
Kisan Drone Update: भारत में खेती को आधुनिक बनाने की दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है. इसके लिए सरकार के द्वारा महिला और पुरुष किसानों को हाईटेक खेती की ट्रेनिंग भी उपबल्ध करवाई जा रही है, जिससे वे उन्नत और आत्मनिर्भर किसान बन सकें. इसी कड़ी में देश के चार केंद्रीय कृषि मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थानों में ड्रोन पायलट प्रशिक्षण केंद्र खोले जा रहे हैं. पहला केंद्र बुदनी (मध्यप्रदेश) में शुरू होगा, जहां किसानों को ड्रोन उड़ाने की ट्रेनिंग/ Drone Flying Training दी जाएगी. इससे वे कीटनाशक, दवाओं और खाद का छिड़काव आसानी से कर सकेंगे.
खास बात यह है कि महिला किसानों को भी इसमें शामिल किया जाएगा, ताकि वे भी परिवार की खेती में तकनीकी मदद दे सकें. इस प्रशिक्षण के लिए कम से कम 10वीं पास होना जरूरी है. यह पहल किसानों को तकनीकी रूप से सक्षम बनाएगी और खेती को स्मार्ट और लाभकारी बनाने में मदद करेगी.
ड्रोन तकनीक का खेती में उपयोग
खेती में ड्रोन का उपयोग कई तरीकों से किया जा सकता है, जैसे:
- कीटनाशकों और खाद का छिड़काव
- फसलों की निगरानी और निरीक्षण
- खेतों की मैपिंग और डेटा संग्रह
- सिंचाई की आवश्यकताओं का विश्लेषण
इससे न केवल समय की बचत होती है, बल्कि महंगे संसाधनों का भी प्रभावी और सटीक उपयोग संभव होता है साथ ही, मजदूरी की लागत भी कम होती है.
ड्रोन पायलट प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना
देश के चार केंद्रीय कृषि मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थानों में ड्रोन पायलट प्रशिक्षण/Drone Pilot Training केंद्र बनाए जा रहे हैं. इन केंद्रों में किसानों को ड्रोन उड़ाने का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जाएगा. सबसे पहला और प्रमुख केंद्र मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले के बुदनी में स्थापित किया जा रहा है, जिसे केंद्रीय कृषि मशीनरी प्रशिक्षण एवं परीक्षण संस्थान (TTC) द्वारा संचालित किया जाएगा.
अन्य केंद्र निम्नलिखित स्थानों पर बन रहे हैं:
- हिसार (हरियाणा)
- गरलादिन्ने (आंध्र प्रदेश)
- बिस्वनाथ चारियाली (असम)
महिलाओं को भी मिलेगा प्रशिक्षण
इस योजना की एक खास बात यह है कि महिला किसानों को भी ड्रोन उड़ाने में प्रशिक्षित किया जाएगा इसका उद्देश्य यह है कि महिलाएं भी पुरुष किसानों के साथ मिलकर खेती में तकनीकी सहयोग कर सकें और आत्मनिर्भर बनें.
ड्रोन पायलट बनने के लिए जरूरी योग्यता
ड्रोन पायलट बनने के लिए कुछ बुनियादी योग्यताएं जरूरी हैं:
- न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता: 10वीं पास
- आयु सीमा: कम से कम 18 वर्ष
- किसी भी तकनीकी पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों को प्राथमिकता मिल सकती है.
- इच्छुक किसान चाहें तो ड्रोन प्रोग्रामिंग, रोबोटिक्स, या GIS मैपिंग जैसे कोर्स कर सकते हैं, जो उन्हें और दक्ष बनाएंगे.
प्रशिक्षण केंद्र की सुविधाएं
बुदनी में बनाए जा रहे केंद्र में:
- 20 सीटें होंगी.
- व्यावहारिक एवं सैद्धांतिक प्रशिक्षण दोनों दिए जाएंगे.
- केंद्र की तैयारियों का निरीक्षण नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) द्वारा किया जाएगा.
खेती में ड्रोन के फायदे
ड्रोन के जरिए खेती करने से किसानों को निम्नलिखित लाभ होंगे:
- समय की बचत: बड़े खेतों में दवाओं और खाद का छिड़काव जल्दी हो जाता है.
- सटीकता: फसल की जरूरत के अनुसार संसाधनों का उपयोग
- लागत में कमी: कम मजदूरी और कम फालतू खर्च
- उत्पादन में वृद्धि: पौधों की निगरानी से बीमारियों को समय पर पहचाना जा सकता है.
सरकार की दृष्टि और भविष्य की योजना
सरकार की मंशा है कि हर राज्य के किसान ड्रोन तकनीक से परिचित हों, ताकि खेती को एक नया आयाम मिल सके. इससे न केवल उत्पादन बढ़ेगा बल्कि किसानों की आमदनी में भी इजाफा होगा यह पहल प्रधानमंत्री के "डिजिटल इंडिया" और "डबल इनकम" विजन का हिस्सा है. आने वाले समय में इन प्रशिक्षण केंद्रों की संख्या बढ़ाई जा सकती है और किसानों को सब्सिडी पर ड्रोन भी उपलब्ध कराए जा सकते हैं.
नोट: ड्रोन पायलट बनने के लिए विभाग के पोर्टल www.agriharyana.gov.in पर जाकर विजिट करें.
लेखक: रवीना सिंह
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