Farmers Protest: केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा है कि प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बातचीत फिर से शुरू करने की तत्काल कोई योजना नहीं है, जो गुरुवार को अपनी अगली कार्रवाई की घोषणा करने के लिए तैयार हैं. केंद्र सरकार और किसानों के बीच हुई चार दौर की वार्ता बेनतीजा साबित हुई है. हालांकि, मंत्री ने कहा कि सरकार किसानों द्वारा उठाई गई मांगों का समाधान निकालेगी. यह पूछे जाने पर कि सरकार प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बातचीत कब शुरू करेगी, मुंडा ने कहा, "अभी नहीं."
दूसरी ओर, हरियाणा पुलिस द्वारा कथित तौर पर गोलीबारी के कारण 24 वर्षीय किसान की मौत के बाद 28 फरवरी तक अपना विरोध मार्च स्थगित करने के बाद किसान नेताओं द्वारा गुरुवार को अपनी अगली कार्रवाई की घोषणा करने की संभावना है. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने मृतक किसान के परिवार को 1 करोड़ के मुआवजे की घोषणा की है.
देर शाम तक किसान नेताओं के बीच बैठकें चलती रहीं. बिजनेसलाइन में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, किसान नेता अभिमन्यु कोहर ने कहा कि अगले कदम की सार्वजनिक घोषणा गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन में किए जाने की संभावना है. उन्होंने कहा कि अगले दौर की बातचीत के लिए नेताओं को अभी तक सरकार की ओर से कोई निमंत्रण नहीं मिला है.
केंद्र ने अपनी उपलब्धि पर प्रकाश डाला
इस बीच, केंद्र सरकार कृषि क्षेत्र के लिए किए गए कार्यों के बल पर किसानों का समर्थन जुटा रहा है. केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने बुधवार को कहा था कि नरेंद्र मोदी सरकार किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है और अब तक 'पीएम किसान सम्मान निधि' योजना के तहत 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक सीधे उनके बैंक खातों में स्थानांतरित किए जा चुके हैं. योजना के तहत, कुछ बहिष्करण मानदंडों के साथ, भूमि मालिक किसानों को तीन समान किस्तों में प्रति वर्ष 6,000 की आय सहायता हस्तांतरित की जाती है.
केंद्र ने एमएसपी के तहत तुअर और मक्का की गारंटीकृत खरीद की योजना पहले ही शुरू कर दी है. इसके अन्य फसलों तक भी विस्तारित होने की संभावना है, क्योंकि किसान नेताओं ने पांच फसलों- तुअर, उड़द, मसूर, मक्का और कपास के लिए एमएसपी के तहत पांच साल की खरीद योजना के इसके प्रस्ताव को खारिज कर दिया है.
क्या है किसानों की मांगें
किसान उत्पादन की C2 (व्यापक) लागत (स्वयं की भूमि की अनुमानित लागत सहित) से 50 प्रतिशत अधिक और उससे अधिक पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करने के लिए स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू करने और फसलों की खरीद की गारंटी के लिए एक कानून की मांग कर रहे हैं. एमएसपी सहित अन्य मांगों में 60 साल से अधिक उम्र के किसानों को बिना शर्त पेंशन और किसानों को पूरी तरह से कर्ज मुक्त किया जाना शामिल है. प्रारंभ में "दिल्ली चलो" मार्च संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और पंजाब के किसान मजदूर मोर्चा द्वारा बुलाया गया था. किसान की मौत के बाद अन्य सभी समूहों ने विरोध प्रदर्शन को समर्थन दिया है. सरकार ने ही पिछले चार दौर की तारीख और समय का प्रस्ताव दिया था, लेकिन इस बार अपने प्रस्ताव खारिज होने के बाद वह चुप्पी साधे हुए है. खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने पिछले सप्ताह कहा था कि संभवत: केंद्र अपने प्रस्तावों पर किसान नेताओं के साथ प्रभावी ढंग से संवाद नहीं कर सका, जिसे उन्होंने खारिज कर दिया. लेकिन उन्होंने भरोसा जताया कि गेहूं खरीद शुरू होने से पहले विरोध का जल्द ही समाधान कर लिया जाएगा.
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