सहजन का पौधा औषधीय गुणों से भरपूर होता है. खेती के साथ-साथ ये पशुपालन में भी फायदेमंद है. अनेक तरह के मल्टीविटामिन्स, एंटी आक्सीडेंट और दर्द निवारक तत्वों से भरपूर इस पौधें की पत्तियां उपज बढ़ाने में भी सहायक है. इसके घोल के छिड़काव से फसलों को लाभ होता है.
सरकार दे रही है 50 प्रतिशत का अनुदान (Government is giving 50 percent grant)
अच्छी बात ये है कि इस पौधे के औषधीय गुणों को देखते हुए बिहार सरकार ने भारी अनुदान देने का फैसला किया है. इस बारे में प्रेम कुमार (राज्य कृषि मंत्री) ने बताया कि सहजन को प्रोत्साहन देने के लिए 50 प्रतिसत अनुदान दिया जायेगा.
इसकी उत्पादकता बढ़ाने के लिए 17 जिलों को सहायता प्रदान की जाएगी. लागत के हिसाब से प्रति हेक्टेयर 74 हजार रुपए पर 37.5 हजार रुपए का अनुदान मिलेगा. प्रेम कुमार ने बताया कि सरकार ने वर्ष 2020-21 के लिए 353.58 लाख रुपए की योजना को स्वीकृत किया है.
दो किस्तों में मिलेगा अनुदान (Grant will be given in two installments)
जानकारी के मुताबिक अनुदान राशि दो किस्तों में दी जाएगी. पहली किस्त में 27,780 रुपए प्रति हेक्टयर दर से भुगतान किया जाएगा. जबकि दूसरी किस्त में 9250 रुपए प्रति हेक्टेयर का भुगतान होगा.
हो सकता है लाखों का मुनाफा (There may be a profit of millions)
सहजन की खेती के लिए विशेष मेहनत या देखभाल की जरूरत नहीं है. उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य के गांवों में तो ये आम तौर पर देखने को मिल जाता है. इसके सभी सभी अंगों की भारी मांग है.
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विशेषज्ञों की माने तो इसकी खेती हर मौसम में लाखों का फायदा करा सकती है. पत्ती, फूल, फल, बीज, डाली, छाल, जड़ें, बीज आदि कई उत्पादों में उपयोग होते हैं. भारत के अलावा एशिया और अफ्रीका में भी लोग इसे बहुत पसंद करते हैं. इस फसल के किसी भी बेकार पड़ी जमीन पर उगाया जा सकता है. भोजन के अलावा लोग इसे घरेलू दवाओं में भी उपयोग करते हैं.
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