जहां एक ओर देश स्वच्छ भारत (Swach Bharat) की तरफ रुख कर रहा है, तो वहीं दूसरी ओर युवा अपने नए-नए प्रयोगों से ऐसी मशीन तैयार कर रहे हैं, जो इको-फ्रेंडली (Eco-friendly) होती हैं. ऐसी ही एक ख़बर मुंबई (Mumbai) से भी आ रही है. बता दें कि मुंबई की रहने वाली डॉक्टर मधुरिता गुप्ता (Dr. Madhurita Gupta) ने अपने भाई रुपन गुप्ता (Rupan Gupta) के साथ मिलकर सोलर पावर (Solar Power) से चलने वाली सैनिटरी पैड डिस्पोजल मशीन (Sanitary Pad Disposal Machine) बनाई है.
सैनिटरी पैड्स और समस्या (Sanitary pads and problems)
भारत में आज भी पीरियड्स (Mensuration) लोगों के लिए एक टेबू (Taboo) है, लेकिन समय के साथ इन चीज़ों में बदलाव आ रहा है. पीरियड्स में इस्तेमाल किये जाने वाले पैड्स नॉन-बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक और सुपर-एब्जॉर्बेंट पॉलिमर के होते हैं, जिसके चलते इनको नष्ट करना एक बड़ी समस्या है. भारत में एक साल में करीब 1 लाख टन सैनिटरी पैड्स लैंडफिल में फेके जाते है. वहीं, वैज्ञानिकों के अनुसार, इनको डिकम्पोज़ होने में 500 से 800 साल लगते है.
बहन-भाई की कामयाबी (Sister-Brother Success)
अब समस्या का समाधान निकालना भी जरुरी हो जाता है, क्योंकि तभी विकास होता है. ऐसे में मुंबई के भाई-बहन ने मिलकर मशीन तैयार की है. यह किसी वरदान से कम नहीं है. इससे हम नेचर को नुकसान होने से बचा सकते हैं.
सोलर लज्जा मशीन है मल्टीटास्कर (Solar Lajja machine is a multitasker)
सोलर से चलने वाली सैनिटरी पैड डिस्पोजल मशीन का नाम सोलर-लज्जा रखा गया है. यह मशीन न केवल सैनिटरी पैड को डिस्पोज़ करेगी बल्कि इसमें PPE किट (PPE Kit), मास्क (Mask), डायपर (Dipper) जैसी चीज़ों को भी नष्ट करने की क्षमता है.
खास बात तो यह है कि इससे निकलने वाले खाद (Fertilizer) को इस्तेमाल कर मिट्टी की गुणवत्ता को भी बढ़ाई जा सकती है. अब तक सोलर-लज्जा मशीन 38 से ज्यादा शहरों (38 cities) में लगाई जा चुकी है.
मधुरिता को क्यों आया ये आईडिया (Why did Madhurita come up with this idea?)
मधुरिता पेशे से वेनेटरी डॉक्टर है, साथ ही यह बेस्ट मायवेट्स वाइल्डलाइफ फाउंडेशन की फौन्डिंग मेंबर है. मधुरिता बताती हैं कि जब वो जंगल में काम से गयी, तो उन्हें उस दौरान पता चला कि गांव दिहात की महिलाएं कितनी अनहाइजेनिक तरह से पीरियड्स में रहती है. इस दौरान महिलाएं बालू भरकर काम चलाती हैं. ऐसे में उन्होंने पैड बांटने शुरू किये, लेकिन फिर इसको फेंकने और डिस्पोज़ करने की समस्या सामने लगी.
मधुरिता आगे बताती हैं कि ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में पैड फेंकने के लिए महिलाएं दूर जाती हैं और उसमे लगे ब्लड से कई जानवर उनपर हमला भी कर चुके हैं. यह सब उनसे नहीं देखा जा रहा था, तो उन्होंने एक ऐसी मशीन का अविष्कार कर डाला, जो पैड्स को डिस्पोज़ कर सके. यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है, जिसकी जितनी सरहाना करें उतना कम है.
2019 में शुरू किया था स्टार्टअप (Startup started in 2019)
यह बात मधुरिता ने अपने भाई रूपन गुप्ता से साझा की. बता दें कि रूपन ने IIT और IIM से पढ़ाई की है और उनका एजुकेशनल बैकग्राउंड इंजीनियरिंग होने की वजह से उन्हें मशीनरी के बारे में काफी जानकारी थी. रिसर्च के बाद उन्होंने ‘‘सोलर लज्जा’ नाम से सोलर पावर सैनिटरी पैड इन्सिनरेटर मशीन का अविष्कार किया. साल 2019 में उन्होंने सोलर लज्जा को अपने स्टार्टअप ‘Arnav Greentech Innovations’ के जरिए लॉन्च किया.
क्या है सोलर लज्जा मशीन की ख़ासियत (What is the specialty of Solar Lajja Machine)
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पूरी तरह से इको-फ्रेंडली है
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यह मशीन सैनिटरी पैड के अलावा कई चीज़ों को डिस्पोज़ करती है.
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इसमें 25% कम एनर्जी की जरूरत होती है.
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एक दिन में 200 पैड्स डिस्पोज़ कर सकती है.
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इसकी राख को खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.
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इस मशीन को कहीं भी इनस्टॉल किया जा सकता है.
फ्यूचर प्लानिंग (Future Planning)
देश के हर कोने में मधुरिता की तारीफ हो रही हैं. अब हम महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और सिक्किम के कई शहरों और गांव में कई मशीन लगाई जा चुकी हैं. इसके अलावा मशीन की डिमांड जर्मनी, स्वीडन और स्पेन से आई है, जिसका काम साल 2022 में शुरू होगा.
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