अक्सर देखा गया है की सब्जी काटने के बाद और फल खाने के बाद उसके छिलके कूड़ादान में फेंक दिए जाते हैं. क्या आपको पता है की यदि इन छिलकों को सीधे तौर पर या फिर सूखा कर बरीक पाउडर बना लें तो इससे बड़े फायदे लें सकते हैं.
आलू सब्जियों का राजा है. किसी भी सब्जी में डाल लो, उसका जायका और रंगत बदल जाती है. देखा यह गया है की इसके छिलकों को फेंक दिया जाता है. यदि इन छिलकों को इस्तेमाल में लाया जाये तो कई तरह के फायदे लिए जा सकते हैं.
ऐसा ही केले के छिलके और संतरे के छिलकों के साथ होता है. अनार और तरबूज के छिलके भी फेंकने के ही काम आते हैं. उनका इस्तेमाल भी कई तरह से किया जा सकता है. इसे कहते हैं आम के आम गुठलियों के भी दाम. इस लेख में ऐसे ही छिलकों के इस्तेमाल के बारे में दिया गया है.
दुनिया भर में आलू एक प्रचलित कंद है और इसका इस्तमाल लगभग हर घर में किया जाता है लेकिन दुर्भाग्यवश जानकारी के अभाव में हम इसके छिलकों को फेंक देते हैं। आप जब इसके औषधीय गुणों को जानेंगे तो आपको आश्चर्य होगा कि आलू के छिलकों में आलू के अंदर के हिस्से से ज्यादा महत्वपूर्ण रसायन पाए जाते हैं।
आंखों के नीचे बैग (सूजन) बने हों या चेहरे पर दाग-धब्बे या मुहांसे, कुछ ना करें सिर्फ आलू के छिलकों के अंदरूनी हिस्से को चेहरे पर लगाए और हल्का-हल्का दबाते हुएं रगड़ें। करीब 15 दिन में ही फर्क दिखायी देने लगेगा। और तो और इन छिल्कों को ग्राईंड करें, रुई डुबोकर चेहरे पर लगाएं और फिर 15 दिनों में चेहरे की रंगत देखिए, बिल्कुल निखरने लगेगा। छिलकों के इस्तमाल से पहले आलू को साफ पानी से खूब अच्छी तरह से धो जरूर लें।
तुरई के छिलकों के छोटे छोटे टुकड़े काटकर छाँव में सुखा लिए जाए और सूखे टुकड़ों को नारियल के तेल में मिलाकर 5 दिन तक रखे और बाद में इसे गर्म कर लिया जाए। तेल छानकर प्रतिदिन बालों पर लगाए और मालिश भी करें तो बाल काले हो जाते हैं।
केले का छिलका प्रोस्टेट ग्रंथि की वृद्धि को रोकता है। टेस्टोस्टेरोन की वजह से अक्सर प्रोस्टेट ग्रंथि का आकार बढ जाता है और अनेक शोध बताती हैं कि केले का छिलका टेस्टोस्टेरोन को सक्रिय नहीं होने देता। आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार साफ केले के छिलके को धोकर सुखा लिया जाए और फिर इसे ग्राइंड कर लिया जाए, प्राप्त चूर्ण की आधा चम्मच फांकी दिन में दो बार लेने से प्रोस्टेट ग्रंथी की वृद्धि को रोकने में मददगार होता है। पके हुए केले के छिलके के अंदरूनी हिस्से को मुहांसों पर रात सोने से पहले रगड़िये और चाहें तो चेहरे को 45 मिनट बाद धो सकते हैं। बहुत जल्द ही सकारात्मक परिणाम दिखेंगे.
तरबूज के छिलकों की आंतरिक सतह को काटकर आदिवासी इनका मुरब्बा तैयार करते हैं, माना जाता है कि यह बेहद शक्तिवर्धक होता है। कुछ इलाकों में लोग इसके छिलकों को बारीक काटकर सुखा लेते हैं और चूर्ण तैयार कर लिया जाता है। माना जाता है कि इस चूर्ण की आधी चम्मच मात्रा प्रतिदिन सुबह खाली पेट लेने से शरीर में ताकत का संचार होता है और कई तरह की व्याधियों में राहत भी मिलती है, कुल मिलाकर ये पूर्ण रूप से सेहत दुरुस्ती के लिए कारगर होता है।
संतरे में ढ़ेर सारे फाइबर, विटामिन ए, बी, एमीनो एसिड्स, बीटा केरोटीन, पोटैशियम, फोलिक एसिड और कई अन्य महत्वपूर्ण रसायनों की भरमार होती है। संतरों को सेहत के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि इसके छिलकों में भी औषधीय गुणों की भरमार है?
