Farmers Protest 2024: MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी का कानून बनाने समेत 12 सूत्री मांगों के समर्थन में दिल्ली आ रहे किसानों के लिए कई जगह सीमाओं को सील कर दिया गया है. यह पहली बार नहीं है कि किसान सड़कों पर उतरें हैं. वही, आंदोलन कर रहे किसान एम एस स्वामीनाथन आयोग की एमएसपी पर की गई सिफारिशों को लागू करने की मांग कर रहे हैं. ऐसे में आइए जानते हैं क्या है स्वामीनाथन आयोग और उसकी सिफारिशें.
किसानों की समस्याओं के लिए हुआ था आयोग का गठन
नवंबर 2004 में किसानों की समस्याओं के अध्ययन के लिए मशहूर कृषि वैज्ञानिक एम एस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया था. इसे 'नेशनल कमीशन ऑन फार्मर्स' कहा गया था. दिसंबर 2004 से अक्टूबर 2006 तक इस कमेटी ने सरकार को छह रिपोर्ट सौंपी. इनमें कई सिफारिशें की गई थीं.
स्वामीनाथन आयोग ने अपनी सिफारिश में किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्हें उनकी फसल लागत का 50 फीसदी ज्यादा देने की सिफारिश की थी. इसे C2+50% फॉर्मूला कहा जाता है. आंदोलनकारी किसान इसी फार्मूले के आधार पर MSP गारंटी कानून लागू करने की मांग कर रहे हैं.
क्या है C2+50% फॉर्मूला?
मालूम हो कि स्वामीनाथन आयोग ने इस फार्मूले की गणना करने के लिए फसल लागत को तीन हिस्सों यानी A2, A2+FL और C2 में बांटा था. A2 लागत में फसल की पैदावार करने में सभी नकदी खर्चे को शामिल किया जाता है. इसमें खाद, बीज, पानी, रसायन से लेकर मजदूरी आदि सभी लागत को जोड़ा जाता है.
A2+FL कैटगरी में कुल फसल लागत के साथ-साथ किसान परिवार की मेहनत की अनुमानित लागत को भी जोड़ा जाता है, जबकि C2 में नकदी और गैर नकदी लागत के अलावा और जमीन का लीज रेंट और उससे जुड़ी चीजों पर लगने वाले ब्याज को भी शामिल किया जाता है. स्वामीनाथन आयोग ने C2 की लागत को डेढ़ गुना यानी C2 लागत के साथ उसका 50 फीसदी खर्च जोड़कर एमएसपी देने की सिफारिश की थी. अब किसान इसी फॉर्मूले के तहत उन्हें एमएसपी देने की मांग कर रहे हैं. हालांकि, सरकार और किसानों के बीच फिलहाल इस मुद्दे का कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है.
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