समय के अनुसार हर एक चीज में परिवर्तन देखने को मिलता है। यह सब मानव जीवन की एक प्रक्रिया है। समय-समय पर बदलाव होना आवश्यक भी है। इसी तरह से कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें बहुत तेजी के साथ परिवर्तन हुए हैं। फिर चाहे बात बुवाई की हो, निराई-गुड़ाई की हो या फिर सिंचाई की हो। पहले एक किसान देशी तरीके से खेती करता था। उस समय न तो कोई मशीनरी थी, न ही कोई खास यन्त्र थे। आदिमानव काल में पत्थरों के बनाए यंत्रों से किसान खेती करते थे लेकिन अब यह सब पूरी तरह से बदल चुका है। खेती करने के तौर तरीकों में बदलाव हो रहे हैं। इससे देश की कृषि भी समृद्ध हो रही है। देश में बड़े पैमाने पर गन्ने का उत्पादन होता है, इसमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब और गुजरात जैसे राज्यों में गन्ने का उत्पादन किया जाता है। गन्ने की बुवाई से लेकर, सिंचाई, कटाई और पेराई तक पहले किसान बैलों की जोड़ी के माध्यम से किया करते थे , यह प्रक्रिया बहुत ही अधिक समय लेती थी, जिसमें कई दिन लग जाते थे। लेकिन बुवाई के तरीकों में बदलाव के साथ ही इसके काटने के तरीकों में भी बदलाव आए। इसमें शुगरकेन हार्वेस्टर ने बहुत ही अहम रोल निभाया है।
गन्ने के बड़े खेतों में फसल की कटाई करने के लिए बहुत अधिक लेबर की आवश्यकता होती है। इससे किसानों की लागत भी अधिक आती है। लेकिन शुगरकेन हार्वेस्टर ने यह काम और भी आसान कर दिया। शुगरकेन हार्वेस्टर के माध्यम से गन्ने के बड़े-बड़े खेतों में आसानी से उनकी हार्वेस्टिंग की जा सकती है। इससे समय और लागत दोनों में बचत होती है। देश में कई कंपनियां किसानों को शुगरकेन हार्वेस्टर का निर्माण कर किसानों को उपलब्ध करा रही हैं। इस यन्त्र का निर्माण करने वाली मुख्य कंपनियां शक्तिमान, न्यू हॉलैंड आदि हैं। यह कंपनियां भारत में ही नहीं बल्कि विश्व के कई बड़े देशों में भी इस हार्वेस्टर की मांग को पूरा कर रही हैं।
शुगरकेन हार्वेस्टर ने गन्ना किसानों को खेती के लिए एक नई दिशा दी है। इसका निर्माण करने वाली कंपनी शक्तिमान लगातार किसानों को इस कृषि यन्त्र के विषय में जागरूक करती आई है। इसकी कीमत थोड़ी अधिक है लेकिन जैसी इसकी कीमत है उससे कहीं अधिक यह कमाई भी करके देता है। किसान इसको खरीदकर दूसरे किसानों के खेतों में काम करके इसके वाणिज्यिक रूप दे सकते हैं और अच्छी कमाई कर सकते हैं। सरकार द्वारा भी इसकी खरीद पर अनुदान दिया जाता है। यदि शुगरकेन हार्वेस्टर की तकनीकी गतिविधियों पर एक नजर डालें तो इसमें बहुत सारे एडवांस तकनीक वाले विकल्प मौजूद हैं। शक्तिमान द्वारा बनाए गए शुगरकेन हार्वेस्टर में कई तरह की अत्याधुनिक तकनीक है।
एडवांस ट्रैकिंग सिस्टम (जीपीएस): यह हार्वेस्टर ट्रैकिंग तकनीक से लैस है। यानी यह हार्वेस्टर जहां पर भी होगा इसकी लोकेशन का आसानी से पता लगाया जा सकेगा। इसके अलावा हार्वेस्टर की कार्य प्रदर्शन का भी आसानी से पता लगाया जा सकेगा।
ऑटो क्लीनिंग सिस्टम: इस तकनीक के जरिए हार्वेस्टर के रेडिएटर की सफाई स्वतः हो जाती है। इसी के साथ इसमें धूल मिट्टी आदि से बचाव होता है। यह इंजन के तापमान को कंट्रोल रखता है।
कंट्रोल पैनल: इसमें लगे कंट्रोल पैनल के माध्यम से इंजन का तापमान, हाईड्रोलिक लेवल, ईंधन लेवल, बैटरी की जानकारी आदि उपलब्ध रहती है।
हाईड्रोलिक सिस्टम: हाईड्रोलिक सिस्टम कृषि यंत्रों की जान होता है। यह हार्वेस्टर आधुनिक तकनीक वाले हाईड्रोलिक सिस्टम से लैस है। इसमें उच्च गुणवत्ता वाले हाईड्रोलिक मोटर लगे हैं।
बेस कटर: उच्च गुणवत्ता वाले ब्लेडकटर होने की वजह से यह आसानी से गन्ने को जमीनीस्तर से काटते हैं। इससे विपरीत दिशाओं में भी गन्ने की कटाई आसानी से की जा सकती है।
इंजन असेंबली: यह छः सिलेंडर के साथ 174 एचपी डीजल इंजन से लैस है यह हार्वेस्टर जो कि बेहतर प्रदर्शन देता है।
रूफ टॉप एसी और ऑपरेटर केबिन: इसका केबिन पूरी तरह से एसी से लैस है और चालक को यह पूरी तरह से कम्फर्ट देता है चालक इसे आसानी से ऑपरेट कर सकता है।
इसमें 11 फीड रोलर है जबकि इसके चॉपर में 3 चाकू प्रति ड्रम लगे हैं। यह 15 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है। 208 लिटर का इसमें ईंधन टैंक लगा हुआ है। जबकि 130 लिटर का हाईड्रोलिक ऑयल टैंक है। इसके एक्सट्रैक्टर में 3 ब्लेड लगे हैं। इन सब फीचर के साथ यह शुगरकेन हार्वेस्टर किसानों को कई तरीके से फायदा पहुंचाता है।
वाणिज्यिक प्रयोग: शुगरकेन हार्वेस्टर का इस्तेमाल वाणिज्यिक रूप में किया जा सकता है। इसकी कीमत थोड़ी ज्यादा होने की वजह से इस पर सरकार द्वारा अनुदान भी दिया जाता है। किसान एक ग्रुप बनाकर भी इस कृषि यन्त्र को आसानी से खरीद सकते हैं। इस तरीके के कृषि यंत्रों ने कृषि का स्वरुप पूरी तरह से बदलकर वाणिज्यिक रूप में लाकर खड़ा कर दिया। जिससे किसानों को और अधिक लाभ मिलने की सम्भावनाएं बढ़ गई हैं।
कृषि जागरण मासिक पत्रिका, जनवरी माह
नई दिल्ली
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