कृषि प्रधान क्षेत्र अशोकनगर में चने की पैदावार बड़े पैमाने पर की जाती है। जिले के किसानों द्वारा इस बार भी रवी की फसलों के रूप में चने का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया गया है। सड़कों के किनारे खेतों में चने की लहलहाती फसल को देखा जा सकता है। इस फसल के साथ चने की भाजी भी इन खेतों में देखी जा सकती है। अशोकनगर क्षेत्र की चने की भाजी आगरा और दिल्ली जैसे शहरों में अच्छी मांग है।
अशोकनगर के ग्रामीण अंचलों की महिलाएं खेतों से यह भाजी लाकर अशोकनगर स्टेशन पर सुखाती हुई देखी जा सकती हैं। अशोकनगर जिले के ग्रामीण अंचलों में यह महिलाएं प्रतिदिन इस भाजी को खेतों से निकालकर ला रही हैं। पहले इन महिलाओं द्वारा इस भाजी को खेतों से निकालकर बड़ी-बड़ी पोटलियों में बांधकर अशोकनगर स्टेशन पर लाया जाता है। करीब 40 से 50 महिलाएं रोज भाजी की पोटली अशोकनगर के प्लेटफार्म पर खोलकर उसकी साफ-सफाई करती हैं। उसे बेचने के लायक तैयार करती हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों की इन महिलाओं में कई महिलाओं में कुसुम, शिखा, विद्याबाई आदि से चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि हम इस भाजी को यहां से ले जाकर आगरा और दिल्ली जैसे महानगरों में जाकर बेचते हैं। वहां की कालोनियों में 100 से 150 रुपए प्रति किलो में बेचा जाता है। एक महिला के पास 2 से 4 पोटली होती हैं। महिलाओं ने बताया कि उनका यह काम पूरे दो माह तक चलता है। इस भाजी को बेचने में अशोकनगर जिले की लगभग 500 महिलाएं लगी हैं। जो अलगअलग दिनों में इस भाजी को बेचने के लिए जाती हैं।
साभार
नई दुनिया
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