केंन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने विश्व संतरा दिवस के अवसर पर कहा कि पिछले कई वर्षों में बागवानी फसलों पर अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं का बड़ा उत्साहजनक परिणाम रहा है। जिसके फलस्वरूप लगातार चार वर्षों से प्रतिकूल जलवायु की दशाओं में भी बागवानी फसलों का उत्पादन खाद्य फसलों से अधिक रहा है। चीन के बाद अपने भारत देश का बागवानी फसलों तथा फलों के सकल उत्पादन में द्वितीय स्थान है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2015-16 की अवधि में कुल 63 लाख हैक्टेयर भूमि से नौ करोड़ मीट्रिक टन से अधिक फलों का उत्पादन हुआ था जबकि एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2016-17 की अवधि में देश में लगभग 2.5 करोड़ हैक्टेयर भूमि से बागवानी फसलों का सकल उत्पादन लगभग 30 करोड़ मीट्रिक टन होने की आशा है। जिसमें फलों का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है। 65 लाख हैक्टेयर भूमि से 9.4 करोड़ टन फलोत्पादन हुआ है। भारत में क्षेत्रफल की दृष्टिकोण से नींबू वर्गीय फलों का दूसरा (10.37 लाख हेक्टेयर ) एवं उत्पादन की दृष्टि से तीसरा (1.2 करोड़ टन) स्थान है।
इस बीच कृषि मंत्री ने कहा कि नींबू वर्गीय फलों पर अनुसंधान, तकनीकी प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन के राष्ट्रीय स्तर पर समन्वयन के उद्देश्य से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा अखिल भारतीय फल फसल अनुसंधान परियोजना का देश के आठ राज्यों, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु, राजस्थान, असम, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश एवं कर्नाटक के दस केन्द्रों पर परिचालन किया जा रहा है जिनमें से क्षेत्र विशेष की आवश्यकतानुसार इन केन्द्रों पर नींबू वर्गीय फलों पर आवश्यक अनुसंधान, तकनीकी प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन कार्य किए जा रहे हैं। पिछले चार सालों की अवधि में भारत सरकार द्वारा इन केन्द्रों को रु. 14.23 करोड़ की धनराशि आवंटित की गई है।
उनके मुताबिक केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि बागवानी फसलों के समन्वित विकास के लिए कई महत्वाकांक्षी योजनाएँ चलाई जा रही हैं जैसे उन्नतशील उत्पादन तकनीकों से किसानों को अवगत कराना, उत्पादों के प्रसंस्करण और विपणन को बढ़ावा देना जिससे निर्यात को बढ़ावा मिल सके । इस हेतु अमरावती एवं नागपुर में 2 क्लस्टर विकसित किए जाएंगें।
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