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बलिया में बाढ़ से किसान पीड़ित: मुआवजे और राहत की सच्चाई!

Floods in Ballia: उत्तर प्रदेश के कई तहसील क्षेत्रों में बाढ़ से किसान पीड़ित हैं. 200 से अधिक किसान नदी के कटान के कारण भूमिहीन हो गए हैं. बांसडीह तहसील के भोजपुरवा क्षेत्र में भी 300 से अधिक छोटे काश्तकारों की ज़मीन नदी में समाहित हो गई है.

KJ Staff
बलिया में बाढ़ से किसान पीड़ित
बलिया में बाढ़ से किसान पीड़ित

उत्तर प्रदेश के कई तहसील क्षेत्रों में बाढ़ से किसान पीड़ित है. बैरिया तहसील के गोपाल नगर के किसान विजय शर्मा की तीन बीघा उपजाऊ जमीन 20 दिन पहले सरजू नदी में समाहित हो गई. नन्हकू यादव की 2 बीघा जमीन भी नदी में चली गई. 200 से अधिक किसान है, जो नदी के कटान के कारण भूमिहीन हो गए हैं. बांसडीह तहसील के भोजपुरवा क्षेत्र में भी 300 से अधिक छोटे काश्तकारों की जमीन नदी में समाहित हो गई है. पूरे जनपद में लगभग 700 से अधिक किसान है, जिनकी लगभग डेढ़ हजार एकड़ उपजाऊ भूमि इस साल नदी में समाहित हो चुकी है.

किसान अब लगान पर खेत लेकर खेती करने को विवश होंगे. बड़ी क्षति होने के बावजूद भी सरकार की ओर से इन किसानों पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है. कटान में ज़मीन गिरने पर सबसे कम मुआवजा इन किसानों को ही दिया जाता है. एक हेक्टर से कम ज़मीन गिरने पर किसानों को मात्र 5000 रूपये और एक हेक्टर जमीन पर संबंधित किसान को 47000 रूपये दिया जाएगा.

नदियों में ज़मीन गिरने पर अभी तक 225 किसानों को 14.98 लाख मुआवजा देने की बात जिला आपदा विभाग की ओर से कही जा रही है, लेकिन तहसील बैरिया के गोपाल नगर, टांडी या भोजपुरवा पूर्व क्षेत्र के किसानों को अभी तक ज़मीन की सहायता राशि नहीं मिली है. कटान में पक्का मकान गिरने पर ₹1.20 लाख, कच्चे मकान के लिए ₹12000 और झोपड़ी के लिए ₹8000 दिए जाते हैं. इस साल 55 पक्के मकान, चार कच्चे मकान, और 12 झोपड़ियों के लिए अनुदान राशि ₹71.76 लाख दिया गया है. कुछ किसानों का कहना है कि उनकी उपजाऊ भूमि चली गई लेकिन शासन स्तर से कोई मदद नहीं मिली है.

1. सुल्तानपुर क्षेत्र के विद्यासागर उपाध्याय का कहना है कि सरजू नदी के कटान में सुल्तानपुर क्षेत्र में तीन बीघा ज़मीन नदी में चली गई. मुआवजे के नाम पर कुछ भी नहीं मिला है. ब्लॉक द्वारा मेरे खेत में श्री अन्न की खेती कराई गई थी, लेकिन फसल के लिए कोई मुआवजा नहीं मिला.

2. सुल्तानपुर क्षेत्र के संजय लाल श्रीवास्तव का कहना है कि मेरी 36 बीघा ज़मीन सरजू की जलधार में बहकर समाप्त हो चुकी है. दो बीघा ज़मीन कटान के मुहाने पर है, जो भी कभी भी गिर सकती है. प्रशासन की तरफ से कोई मुआवजा नहीं मिला है, लेखपाल महोदय आए थे, पूछताछ कर चले गए.

3.गोपाल नगर टांडी के किसान सोनू यादव का कहना है कि मेरी तीन बीघा ज़मीन नदी में समाहित हो चुकी है. इसके बावजूद कोई मुआवजा नहीं मिला. हमारी मांग है कि किसानों को सर्किल रेट से मुआवजा दिया जाए, नहीं तो किसान कहीं के नहीं रहेंगे.

4. गोपाल नगर टांडी के किसान राकेश यादव का कहना है कि मेरी दो बीघा उपजाऊ जमीन नदी में समाहित हो चुकी है. कोई मुआवजा नहीं मिला है. दियरांचल में खेती से ही किसान सब कुछ करते हैं. खेत नहीं रहने पर किसानों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा.

डीप सिंह, अपर जिला अधिकारी बलिया ने बताया कि बाढ़ का पानी उतरने के बाद ज़मीन का आकलन कर सभी किसानों को भुगतान किया जा रहा है. अभी तक 225 किसानों को मुआवजा दिया गया है. पोर्टल पर ज़मीन गिरने का डाटा फीड किया जा रहा है, गृह अनुदान सभी को दे दिया गया है.

उप जिला अधिकारी बैरिया सुनील कुमार का कहना है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में छोटी नावें लगाई गई हैं. हर जगह लेखपाल निगरानी कर रहे हैं. बाढ़ पीड़ितों को राहत किट वितरित किए गए है और आवश्यकता के अनुसार अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध करवाई जा रही हैं.

लेखक

रवींद्रनाथ चौबे, ब्यूरो चीफ, कृषि जागरण
बलिया, उत्तर प्रदेश

English Summary: Farmers Suffer Due to Floods in Ballia: The Reality of Compensation and Relief Published on: 29 August 2024, 12:24 PM IST

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