चक्रवाती तूफान ‘बुलबुल’ के दंश से अभी पश्चिम बंगाल उबर भी नहीं पाया कि एक ऐसे ही तूफान ने फिर राज्य में तबाही मचाने के लिए दस्तक दी है. कोलकाता स्थित अलीपुर मौसम विभाग के मुताबिक दक्षिण मध्य बंगोप सागर में घनीभूत चक्रवाती तूफान ‘अम्फन’ मजबूत होकर पश्चिम बंगाल की ओर बढ़ने लगा है. बंगाल की खाड़ी में उठे चक्रवाती तूफान ‘अम्फन’ से पश्चिम बंगाल में एक बार फिर जानमाल की भारी क्षति होने की आशंका बढ़ गई है. बुधवार को दोपहर या शाम को तेज रफ्तार के साथ चक्रवाती तूफान ‘अम्फन’ के पश्चिम बंगाल में दीघा और बांग्लादेश में हटिया द्वीप से टकराने की प्रबल संभावना है. इसके चलते अगले 12 घंटों में कोलकाता और आसपास के क्षेत्रों में बारिश होने का अनुमान है. मौसम विभाग के मुताबिक, बुधवार 20 मई को 155 किलो मीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलकर अम्फन अपना असर दिखाएगा. इससे कोलकाता समेत उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, हावड़ा, हुगली और पूर्व मेदिनीपुर आदि तटवर्ती जिलों में भारी क्षति होने की आशंका है. तूफान की गति 155 से 195 किलो मीटर प्रति घंटा तक हो सकती है. हालात के मद्दे नजर ममता बनर्जी की सरकार ने सभी जिला प्रशासन को सतर्क किया है. बचाव व राहत के लिए एहतियात के तौर पर कारगर कदम उठाए जा रहे हैं. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर अखबार, टीवी और अन्य समाचार माध्यमों में विज्ञापन देकर तूफान के मद्दे नजर लोगों को सतर्क रहने को कहा जा रहा है.
राज्य सचिवालय नवान्न सूत्रों के मुताबिक तटवर्ती जिलों में एतहतियार के तौर पर कारगर कदम उठाए गए हैं. दक्षिण 24 परगना के सागर, रायदीघी, बकखाली और फ्रेजरगंज आदि तटवर्ती क्षेत्रों में माइक से प्राचर किया जा रहा है. राज्य के आपदा प्रबंधन दल और एनडीआरएफ की टीमें भी सागरद्वीप और नामखाना पहुंच गई है. तटवर्ती क्षेत्र के लोगों को सुरक्षित स्थानों और राहत शिविवरों में ले जाने की तैयारियां शुरू कर दी गई है. सुंदरवन क्षेत्र में फेरी सेवा बंद कर दी गई है और मछुआरों को समुद्र में जाने से मना कर दिया गया है.
चक्रवाती तूफान अम्फन के तेज रफ्तार के साथ बुधवार को पूर्व मेदिनीपुर के दीघा से होकर गुजरने की प्रबल संभावना है. इसलिए पूर्व मेदिनीपुर में विशेष सतर्कता जारी की गई है. वहां भी आपदा प्रबंधन और एनडीआरएफ की टीमें भेज दी गई है. आठ राहत शिविर तैयार किए गए हैं. कच्चे मकान से लोगों को निकाल कर सुरक्षित स्थानों जैसे स्कूलों व क्लबों में ठहराने की व्यव्था की गई है. सरकार ने पूर्व मेदिनीपुर जिला प्रशासन को चक्रवाती तूफान के मद्दे नजर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया गया है. जिला प्रशासन को पर्याप्त त्रिपाल और सूखा खाना की व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है.
पश्चिम बंगाल के बाद ओड़िशा दूसरा राज्य होगा जिसके अम्फन की चपेट में आने की आशंका बनी बनी हुई. प्राप्त सूचना के मुताबिक ओड़िशा सरकार ने भी एहतियात के तौर पर बचाव की तैयारियां शुरू कर दी है. मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने तटवर्ती क्षेत्रों से 11 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने और जिला प्रशासन को एहतियात के तौर पर बचाव व रहात कार्य के लिए समुचित तैयारी करने का निर्देश दिया है. ओड़िशा में भी एनडीआरएफ की टीमें पहुंच गई है. पूरी व गजपति से लेकर राज्य के अन्य तटवर्ती क्षेत्रों में प्रशासन ने लोगों की जानमाल की रक्षा के लिए कारगर कदम उठाए हैं.
पिछले छह माह और एक साल के अंतराल में पश्चिम बंगाल और ओड़िशा को दूसरी बार इस तरह के प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ रहा है. पिछले साल नवंबर में चक्रवाती तूफान ‘बुलबुल’ ने पश्चिम बंगाल में भारी तबाही मचाई थी जिसमें राज्य को 23 हजार 811 करोड़ रुपए की क्षति हुई थी व 14 लोग काल के गाल में समा गए थे. बुलबुल से पश्चिम बंगाल में 14 लाख 89 हजार 924 हेक्टेयर क्षेत्र में फसलें नष्ट हुई थी. पिछली बार से सबक लेते हुए इस बार तूफान के आने से पहले पश्चिम बंगाल के कुछ जिलों में तैयार धान की फसल की कटाई भी शुरू कर दी गई है.
दूसरी ओर पिछले साल मई में ओड़िशा में आए चक्रवाती तूफान ‘फणी’ से भारी जानमान की क्षति हुई थी. फणी से हुई तबाही में ओड़िशा में 9 हजार 336 करोड़ रुपए का का नुकसान हुआ था और 64 लोगों की मौत भी हुई थी. मौसम विशेषज्ञ ओड़िशा में 1999 में आए भयंकर चक्रवाती तूफान के साथ एम्फन की तुलना कर रहे हैं. 1999 की तुलना में यह संकट इस मामले में और गंभीर हो गया है जब पूरा देश कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से जूझ रहा है. पश्चिम बंगाल और ओड़िशा के अतिरिक्त बिहार, झंरखड, त्रिपुरा, मिजोरम औप मणिपुर में भी मौसम का रुख कुछ बदल जाएगा.
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