है. इसलिए वह इसके जरिए अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसान सावन माह से पहले मछलियों को तैयार करें और उन्हें सावन से पहले बाजार में बेच दें. इसके बाद थोड़ा समय लेकर फिर नई फसल की तैयारी करें और दिसंबर तक उसे हार्वेस्ट करें. उन्होंने कहा कि ऐसा करने से मछलियों का उत्पादन ज्यादा होने के साथ ही होने वाला मुनाफा भी ज्यादा होगा.
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