1. Home
  2. ख़बरें

उड़द खरीदी में गड़बड़ी की आशंका, निशाने पर 14 मंडियां...

प्रदेश में मुख्यमंत्री भावांतर भुगतान योजना के तहत शुरू हुई खरीदी में व्यापारी और किसानों के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। भोपाल, राजगढ़, गुना, आगर-मालवा, नरसिंहपुर के बाद अब विदिशा और हरदा में विवाद सामने आए हैं। इसका कारण व्यापारियों द्वारा औसत दर से कम पर खरीदी करने के साथ नकद भुगतान नहीं किया जाना माना जा रहा है।

भोपाल। प्रदेश में मुख्यमंत्री भावांतर भुगतान योजना के तहत शुरू हुई खरीदी में व्यापारी और किसानों के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। भोपाल, राजगढ़, गुना, आगर-मालवा, नरसिंहपुर के बाद अब विदिशा और हरदा में विवाद सामने आए हैं।

इसका कारण व्यापारियों द्वारा औसत दर से कम पर खरीदी करने के साथ नकद भुगतान नहीं किया जाना माना जा रहा है। उधर, सरकार को उड़द की खरीदी में गड़बड़ी की भी आशंका है। इसके मद्देनजर पांच जिलों की 14 मंडियों पर नजर रखने के निर्देश टास्क फोर्स को दिए गए हैं।

सूत्रों के मुताबिक तिल को छोड़कर भावांतर भुगतान योजना में शामिल सभी सातों फसलों के भाव समर्थन मूल्य से 300 रुपए से लेकर 3000 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक कम चल रहे हैं। अभी तक 35 से 36 हजार सौदे सोयाबीन के हुए हैं। इनमें औसत 26 रुपए प्रति क्विंटल का भाव किसानों को मिला है।

राजस्थान सहित अन्य राज्यों में भी यही भाव चल रहे हैं। उड़द को लेकर सबसे ज्यादा समस्या है। इसका औसत भाव प्रति क्विंटल 2 हजार 550 आ रहा है, लेकिन खरीदी इससे काफी कम भाव पर हो रही है।

सागर, विदिशा, रायसेन, गुना और नरसिंहपुर की 14 मंडियों में उड़द की खरीदी 16 सौ 98 रुपए से लेकर 23 सौ 78 रुपए क्विंटल तक हुई है। इसे देखते हुए आशंका जताई जा रही है कि यहां व्यापारी कहीं किसानों के साथ खेल तो नहीं कर रहे हैं। इसके मद्देनजर कृषि विभाग ने इन सभी मंडियों पर विशेष नजर रखने के निर्देश टास्क फोर्स को दिए हैं।

कलेक्टर से की पूछताछ, भाव क्यों आ रहे हैं कम

सागर की खुरई और बीना मंडी में प्रति क्विंटल 21 सौ 57 और 22 सौ 66 रुपए में खरीदी होने पर प्रमुख सचिव कृषि डॉ. राजेश राजौरा ने कलेक्टर से पूछताछ की। जब उनसे इसकी वजह पूछी गई तो उन्होंने बताया कि वे स्वयं मंडी गए थे और वहां पड़ताल की तो पता चला है कि उड़द की गुणवत्ता कमजोर थी। इसके कारण व्यापारियों ने बोली आगे नहीं बढ़ाई।

व्यापारी नकद भुगतान के लिए तैयार नहीं

उधर, सरकार की ओर से बार-बार समझाइश दिए जाने के बावजूद ज्यादातर व्यापारी नकद भुगतान करने के लिए तैयार नहीं है। 10 से 20 हजार रुपए ही नकद दिए जा रहे हैं। इसके बाद सौदे की बाकी रकम एक माह बाद की तारीख के चेक के जरिए दी जा रही है। आष्टा मंडी ही ऐसी है, जहां पचास हजार रुपए तक नकद भुगतान हो रहा है।

इसके मद्देनजर कृषि विभाग ने निर्देश दिए हैं कि व्यापारियों से भुगतान के मामले में मंडी एक्ट का पालन कराया जाए। इसमें चेक से भुगतान का प्रावधान ही नहीं है। आरटीजीएस के माध्यम से सीधे किसान के खाते में रकम डालने की व्यवस्था है। आयकर विभाग के नकद लेन-देन से जुड़े प्रावधान भी मंडी और व्यापारियों को भेजे जा रहा है।

गेट पर एंट्री और उत्पादन का सत्यापन

प्रमुख सचिव कृषि डॉ. राजेश राजौरा ने बताया कि योजना में एक बार खरीदी गई उपज दोबारा बिकने न आ जाए, इस पर रोक लगाने के लिए मंडी के गेट पर एंट्री कराई जाएगी। उत्पादन का भी सत्यापन पटवारियों के माध्यम से कराया जाएगा। साथ ही मंडियों को निर्देश दिए हैं कि औसत दर से कम पर यदि बिक्री हो रही है तो उपज का सैंपल रखा जाए। एक बार में नीलामी की प्रक्रिया को पूरा न करते हुए आधा घंटे बाद दोबारा कोशिश की जाए।

 

 

English Summary: Due to the disturbance of urad purchase, 14 targets on target ... Published on: 27 October 2017, 03:56 AM IST

Like this article?

Hey! I am . Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News