केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि देश के छोटे किसानों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है. इस दिशा में कई महत्वपूर्ण योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है, ताकि खेती-किसानी की चुनौतियों को कम किया जा सके और किसानों की आमदनी को बढ़ाया जा सके. इसके साथ ही, भारत कृषि क्षेत्र में दुनिया में नंबर वन बनने की यात्रा पर चल रहा है.
केंद्रीय मंत्री तोमर ने यह बात आज आउटलुक एग्रोटेक समिट और स्वराज अवार्ड्स समारोह में कही. तोमर ने कहा कि हमारे देश के लिए कृषि अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है. कृषि की प्रधानता को हमने स्वीकार किया है, इस लिहाज से इसकी प्रगति, इसमें बदलाव, नीतियों का समावेशन, सहकार आदि की दिशा में काम किया जा रहा है. देश में 86 फीसदी छोटे किसान हैं, जिनके पास छोटा रकबा है और वे ज्यादा निवेश नहीं कर सकते है. इन किसानों को आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सरकार काम कर रही है, क्योंकि अगर इन 86 प्रतिशत किसानों का पलड़ा नीचे रहेगा तो न खेती आगे बढ़ेगी और न ही देश. सरकार ने इनकी ओर ध्यान देते हुए 10 हजार नए एफपीओ बनाने का काम शुरू किया है. इसके लिए 6865 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं. इनमें से तीन हजार एफपीओ बन चुके हैं. छोटे किसान इन एफपीओ से जुड़ते हैं तो खेती का रकबा बढ़ता है, किसानों की सामूहिक ताकत बढ़ती है. एक ही प्रकार की खेती होती है तो उत्पादन बढ़ेगा और किसान अच्छी कीमत हासिल कर सकेंगे. किसानों की आमदनी बढ़े, इसके लिए यह प्रयास किया जा रहा है.
तोमर ने कहा कि दलहन और तिलहन के क्षेत्र में भी सरकार काम कर रही है. दोनों ही अभावग्रस्त क्षेत्र थे. दलहन में किसानों ने उपक्रम किया और उत्पादन में बड़ी छलांग लगाई है. तिलहन में अभी गैप है, जिसके लिए सरकार तिहलन मिशन पर काम कर रही है. हम जानते हैं खाद्य तेलों को इंपोर्ट करना पड़ता है. हमारे देश में जितनी तेलों की खपत है, उसमें करीब 56 प्रतिशत पॉम आयल की खपत है, इसलिए पॉम ऑयल मिशन शुरू किया गया है, जिस पर सरकार 11 हजार करोड़ रुपए खर्च करेगी. देश में लगभग 28 लाख हेक्टेयर क्षेत्र पॉम ऑयल की खेती के लिए मुफीद है. पहले चरण में 6 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में पॉम की खेती बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है. तीन-चार साल बाद जब पॉम ऑयल की फसल आएगी तो आयात निर्भरता कम होगी.
केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि आज आवश्कता है कृषि क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने की, इसमें तकनीक का प्रवेश कैसे हो, निजी निवेश की उपलब्धता कैसे बढ़े, रोजगार के अवसर कैसे पैदा हों, इन सबको लेकर प्रधानमंत्री मोदी जी को खेती की विशेष चिंता है. यही कारण है कि सरकार की तरफ से जो योगदान हो सकता है, उस दिशा में काफी प्रयास हुआ है. 2014 के पहले कृषि बजट लगभग 22 हजार करोड़ रुपये होता था, जो आज 1.32 लाख करोड़ रुपये का है. किसान को सुरक्षा कवच मिले, इसके लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना संचालित की जा रही है. छह वर्षों में जहां किसानों की फसलों को नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई के लिए उन्हें 1.22 लाख करोड़ रुपए का भुगतान इस योजना में किया गया है. किसानों को आय सहायता मिल सके, इसके लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में साढ़े 11 करोड़ किसानों को अब तक 2.03 लाख करोड़ रुपए उनके खातों में जमा कराए गए हैं.
कृषि क्षेत्र में तकनीक की बात करते हुए तोमर ने कहा कि किसानों की पहुंच सरकार तक हो सके और सरकार सभी किसानों तक पहुंच सके, इसके लिए सरकार डिजिजल एग्री मिशन पर काम कर रही है. तकनीक के माध्यम से पारदर्शिता बढ़ेगी तो सभी किसानों को सारी योजनाओं का पूरा लाभ मिल सकेगा. डिजिटल एग्री मिशन के तहत सभी किसान, खेती के रकबे, शासन की योजनाओं, केंद्र व राज्य सरकारों और बैंकों को भी इस प्लेटफार्म पर ले आएंगे तो योजनाओं का लाभ आसानी से मिल सकेगा. किसानों को मशीनीकरण से जोड़ा जा रहा है. ड्रोन टेक्नोलॉजी को सरकार प्रमोट कर रही है. खेती में टेक्नोलॉजी और पारदर्शिता जितनी बढ़ेगी, उसका लाभ खेती को होगा और देश आगे बढ़ेगा.
कार्यक्रम में विभिन्न श्रेणियों में अवार्ड्स दिए गए. इस अवसर पर आउटलुक समूह के सीईओ इंद्रनील रॉय, स्वराज समूह के हरीश, नेशनल रेनफेड अथॉरिटी के सीईओ अशोक दलवई के साथ ही अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे.
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