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‘मर्चा चावल’ बनेगा खास, केंद्रीय कृषि मंत्री ने ICAR को रिसर्च के दिए निर्देश, किसानों से की बातचीत

बिहार का मर्चा चावल सिर्फ एक कृषि उत्पाद नहीं, बल्कि गांव की खुशबू, परंपरा और वैश्विक संभावना का प्रतीक बन चुका है. अब जब वैज्ञानिक इसकी उत्पादकता बढ़ाने में जुटेंगे, तो यह चावल देश-दुनिया की थाली में और भी सम्मान के साथ परोसा जाएगा.

लोकेश निरवाल
Marcha Rice
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान

बिहार की धरती एक बार फिर अपनी अनोखी खुशबू से देश-दुनिया का ध्यान खींच रही है. खासतौर पर मर्चा चावल जो बिहार के किसानों के द्वारा उगाई जा रही है. इस चावल की महक न केवल भोजनों को लज्जतदार बनाती है, बल्कि अब यह वैश्विक बाजार में अपनी पहचान भी बना रही है. 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' के अंतर्गत पूर्वी चंपारण के पीपराकोठी में जब केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से संवाद किया, तो कई अहम जानकारियाँ सामने आईं. किसानों ने बताया कि इस खास चावल का वर्तमान में प्रति हेक्टेयर उत्पादन 25 से 30 क्विंटल है, जबकि अन्य आम धान की किस्में 40 से 50 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन देती हैं.

देश-विदेश में इस मर्चा चावल को खरीदने के लिए किसानों के पास फोन आते हैं. आइए जाने कि केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसानों से क्या कुछ कहा...

किसानों की मांग – बेहतर बीज, ज़्यादा आमदनी

किसानों ने साफ कहा कि अगर मर्चा चावल का बेहतर बीज (ब्रीडर सीड) तैयार हो जाए, तो न केवल उत्पादन बढ़ेगा, बल्कि उनकी आमदनी में भी इज़ाफा होगा. इसकी मांग को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री ने ICAR (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) को निर्देशित किया है कि इस दिशा में तत्काल अनुसंधान शुरू किया जाए.

केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसानों के साथ की बातचीत
केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसानों के साथ की बातचीत

महक ही इसकी असली पहचान

इस चावल की सबसे बड़ी खासियत है इसकी तेज और प्राकृतिक सुगंध, जो पकते ही पूरे घर को महका देती है. इस चावल की इन्हीं खासियतों के चलते सरकार के द्वारा बिहार के इस मर्चा चावल को जीआई टैग भी दिया गया है. स्थानीय किसान आनंद कुमार ने बताया, "हमारे दादा-बाबा से लेकर अब तक हम इसी चावल की खेती कर रहे हैं. विदेशों तक से फोन आते हैं कि मर्चा चावल अमेरिका ले जाना है."

भंडारण की खास बात

जहां आम चावल 1-1.5 महीने में खराब हो जाते हैं, वहीं मर्चा चावल को अगर डीप फ्रीजर में रखा जाए, तो छह महीने तक इसकी गुणवत्ता बनी रहती है. यह इसकी निर्यात क्षमता को भी बढ़ाता है.

कीमत और बाजार

2013 के आसपास मर्चा चावल की कीमत 2000 रुपए प्रति क्विंटल थी, लेकिन आज यह 6000 रुपए प्रति क्विंटल तक बिक रहा है. हालांकि उत्पादन कम होने की वजह से इसकी उपलब्धता सीमित रहती है.

वैज्ञानिक सीधे किसानों के बीच

ICAR के वैज्ञानिक अब खुद खेतों में जाकर किसानों की ज़रूरत समझेंगे और उसी के अनुसार शोध करेंगे. अधिकारी ने कहा, "हमारा उद्देश्य यही है कि रिसर्च केवल लैब में न रह जाए, बल्कि खेत में किसानों के काम आए."

English Summary: Marcha rice Variety special Union Agriculture Minister instructions to ICAR for research farmers benefits Published on: 03 June 2025, 05:12 PM IST

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