परंपरागत रूप से वनौषधियों की पहचान रखने वाले छत्तीसगढ़ के किसान अब औषधीय पौधों की खेती की आधुनिक तकनीक सीखेंगे। छत्तीसगढ़ के 9 जिलों के 16 किसानों का दल एक सप्ताह के लिए गुजरात के आणंद स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद तथा औषधीय एवं सुगंधित पौध अनुसंधान निदेशालय के लिए रवाना हुआ। किसानों का यह दल वहां रहकर औषधीय पौधों की खेती के तौर-तरीके सीखेगा और वापस लौटकर प्रदेश के किसानों को इसकी जानकारी देगा।
छत्तीसगढ़ राज्य वनौषधि पादप बोर्ड के एमडी और पीसीसीएफ शिरीष चंद्र अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश के किसानों की आय दोगुनी करने के मुख्यमंत्री के लक्ष्य को पूरा करने में वनौषधि पादप बोर्ड भी योगदान देगा। इसी के तहत किसानों के इस दल को रवाना किया गया है। किसानों के साथ इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के दो छात्र भी आणंद गए हैं। किसानों के इस दौरे को बोर्ड प्रायोजित कर रहा है।
रायपुर, मतरी, दुर्ग, बालोद, कोरबा, बिलासपुर, कोरिया, कबीराम और राजनांदगांव जिले के चयनित किसानों को गुजरात भेजा गया है। ये किसान वहां औषधीय पौधों के संग्रहण और प्रसंस्करण की नवीन तकनीक सीखेंगे। उन्हें कच्चे उत्पाद का संग्रहण और उनसे हर्बल प्रोडक्ट बनाने की विधि भी सिखाई जाएगी। किसानों के इस दल को मास्टर ट्रेनर बनाने के उद्देश्य से भेजा गया है। वहां से लौटकर ये किसान अपने गांवों में किसानों को तकनीकी की जानकारी देंगे।
ज्ञात हो कि इसी महीने वनौषधि पादप बोर्ड ने वनौषधि 2018 नाम से एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन राजानी रायपुर में किया था। इस आयोजन में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लक्ष्य के अनुरूप 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का आह्वान किया था। उसी कड़ी में बोर्ड ने प्रदेश के किसानों को औषधीय पादपों की खेती से जोड़ने का निर्णय लिया है। इससे उनकी आय में इजाफा किया जा सकेगा।
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