कल तक मायूस रहने वाले चेहरे खिलखिलाना शुरू ही हुए थे कि एक बार फिर कोरोना के इस कहर ने सबको बुरी तरह झकझोर कर रख दिया. एक बार फिर इस कोरोना ने लोगों की आमद से गुलजार रहने वाली गलियों को वीरान कर दिया है. कोरोना का कहर जिस तेजी से लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रहा है, उससे तो यह साफ है कि अगर यह सिलसिला यूं ही जा रहा, तो फिर वो दिन दूर नहीं जब मानव समुदाय के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगेगा. कुछ ऐसा ही हाल हमारे मजदूर भाइयों का भी है. इतने मुश्किल से तो हमारे मजदूर भाइयों की बदहाल हो चुकी स्थिति दुरूस्त होना शुरू हुई थी, मगर कोरोना के इस खौफनाक कहर ने उन्हें एक बार फिर से मायूसी के उस सैलाब में लेजाकर सराबोर कर दिया है, जिससे वो अभी बाहर निकलकर ही सामने आए थे.
हमारे मजदूर भाइयों को इस लॉकडाउन से जिस तरह का मानसिक तनाव व पीड़ा का सामना करना पड़ है, उसे शायद ही कभी पैसों की कीमत से नहींभरा जा सकेगा, मगर केजरीवाल सरकार ने मजदूरों को दुख, दर्द व पीड़ा को समझते हुए 5 हजार रूपए देने का ऐलान कर चुकी है. यकीनन, यह रकम कुछ खास तो नहीं, मगर विपदा की इस घड़ी में हमारे मजदूर भाइयों के लिए महज 5 हजार रूपए की राशि बड़ी राहत का सबब बनकर उभरेगी.
आपको बता दें कि विगत लॉकडाउन में भी दिल्ली सरकार ने मजदूरों की मदद के लिए उनके खाते मे 4 हजार रूपए दिए थे, जो आर्थिक विपदा के बीच में हमारे मजदूर भाइयों के लिए राहत का सबब साबित हुए थे. गौर करने वाली बात यह है कि दिल्ली में कुल 2 लाख 10 हजार 685 पंजीकृत श्रमिक हैं. विगत वर्ष दिल्ली सरकार ने मजदूरों को राशि आवंटित करने के लिए 58.88 करोड़ रूपए महज मजदूरों कें लिए आवंटित किए गए थे.
उधर, दिल्ली सरकार का कहना है कि अबतक 1,05,750 मजदूरों के खाते में 52.88 करोड़ रूपए की राशि जा चुकी है. इसके इतर निर्माणाधीन मजदूरों को खाना मुहैया कराने के लिए 7 हजार खाने के पैकेट बांटे गए हैं. वहीं, अब दो तीन दिनं के अंदर मजदूरों की सहायता के लिए सहायता नंबर भी शुरू किए जाएंगे.
गौरतलब है कि जब केजरीवाल सरकार ने इस बार सात दिनों के लॉकडाउन का ऐलान किया था, तब उन्होंने अपने दिए बयान में साफ कह दिया था कि मजदूर भाई मेहरबानी करके दिल्ली छोड़कर न जाए, क्योंकि यह लॉकडाउन छोटा होगा. उन्होंने यह भी कहा था कि हम उम्मीद करते हैं कि हमें इसकी अवधि न बढ़ानी पड़े, मगर मौजूदा समय में जिस तरह से कोरोना का कहर अपने चरम पर है, उसे देखकर स्थिति कुछ अलहदा नजर आ रही है.
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