अमरूद की तासीर शीतल होती है। यह पेट के अनेक विकार दूर करता है। इसे भोजन के बाद खाने से कब्ज, अफारा व मंदाग्रि की शिकायत नहीं होती। अमरूद के बीजों को भी औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसके बीज को दरदरा पीसकर उसमें शक्कर व पानी मिलाकर पीने से पित्त संबंधी विकार दूर हो जाते हैं।
अमरूद का पका हुआ फल खाने में उपयोग किया जाता है, कच्चे फलों को उसके तीखे स्वाद के कारण खाया नहीं जाता है। अमरूद में संतरा व नींबू की तुलना में 4 से 10 गुना अधिक विटामिन-सी पाया जाता है।
पेट में जलन हो, गुडगुडहाट हो, हाथ पैरों में जलन होती हो, तो हररोज भोजन के एक घंटे बाद पके हुए एक अमरूद का सेवन करें। इससे इन रोगों का शमन होता है। सर्दी जुकाम में अमरूद के बीजों का चूर्ण पानी के साथ लेने से जल्दी आराम मिलता है। अमरूद के पत्तों को चबाने या इसके पत्तों के काढे में फिटकरी मिलाकर कुल्ला करनेसे दांतों का दर्द दूर हो जाता है। अमरूद के छोटे-छोटे टुकडे करके पानी में डालकर कुछ समय बाद पानी को छानकर पीने से डायबिटीज या बहुमूत्रता के कारण बार-बार लगने वाली प्याज दूर होती है।
अनेक बीमारियों का एकमात्र इलाज अमरूद...
अमरूद की तासीर शीतल होती है। यह पेट के अनेक विकार दूर करता है। इसे भोजन के बाद खाने से कब्ज, अफारा व मंदाग्रि की शिकायत नहीं होती। अमरूद के बीजों को भी औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।
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