
भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां अधिकतर आबादी आज भी खेती पर निर्भर है. हालांकि, बढ़ती लागत, घटती मिट्टी की उपजाऊ शक्ति और मौसम की अनिश्चितता जैसी चुनौतियों ने किसानों के सामने कई समस्याएं खड़ी कर दी हैं. ऐसे समय में जब अधिकांश किसान खेती छोड़कर दूसरे विकल्पों की तलाश कर रहे हैं, उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले के प्रगतिशील किसान हिमांशु नाथ सिंह ने न सिर्फ इन चुनौतियों का डटकर सामना किया, बल्कि गन्ने और केले की खेती में अपने नवाचारों से एक करोड़ से अधिक रुपये का टर्नओवर जनरेट कर यह साबित कर दिया है कि खेती में भी अपार संभावनाएं हैं - बस जरूरत है तो सही दृष्टिकोण और मेहनत की.
हाल ही में हिमांशु नाथ सिंह “ग्लोबल फार्मर बिजनेस नेटवर्क” (GFBN) से जुड़े हैं, जो कि कृषि जागरण की एक राष्ट्रीय पहल है. इसका उद्देश्य भारत में टिकाऊ और सफल कृषि उद्यमिता को बढ़ावा देना है. अब चलिए हिमांशु नाथ सिंह की सफलता की कहानी के बारे में विस्तार से जानते हैं-

पारंपरिक खेती से आधुनिक खेती की ओर
प्रगतिशील किसान हिमांशु नाथ सिंह के परिवार में करीब 40 सालों से गन्ने की खेती हो रही है. पहले उनके पिता जी गन्ने की खेती करते थे और आज के समय में हिमांशु जी भी उसी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं, लेकिन उन्होंने पारंपरिक तरीकों के साथ-साथ आधुनिक तकनीकों का भी इस्तेमाल करना शुरू किया है. हिमांशु नाथ का मानना है कि जब तक हम अपनी खेती में बदलाव नहीं लाएंगे, तब तक हम बेहतर परिणाम नहीं पा सकते.

उन्होंने अपनी खेती में जैविक खाद, गोबर खाद, जीवा अमृत, घन जीवा अमृत जैसे प्राकृतिक उर्वरकों का प्रयोग शुरू किया. इसने न केवल उनकी मिट्टी की सेहत को बेहतर किया, बल्कि उत्पादन भी बढ़ाया. वे रासायनिक और जैविक खादों का मिश्रण करके खेती करते हैं, जिससे न केवल फसल की गुणवत्ता बेहतर होती है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है.

गन्ने की खेती में सफलता
गन्ने की खेती में हिमांशु जी की सफलता की सबसे बड़ी वजह है उनका सही समय पर बुआई, बुआई की विधि, पोषण प्रबंधन और उन्नत किस्मों का चयन करना. वे गन्ने की बुआई सितंबर के आखिरी सप्ताह से अक्टूबर तक करते हैं, जो उनके हिसाब से गन्ने के लिए सर्वोत्तम समय होता है. उनका मानना है कि गन्ने की बुआई के लिए सही समय का चयन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि अगर यह समय चूक जाता है तो फसल अच्छी नहीं होती.

वह केले की खेती के साथ-साथ गन्ने की सहफसली खेती भी करते हैं, जैसे- आलू, बंद गोभी, फूलगोभी और सरसों आदि. ये सहफसलें न केवल उनके लिए अतिरिक्त आय का स्रोत बनती हैं, बल्कि खेतों की मिट्टी को भी उपजाऊ बनाती हैं. इसके अलावा, हिमांशु जी का खेतों में खाद डालने का तरीका भी अनोखा है. वे प्रति बीघा एक ट्रॉली गोबर खाद डालते हैं, जिससे उनकी फसल में उर्वरता बनी रहती है और उपज भी अच्छी होती है.

