जहां नजर जा रही है, वहां महज बंजर भूमि ही नजर आ रही है. तपिश भरी धूप में सूख चुकी धरा पर बैठकर किसी उम्मीद के आने की बाट जोह रहे किसान भाइयों के चेहरे पर बेहाली अपना ठिकाना बना चुकी है. जुबां पर खामोशी की चादर लपेटकर कुदरत की मेहरबानी के इंतजार में बैठे किसान भाई खुद की लाचारी के आगे घुटने टेक चुके हैं.
कल तक फसलों से लहलहाने वाले उनके खेत-खलिहान आज एक-एक बूंद पानी के लिए तरस चुके हैं. यह हाल किसी एक जिले का थोड़ी न है कि सुकून की चादर लपेट कर आराम फरमा लिया जाए, बल्कि ऐसा आलम तो प्रदेश के 27 जिलों का है. जी हां.. हम ओडिशा की बात कर रहे हैं, जहां के 27 जिले मौजूदा वक्त में सूखे की चपेट में हैं. किसान भाई त्राहि-त्राहि कर रहे हैं,. बारिश की एक बूंद भी किसान भाइयों को नसीब नहीं हो रही है.
एक तो पहले से ही इस साल बारिश ने देरी से एंट्री मारी है, जिससे प्रदेश के किसन बेहाल हैं. वहीं, आईएमडी ने किसान भाइयों की चिंता को यह कहकर और बढा दिया कि 30 अगस्त तक किसान भाइयों को प्रदेश में बारिश की एक बूंद भी नहीं दिखेगी. आईएमडी के मुताबिक, 1 जून से 24 अगस्त के बीच 584 मिलिमीटर बारिश रिकॉर्ड हुई है, जो कि प्रदेश में सामान्य बारिश से 31 फीसद से कम है.
आईएमडी के मुताबिक, प्रदेश के इन 27 जिलों में से सबसे ज्यादा 7 जिले प्रभावित हैं और संयोग देखिए इन सात जिलों में सबसे ज्यादा खेती होती है. उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या किया जाए. किसान भाइयों को न ही कुदरत की मेहरबानी नसीब हो रही और न ही हुकूमत की. अब ऐसे में किसान भाई अगला कदम क्या कुछ उठाते हैं.
यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा. बता दें कि जिन सात जिलों में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है, उसमें जजपुर 55 %, भद्रक 51%, बालांगिर 44%, केन्दुझर 42%, झारसुगुड़ा 40%, कालाहांडी 40% और अंगुल 40 शामिल है.
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