प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज महाराष्ट्र के पालघर में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया. आज की परियोजनाओं में लगभग 76,000 करोड़ रुपये की लागत से वाढवण बंदरगाह की आधारशिला रखना और लगभग 1,560 करोड़ रुपये की 218 मत्स्य पालन परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास शामिल है. साथ ही पीएम मोदी ने लगभग 360 करोड़ रुपये की लागत से वेसल कम्युनिकेशन और सपोर्ट सिस्टम का राष्ट्रीय शुभारंभ किया. प्रधानमंत्री ने मछली पकड़ने के बंदरगाहों के विकास, उन्नयन और आधुनिकीकरण, मछली लैंडिंग केंद्रों और मछली बाजारों के निर्माण सहित महत्वपूर्ण मत्स्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी. उन्होंने मछुआरों के लाभार्थियों को ट्रांसपोंडर सेट और किसान क्रेडिट कार्ड भी वितरित किए.
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि आज पूरे देश में मछुआरों से जुड़ी 700 करोड़ रुपये से ज्यादा की परियोजनाओं का शिलान्यास किया गया है और 400 करोड़ रुपये से ज्यादा की परियोजनाओं का उद्घाटन भी किया गया है. उन्होंने वाढवण बंदरगाह, दिघी बंदरगाह औद्योगिक क्षेत्र के विकास और मत्स्य पालन के लिए कई योजनाओं का उल्लेख किया. प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि जब समुद्र से संबंधित अवसरों की बात आती है तो भारत का मछुआरा समुदाय सबसे महत्वपूर्ण भागीदार है.
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश
प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के लाभार्थियों के साथ अपनी बातचीत का स्मरण करते हुए, प्रधानमंत्री ने सरकारी योजनाओं और सेवा की भावना के कारण पिछले 10 वर्षों में इस क्षेत्र में बदलाव पर प्रकाश डाला. यह बताते हुए कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक देश है, प्रधानमंत्री ने बताया कि वर्ष 2014 में देश में 80 लाख टन मछली का उत्पादन होता था, जबकि आज 170 लाख टन मछली का उत्पादन होता है. उन्होंने कहा, "केवल 10 वर्षों में मछली उत्पादन दोगुना हो गया है." उन्होंने भारत के बढ़ते समुद्री खाद्य निर्यात के बारे में भी बताया और दस वर्ष पहले के 20 हजार करोड़ रुपये से भी कम की तुलना में आज 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक के झींगा निर्यात का उदाहरण दिया. “झींगा निर्यात भी आज दोगुना से अधिक हो गया है”, उन्होंने इसकी सफलता का श्रेय नीली क्रांति योजना को दिया, जिसने लाखों नए रोजगार के अवसर पैदा करने में सहायता की है.
1 लाख ट्रांसपोंडर स्थापित करने की योजना
मत्स्य पालन क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहन देने के सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने पीएम मत्स्य सम्पदा योजना के अंतर्गत हजारों महिलाओं की सहायता करने का उल्लेख किया. उन्होंने उन्नत प्रौद्योगिकियों और उपग्रहों के बारे में बात की और आज वेसल कम्युनिकेशन सिस्टम के शुरू होने का उल्लेख किया जो मछुआरा समुदाय के लिए एक आशीर्वाद बन जाएगा. पीएम मोदी ने घोषणा की कि सरकार मछुआरों द्वारा अपने परिवारों, नाव मालिकों, मत्स्य पालन विभाग और तट रक्षकों के साथ निर्बाध संपर्क स्थापित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले जहाजों पर 1 लाख ट्रांसपोंडर स्थापित करने की योजना बना रही है. प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे मछुआरों को आपातकाल, चक्रवात या किसी भी अप्रिय घटना के समय उपग्रहों की सहायता से संवाद करने में सहायता मिलेगी. उन्होंने आश्वासन दिया, "किसी भी आपात स्थिति के दौरान लोगों की जान बचाना सरकार की प्राथमिकता है."
110 से अधिक बनेंगे मछली पकड़ने वाले बंदरगाह और लैंडिंग केंद्र
प्रधानमंत्री ने बताया कि मछुआरों के जहाजों की सुरक्षित वापसी के लिए 110 से अधिक मछली पकड़ने वाले बंदरगाह और लैंडिंग केंद्र बनाए जा रहे हैं. प्रधानमंत्री ने कोल्ड चेन, प्रसंस्करण सुविधाओं, नावों के लिए ऋण योजनाओं और पीएम मत्स्य सम्पदा योजना का उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार तटीय गांवों के विकास पर अधिक ध्यान दे रही है जबकि मछुआरों के सरकारी संगठनों को भी मजबूत किया जा रहा है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार ने हमेशा पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए काम किया है और वंचितों को अवसर दिए हैं, जबकि पिछली सरकारों द्वारा बनाई गई नीतियों ने मछुआरों और आदिवासी समुदाय को हमेशा हाशिये पर रखा है, देश के इतने बड़े आदिवासी बहुल क्षेत्रों में आदिवासी समुदायों के कल्याण के लिए एक भी विभाग नहीं है. “यह हमारी सरकार है जिसने मछुआरों और आदिवासी समुदायों दोनों के लिए अलग-अलग मंत्रालय बनाए हैं. आज, उपेक्षित आदिवासी क्षेत्र पीएम जनमन योजना का लाभ उठा रहे हैं और हमारे आदिवासी और मछुआरे समुदाय हमारे देश के विकास में बहुत बड़ा योगदान दे रहे हैं.”
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