कोरोना संकट के कारण देश में लॉकडाउन लगा हुआ है. जिसके चलते ही आंतरिक गतिविधियों पर रोक लगा दी गई है. इसी बीच केंद्र सरकार की तरफ से आदेश आया कि इस लॉकडाउन में देश के पालनहार को अपने कार्य करने की छूट दी जा रही है. जिसके बाद देश के सभी राज्यों ने रबी फसल समर्थन मूल्य पर खरीदनी शुरू कर दी है. कोरोना संकट के बीच बनी मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने भी आनन-फानन रबी फसल की खरीदी चालू कर दी है. फसल की खरीदी तो हो रही है लेकिन किसानों को इस समय उनकी उपज का भुगतान नहीं किया जा रहा है.बता दें कि मध्य प्रदेश में समर्थन मूल्य पर रबी फसल की खरीद शुरू हो चुकी है लेकिन किसानों को उनकी उपज का पैसा नहीं मिल रहा है. एक सरकारी आंकड़े के अनुसार अभी तक प्रदेश में सवा लाख किसानों से 400 करोड़ रुपये के गेहूं की खरीदी की गई है लेकिन इसमें चौकाने वाली बात ये है
कि अभी किसानों को उनकी उपज का एक भी पैसा नहीं मिला है. अब सवाल उठता है कि इस लॉकडाउन में किसान कैसे जीवन निर्वाह करेगा? जब किसान के पास पैसे नहीं होंगे तो किसान अपना कर्ज नहीं चुका पायेगा. हालांकि सरकार ने इस बार फसल कर्ज चुकाने के लिए 1 महीने की छूट दे रखी है. दूसरा सवाल ये है कि यदि किसान के पास पैसे नहीं होगें तो आने वाली जायद और खरीफ़ फसल की बुवाई कैसे करेगा. सरकार ने इन्हीं सब सवालों को ध्यान में रखकर खरीदी की प्रक्रिया को विस्तार देने की बात कही है.आज प्रदेश के लगभग 25 हजार किसानों के पास रबी फसल खरीदी के लिए एसएमएस भेजें जायेंगे. जिसमें से एक मंडी में केवल 25 किसानों फसल बिक्री के लिए बुलाया जाएगा. सरकार ने किसानों को फसल का त्वरित भुगतान करने के लिए जेआईटी (जस्ट इन टाइम) नामक सॉफ्टवेयर भी बनाया हुआ है. सरकार सॉफ्टवेयर तकनीक होने के बावजूद भी पैसा भुगतान किसानों को नहीं कर रही है. अगर सॉफ्टवेयर की बात करें तो गत वर्ष गड़बड़ी के चलते ही कुछ किसानों का भुगतान दिल्ली व्यापारियोंके खातों में हो गया था. इसके बावजूद भी सरकार ने सॉफ्टवेयर में कोई तब्दीली नहीं की है.
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