किसान भाइयों बकरियों में वर्ष भर होने वाले रोगों के निवारण हेतु वार्षिक चक्र के अनुसार बकरी के नवजात बच्चों में मासिक टीकाकरण करवाना चाहिए। खासकर बकरियों में खुरपका आदि की गंभीर समस्याएं देखने को मिलती है। इसके लिए केंद्रीय बकरी अनुसंधान केंद्र, मखदूम द्वारा किसानों को बकरी की वार्षिक चक्र के अनुसार टीके के जानकारी दी गई है। व्यावसायिक दौर में जहां आप बकरीपालन के द्वारा अधिक आमदनी प्राप्त कर सकते हैं तो वहीं इसकी रोगों से रोकथाम के लिए नवजात बकरियों के बच्चों में टीकाकरण करवाना चाहिए। बकरी के अच्छे स्वास्थ्य के लिए उसे प्रथम कीला/खीस पिलाना आवश्यक है।
खुरपका-
खुरपका से रोकथाम के लिए बकरी शिशु में तीन माह में प्रथम टीका लगवाना चाहिए। जबकि बूस्टर टीका प्राथमिक टीका के 3 से 4 सप्ताह के बाद करना चाहिए। इसके बाद पुन:टीकाकरण प्रतिवर्ष कराया जा सकता है।
बकरी प्लेग-
बकरी प्लेग से रोकथाम के लिए बकरी में तीन माह की आयु में प्राथमिक टीका लगवाना चाहिए। जबकि इसके लिए बूस्टर टीका आवश्यक नहीं है। पुन: टीकाकरण तीन वर्ष पश्चात कराया जा सकता है।
बकरी चेचक-
इस रोग से रोकथाम के लिए बकरियों में 3 से 5 महीने की आयु में टीकाकरण करवाना चाहिए। इसका बूस्टर टीका प्राथमिक टीके के तीन माह पश्चात करवाया जा सकता है। पुन: टीकाकरण प्रतिवर्ष कराया जा सकता है।
आंत्र विषाक्तता-
इससे निवारण के लिए प्राथमिक टीका 3 माह की आयु में ही करवाना चाहिए। साथ ही 3 से 4 सप्ताह के बाद बूस्टर टीकाकरण करवा सकते हैं। जबकि 6 माह व प्रतिवर्ष इसका पुन:टीकाकरण करवाया जा सकता है।
गलघोंटू-
बकरियों में गलघोंटू रोग से निवारण के लिए 3 माह की आयु में ही प्रथम टीकाकरण करवा सकते हैं साथ ही बूस्टर टीका ठीक 3 से 4 सप्ताह बाद करवाना चाहिए। तो वहीं 6 महीने व साल भर में पुन:टीकाकरण करवा सकते हैं।
इसके अधिक जानकारी के लिए किसान भाइयों आप केंद्रीय बकरी अनुसंधान केंद्र, मखदूम (मथुरा) पर भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। आप संस्थान के नं. 0565-2763320 पर कॉल कर अपनी किसी भी प्रकार की आशंका दूर कर सकते हैं।
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