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कृषि को अब हमें नई सोच के साथ देखने की है जरुरत: पद्मश्री अवार्डी भारत भूषण त्यागी

kJ Chaupal: आज पद्मश्री अवार्डी भारत भूषण त्यागी ने कृषि जागरण ऑफिस का दौरा किया. भारत भूषण त्यागी ने केजे चौपाल में हिस्सा लिया, जहां उन्होंने कुछ गंभीर मुद्दों को उठाया.

KJ Staff
केजे चौपाल में पद्मश्री अवार्डी भारत भूषण त्यागी कृषि जागरण टीम को संबोधित करते हुए
केजे चौपाल में पद्मश्री अवार्डी भारत भूषण त्यागी कृषि जागरण टीम को संबोधित करते हुए

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के बिहटा के रहने वाले पद्मश्री अवार्डी भारत भूषण त्यागी ने शुक्रवार, 5 जुलाई, 2024 को कृषि जागरण ऑफिस का दौरा किया. भारत भूषण त्यागी ने जैविक खेती को बढ़ावा देते हुए खेती में कई तरह की सफल प्रयोग किया है. खेती को एक नया नजरिया देने में भारत भूषण त्यागी के योगदान को देखते हुए उनको देशभर में कई सम्मानों और पुरस्कारों से नवाजा गया है. वही अपने दौरे के दौरान, भारत भूषण त्यागी ने केजे चौपाल में हिस्सा लिया. जहां उन्होंने कुछ गंभीर मुद्दों को उठाया.

इस दौरान उन्होंने अनुसंधान करने वाले कृषि वैज्ञानिकों, नीति निर्धारित करने वाले मनीषियों, किसानों और पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि को अब हमें नई सोच के साथ देखने की जरुरत है. वही कृषि जागरण के द्वारा इसके मद्देनजर देशभर में एक बड़ी पहल की गई है. उसके लिए मैं कृषि जागरण को बहुत-बहुत हार्दिक बधाई देता हूं.

पद्मश्री अवार्डी भारत भूषण त्यागी, कृषि जागरण के संस्थापक एवं प्रधान संपादक, एम.सी. डोमिनिक, प्रबंध निदेशक- शाइनी डोमिनिक, ग्रुप एडिटर- ममता जैन
पद्मश्री अवार्डी भारत भूषण त्यागी, कृषि जागरण के संस्थापक एवं प्रधान संपादक, एम.सी. डोमिनिक, प्रबंध निदेशक- शाइनी डोमिनिक, ग्रुप एडिटर- ममता जैन

नवोन्मेषी किसान भारत भूषण त्यागी ने कृषि में ‘नई सोच’ पर प्रकाश डालते हुए कहा, “अब तक हमने जिन चीजों को देखा है उन्हें आधुनिकता के प्रभाव की वजह से बाजार से जोड़कर देखा है. किस कार्य को करने से हमें कितना पैसा मिलेगा. हालांकि, वह एक दौर था, लेकिन इस दौर में जो कृत्रिमता है, आदमी के जो अपने प्रयास हैं. आदमी की जो मनमानी है. वह अतार्किक तरीके से आगे बढ़ा, जिसके वजह से धरती को नुकसान हुआ है. चाहें बात ग्लोबल वार्मिंग की हो, समाज में असंतुलन की बात हो, आर्थिक असंतुलन की बात हो, और चाहें स्वास्थ्य और पर्यावरण के मुद्दे हों. इन सभी सवालों ने अब हमें घेर लिया है. ऐसे में हमें विचारवाद से हटकर प्रकृति की व्यवस्था को समझकर थोड़ा-सा आगे बढ़ने की जरुरत है. हरित क्रांति के समय हम जिन परिस्थितियों से आगे बढ़े थे. उस दौरान हमारे द्वारा जो भी क्रिया-कलाप अपनाए गए, वो सारे के सारे प्रकृति की अनदेखी के साथ आगे बढ़े. प्रकृति की व्यवस्था का कोई अध्ययन नहीं था.”

पद्मश्री अवार्डी भारत भूषण त्यागी ने आगे कहा, “कृषि जागरण के इस मंच के माध्यम से मैं यह कहना चाहूंगा कि आज आपके पास जो जमीन उपस्थित है. इस पर आप गंभीरता से विचार करें. यदि हम धरती के साथ पूरकता से नहीं रह पाएंगे, तो धरती के जो प्रभाव हैं वह प्रभाव झलने की मनुष्यों में ताकत नहीं है. ग्लोबल वार्मिंग हो, चाहें अचानक से घटित हो रही बहुत सारी घटनाएं हैं. ऐसे में खेती को कुछ नए आयाम देने की जरुरत है, ताकि किसान उत्पादक से व्यवसायी हो जाएं.”

केजे चौपाल में पद्मश्री अवार्डी भारत भूषण त्यागी और कृषि जागरण टीम
केजे चौपाल में पद्मश्री अवार्डी भारत भूषण त्यागी और कृषि जागरण टीम

भारत भूषण त्यागी ने आगे कहा, “देश में शिक्षित युवा वर्ग किसी प्रकार से उद्यमिता विकास के साथ आगे बढ़े. देश के नीति, अनुसंधान और शोध में लगे हुए वैज्ञानिक प्रकृति के व्यवस्था को समझने लगे. इस आधार पर हम दुनिया में जो आर्थिक असंतुलन बना हुआ हुआ है. इसका मुंह तोड़ जवाब दें.”

उन्होंने आगे आर्थिक असंतुलन के कारण पर प्रकाश डालते हुए कहा, “हमने जिस बाजारवाद के हाथों खेती को सौपा था उसमें लीकेज इकोनॉमी बढती चली गई. ऐसे में हमको देश और दुनिया में आवाज उठानी है कि जो सर्कुलर इकोनॉमी है उसको बदलना है. इसमें किसान उत्पादक संगठनों की बहुत बड़ी भूमिका है. 

पद्मश्री अवार्डी भारत भूषण त्यागी, कृषि जागरण के संस्थापक एवं प्रधान संपादक, एम.सी. डोमिनिक और कृषि जागरण टीम
पद्मश्री अवार्डी भारत भूषण त्यागी, कृषि जागरण के संस्थापक एवं प्रधान संपादक, एम.सी. डोमिनिक और कृषि जागरण टीम

साथ ही सरकार के द्वारा किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषक उत्पादक संघटन, सहकारिता और गांव के समृद्धि को जोड़कर जो कर्यक्रम देखे जा रहे हैं उसमें कृषि जागरण की बहुत बड़ी भूमिका है.”

उन्होंने आगे कहा, “ कोरोनाकाल के दौरान पूरी दुनिया यह सोचने पर मजबूर हुई कि यदि मनुष्य प्रकृति से दूर जाएगा तो उसका जीना असंभव होगा. ऐसे में हमको इन चीजों को बहुत तन्मयता से देखना है.”

English Summary: need to look at agriculture with a new mindset Padma Shri Awardee Bharat Bhushan Tyagi at kj chaupal Published on: 05 July 2024, 07:02 PM IST

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