उन्नत गन्ने की किस्में और तकनीक
प्रगतिशील किसान हिमांशु नाथ सिंह गन्ने की उन्नत किस्मों की खेती करते हैं, जैसे- 0118, 14235, 16202, 15466, 14201, 15023, 18231 और 0238. ये किस्में न केवल ज्यादा उत्पादन देती हैं, बल्कि इनका रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बेहतर होता है. इसके साथ-साथ, हिमांशु नाथ गन्ने की बुआई के दौरान कतार से कतार के बीच दूरी 5 फीट की रखते हैं, जिससे पौधों को पर्याप्त जगह मिलती है और उनका विकास अच्छे से होता है. पौधों (बड) के बीच की दूरी भी एक फीट रखी जाती है. इस विधि से 90% जमाव होता है और 50% बीज की बचत भी होती है.

मिनी ट्रैक्टर का इस्तेमाल
कृषि में मशीनों का इस्तेमाल समय की बचत और कार्य की गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद करता है. हिमांशु नाथ सिंह ने कृषि में मिनी ट्रैक्टर का इस्तेमाल करना शुरू किया है, जो उनके खेतों में काम करने के लिए काफी प्रभावी साबित हुआ है. गन्ने की फसल में कतार से कतार के बीच दूरी वे 5 फीट रखते हैं, जिस वजह से मिनी ट्रैक्टर से निराई-गुड़ाई और गन्ने की जड़ों पर मिट्टी चढ़ाने का काम बहुत आसानी से हो जाता है. इससे न केवल मजदूरी की बचत होती है, बल्कि समय भी बचता है और उनकी लागत में भी कमी आती है.

गन्ने का उत्पादन और मुनाफा
प्रगतिशील किसान हिमांशु नाथ की खेती में गन्ने का उत्पादन बहुत अच्छा होता है. वे 10 हेक्टेयर में गन्ने की खेती करते हैं और एक हेक्टेयर से अभीतक अधिकतम 2470 क्विंटल गन्ना प्राप्त कर चुके हैं. लागत और मुनाफे की बात करें तो, एक हज़ार रुपये की लागत पर 600 रुपये का मुनाफा होता है, यानी 100 रुपये के टर्नओवर में 40 रुपये लागत और 60 रुपये मुनाफा होता है. इस प्रकार 10 हेक्टेयर में गन्ने की खेती से उनका सालाना टर्नओवर 1 करोड़ रुपये से ज्यादा है.

किसानों को बीज बेचना और सहायता करना
प्रगतिशील किसान हिमांशु नाथ ने केवल अपनी खेती में ही सफलता नहीं पाई, बल्कि उन्होंने अपने आसपास के किसानों के लिए भी एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत किया है. वे गन्ने के बीजों को भी किसानों को बेचते हैं, ताकि अन्य किसान भी उन्नत बीजों से फसल उगा सकें. साथ ही, वे अन्य किसानों को आधुनिक कृषि तकनीकों के बारे में जानकारी देते हैं, ताकि वे भी अपनी खेती में सुधार कर सकें.

राज्य सरकार से पुरस्कार और सम्मान
प्रगतिशील किसान हिमांशु नाथ की मेहनत और सफलता को देखते हुए हाल ही में उन्हें कृषि जागरण द्वारा MFOI Awards 2024 में ‘स्टेट अवार्ड’ से सम्मानित किया गया है. मीडिया और अन्य संस्थानों के अलावा, राज्य सरकार ने भी उनके कार्यों को सराहा है. उन्हें उत्तर प्रदेश में गन्ने के उत्पादन में तीसरे स्थान पर आने के लिए पुरस्कार प्राप्त हो चुका है.

यह पुरस्कार उनकी कड़ी मेहनत, समर्पण और कृषि के प्रति उनके जुनून का प्रतीक है. इस सम्मान से न केवल उन्हें प्रेरणा मिली, बल्कि उन्होंने यह साबित किया कि अगर सही दिशा में प्रयास किए जाएं, तो खेती से अच्छा मुनाफा भी प्राप्त किया जा सकता है.
NOTE: अगर आप भी कृषि जागरण की पहल “ग्लोबल फार्मर बिजनेस नेटवर्क” का हिस्सा बनाना चाहते हैं तो लिंक- https://millionairefarmer.in/gfbn/ पर क्लिक करें या 9891443388 पर कॉल या व्हाट्सएप्प करें.
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