सन्तरे के छिल्कों को रात में इन्हें दुर्गन्ध मार रहे जूतों के अंदर रख दें, अगली सुबह इन छिलकों को जूतों से निकालकर फेंक दें, जूतों से दुर्गन्ध दूर हो जाएगी। जिनके पाँवों के तालुओं से गंध आती है उसे दूर करने के लिए भी संतरे के छिलके बेहद कारगर हैं। संतरे के ताजे या सूखे हुए छिलकों को 2 लीटर पानी में उबाल लिया जाए और जब यह गुनगुना रहे तो इसमें तालुओं को डुबो दिया जाए। करीब 2 से 4 मिनिट बाद तालुओं को बाहर निकाल साफ तौलिये से पोछ लिया जाए। ऐसा सप्ताह में 2-3 तीन बार करने से जल्द ही समस्या का पूर्ण निवारण हो जाता है। कोई बाजारू क्रीम आपको गोरा नहीं बनाएगी, लेकिन ये दावा है कि इस देसी फार्मुले को आजमाकर आपकी त्वचा में निखार जरूर आ जाएगा। संतरे के छिलकों को सुखा लें, जब यह पूरी तरह से सूख जाए तो इन्हें ग्राईंडर का उपयोग कर पावडर में तब्दील कर लें। इस पाउडर की 3 चम्मच मात्रा लें और इसे 3 चम्मच दही में अच्छी तरह घोल लें और चेहर पर लगाकर सूखने तक रख दें। करीब 15 से 20 मिनट बाद जब यह सूख जाए तो हथेली से हल्का-हल्का रगड़ते हुए चेहरे से इसे उतार लें और बाद में साफ पानी से चेहरा धो लें। साफ तौलिये से चेहरा साफ करके थोड़ा सा मोइस्चरायजर लगा लें। रोज नहाने से पहले सिर्फ 15 दिन करके देखिए, छांव में सुखाए संतरे के छिलकों को बारीक पीस लें।
इस चूर्ण को घी के साथ बराबर मात्रा में मिलाएं। 1-1 चम्मच दिन में 3 बार लें। बवासीर में आराम मिलेगा। संतरे के छिलकों को सुखा लें और सब्जियों में छौंक लगाते वक्त एक या दो टुकड़ों को डाल दें, ऐसा करने से ना सिर्फ सब्जी में हल्की सी सुगंध आएगी बल्कि संतरे के छिलकों के एंटीआक्सीडेंट गुण आपके शरीर के भीतर पहुंच जाएंगे। संतरे के सूखे छिलकों या उसके पाउडर को जलते हुए कोयलों पर डालकर कमरे में धुंआ करें। ऐसा करने से मक्खी-मच्छर और खटमल भाग जाते हैं।
संतरे के अलावा नींबू, मौसमी जैसे खट्टे फलों के छिलकों को भी कई तरह के नायाब तरीकों से इस्तमाल में लाते हैं। इन खट्टे फलों के छिलकों को एक बर्तन में पानी के साथ खौलाएं, खौलाने से पहले थोडी सी दालचीनी और 3-4 लौंग जरूर डाल दें। जब यह खौलने लगे तो सावधानी से हर कमरे में खौलते बर्तन को ले जाएं। इसकी सुगंध मात्र से करीब 12 प्रकार के सूक्ष्मजीव नष्ट हो जाते हैं और यह गजब के रूम फ्रेशनर की तरह भी काम करता है। इसके छिलके में पाया जाने वाला एसिड आपके कार के काँच की खिडकियों, फ़्रंट ग्लास और साईड मिरर आदि पर लगे क्षारयुक्त पानी के धब्बों को निकाल सकता है। कार के काँच वाले हिस्सों की बेहतर सफ़ाई के लिए एक हिस्सा शुद्ध पानी और दो हिस्सा नींबू का रस लिया जाए और इसे अच्छी तरह से मिला लिया जाए। इस द्रव को कार के काँच वाले हिस्सों पर छिड्ककर साफ़ अखबार या वाईपर से पोछ लिया जाए, काँच बिल्कुल नए की तरह चमचमा उठेंगे। नींबू का रस निकालने के बाद छिल्कों को फेकें नहीं, इन्हें छाँव में रखकर सुखा लें।
कच्चे हरे केले का छिल्का उतारकर केले के गूदे को बारीक-बारीक टुकड़े करें और इसे भी छाँव में सुखा लें। जब दोनो अच्छी तरह सूख जाए तो दोनो की समान मात्रा लेकर मिक्सर में एक साथ ग्राइंड करलें, चूर्ण तैयार हो जाएगा। ये चूर्ण दस्त और डायरिया का अचूक फार्मुला होता है, बस 1 चम्मच चूर्ण की फांकी मारनी होगी, हर 2 घंटे के अंतराल से, देखते ही देखते दस्त और डायरिया की समस्या का पूर्ण निदान हो जाएगा। आधुनिक विज्ञान भी इस फार्मुले की पैरवी कर चुका है। केले मे स्टार्च और नीबू के छिल्कों मे सबसे ज्यादा मात्रा में पेक्टिन, इन दोनों की सक्रियता से दस्त जैसी समस्या में तेजी से राहत मिल जाती है।
टेबल क्लॉथ या कपड़ों पर चाय के दाग लग जाने पर दागयुक्त हिस्सों को गीला करके इस पर नमक का छिडकाव करें और फिर नीबूं के छिलके के अंदरूनी हिस्से को दाग पर रगड़ें, दाग गायब हो जाएंगे।
अनार छीलने के बाद छिलकों को फेंके नहीं, इन्हें बारीक काटकर मिक्सर में थोडे पानी के साथ डालकर पीस लें। बाद में इसे मुंह में डालकर कुछ देर कुल्ला करें और थूक दें। दिन में करीब दो तीन बार ऐसा करने से मसूड़ों और दांतों पर किसी तरह के सूक्ष्मजीवी संक्रमण हो तो काफी हद तक आराम मिल जाता है। जिन्हें मसूड़ों से खून निकलने की शिकायत हो उन्हें यह फार्मुला बेहद फायदा करेगा। सैकड़ों साल से आजमाए जाने वाले इस आदिवासी फार्मुलों के असर को वैज्ञानिक परिक्षण के तौर पर भी सिद्ध किया जा चुका है। स्ट्रेप्टोकोकस मिटिस और स्ट्रेप्टोकोकस संगस नामक बैक्टिरिया की वजह से ही जिंजिवायटिस और कई अन्य मुख रोग होते हैं और इनकी वृद्धि को रोकने के लिए अनार के छिलके बेहद असरकारक होते हैं।
चंद्र मोहन, कृषि जागरण
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