 
            ज़रा ध्यान से देखिएगा दिल दहला देने वाली इस तस्वीर को. ध्यान से इसलिए की कहीं ऐसा न हो आपके सौंदर्यता बौद्धता को ठेस पहुंच जाए. यह तस्वीर चीखती पुकारती हुई उस चौहद्दी से सवाल पूछती हुई दिख रही है, जिसे हम अपना मुल्क कहते हैं. अगर हम गलत नहीं है, तो कभी किसी तस्वीर में आपने इतनी बेबसी और लाचारी नहीं देखी होगी? यकीन नहीं होता, आज की तारीख में भी हमारे कैमरों की जद में ऐसी तस्वीरें आ सकती हैं. भला जहां चांद पर पहुंचने की बातें होती हो. अरे क्या बात कर रहे हैं, हम तो चांद पर पहुंच भी चुके हैं. अब तो चांद पर घर बनाने की बात होने लगी है. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि अब लोग चांद पर अपना ठिकाना अभी से ही आरक्षित कर रहे हैं. भला ऐसे आधुनिक युग में भी अगर हमारे कैमरों की जद में ऐसी तस्वीरें आएंगी, तो यकीनन दिल तो पसीजेगा ही.
बड़ी ही खामोशी के साथ अपनी गुरबत और बदहाली को बयां करती इस तस्वीर में कैद हो चुके किरदारों के ताल्लुकात अफ्रीकी देश मेडागास्कर से हैं. वहां अभी अकाल का आलम है. लोग अपनी नाकाम होती कोशिशों के बीच अपनी जिंदगी को महफूज रखने की कश्मकश में मसरूफ हैं. त्राहि-त्राहि कर रहे ये लोग अब जीने की आरजू खो चुके हैं. कल तक खिलखिलाते ये चेहरे आज खामोश हो चुके हैं. अब सब यही इल्तिजा कर रहे हैं कि उनका आने वाला कल आखिरी हो जाए. बेबसी के मंजर के बीच दूर-दूर तक उन्हें उम्मीद नहीं दिखती. यहां के बाशिंदे अब दो जून की रोटी के लिए भी मुहाल हो रहे हैं. रोटी न मिलने की नौबत में अब यह पत्तियां और टिड्डियां खाने को मजबूर हो चुके हैं. यह लोग केक्टस खाकर अपना पेट भर रहे हैं. खाने को थाली तो है, मगर अफसोस उसमे अनाज का एक दाना तक नहीं है. तन पर वस्त्र तक नहीं रह गए और ऊपर से कोरोना की इस महामारी ने उनके जख्मों को गहरा कर दिया.
फसलें नुकसान हो चुकी हैं. बंजर हो चुकी इनकी जमीनें फसल देने का नाम नहीं ले रही हैं. चरम पर पहुंच चुकी आकाली के बीच दो वक्त की रोटी को मुहाल लोग अब बर्बादी के कागार पर पहुंच चुके हैं. फसलों की पैदावार वहां ना के बराबर है. उनकी बदहाली अब इस कदर अपने चरम पर पहुंच चुकी है कि वे अब जिंदा रहने को ही अपना विकास समझने लगे हैं. यह यकीनन, बेहद ही दुखदायी स्थिति है.
संयुक्त राष्ट्र ने जताई चिंता
वहीं संयुक्त राष्ट्र ने मेडागास्कर की बदहाली पर चिंता जताई है और वक्त रहते इस देश के लिए कुछ हितकारी कदम उठाने का ऐलान किया है. संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद के डायरेक्टर ने कहा कि बच्चों की जिंदगियां अभी खतरे में हैं. इस देश में अधिकांश बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं. विकास जैसा शब्द अब इनके लिए कोई मायने नहीं रखता है.
इन्हें बस दो जून भर पेट रोटी मिल जाए यही इनके लिए विकास है. मेडागास्कर दुनिया के सबसे गरीब देशों की फेहरिस्त में शुमार है. यहां रहने वाले लोगों की बदहाली अब अपने चरम पर पहुंच चुकी है, लिहजा सभी एकजुट होकर मेडागास्कर के हित के लिए कोई कदम उठाएं.
 
                 
                     
                     
                     
                     
                                                 
                                                 
                         
                         
                         
                         
                         
                    
                
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