कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा है कि भारत को अगले दो वर्षो में दलहनों का आयात करने की आवश्यकता नहीं होगी और इसकी घरेलू मांग को पूरा करने के मामले में देश आत्मनिर्भर होगा.
फसल वर्ष 2016-17 (जुलाई से जून) में दलहनों का उत्पादन दो करोड़ 29 लाख टन का हुआ जो उसके पिछले वर्ष एक करोड़ 63.5 लाख टन हुआ था. भारत ने पिछले वित्तवर्ष में 50 लाख टन दलहनों का आयात किया था.
दलहनों के भारी उत्पादन और घरेलू कीमतें नीचे आने के कारण हाल में सरकार ने दलहनों की कुछ किस्मों के आयात को रोक दिया जिसके कारण चालू वित्त वर्ष में आयात में कमी आयेगी.
बिजनेस स्टैंडर्ड अखबार द्वारा आयोजित कृषि गोलमेज सम्मेलन को संबोधित करते हुए राधा मोहन सिंह ने कहा, ‘‘पिछले वर्ष दलहनों का उत्पादन करीब 65 लाख टन बढ़ा. दो वषों के बाद हमें आयात करने की आवश्यकता नहीं होगी.’’ मंत्री ने कहा कि सरकार तिलहन उत्पादन को बढ़ाने पर भी ध्यान केन्द्रित कर रही है ताकि इसके आयात को कम किया जा सके.
सरकार के ग्रामीण भारत, गरीबों और किसानों के विकास के प्रति प्रतिबद्ध होने की बात को रेखांकित करते हुए सिंह ने कहा कि विगत तीन वर्षो में कई कार्यक्रमों की शुरुआत की गई है ताकि वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना किया जा सके.
राधा मोहन सिंह ने कहा कि सरकार ने सत्ता में आने के बाद कृषि क्षेत्र के लिए बजटीय आवंटन को बढ़ाकर 1,64,415 करोड़ रुपये कर दिया है जबकि वर्ष 2010-11 से वित्त वर्ष 2013-14 के दौरान 1,04,227 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था.
मंत्री ने कहा कि सरकार कृषि क्षेत्र में लागत और उत्पादन दोनों के बेहतर प्रबंधन पर जोर दे रही है. राधा मोहन सिंह ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना और नीम लेपित यूरिया जैसी योजनाओं की बात की जो उत्पादन की लागत को कम करने और उत्पादन को बढ़ाने में मदद करेगी.
उन्होंने कहा कि नई फसल बीमा योजना और देश की 585 थोक बिक्री मंडियों को इलेक्ट्रानिक प्लेटफॉर्म (ई.नाम) से जोड़ने का कार्यक्रम, किसानों को बेहतर लाभ सुनिश्चित करने में मदद करेंगे. उन्होंने कहा कि विगत तीन वर्षो में दूध, अंडे और मछलियों का उत्पादन 15 से 20 प्रतिशत बढ़ा है. सरकार के किसानों की आय बढ़ाने में मदद के लिए ‘मीठी क्रांति’ पर ध्यान देने के कारण शहद उत्पादन में वृद्धि हुई है.
सिंह ने किसानों की आय को बढ़ाने के लिए मूल्यवर्धन किये जाने की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि सरकार ने हाल में 6,000 करोड़ रुपये की ‘सपंदा’ योजना की पेशकश की ताकि देश में खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ाया जा सके.
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