गुजरात के शहर अहमदाबाद से लगभग 120 किमी दूर अरवल्ली जिले के डोडिया गांव की पहचान अब औषधीय गांव के नाम से होने लगी है. इस गांव की खासियत है कि यहां के हर घर में औषधीय पौधे लगे हुए है जोकि किसी न किसी रूप से स्वास्थय के लिए काफी लाभदायक है. इस गांव के सरपंच की पहल पर यह काम शुरू हुआ है. यहां की जिस भी सोसायटी को औषधि पौधे का नाम दिया गया है उस पौधे को सोसाइटी के हर घर में दिया गया है. औषधीय पौधे पूरे गांव की 20 सोसाइटी में बांटा गया है.
संरपच की पहल पर औषधीय नाम (Medicinal names on the initiative of the sarpanch)
इस गांव के सरपंच नानाभाई के दिमाग में गांव को औषध गांव बनाने का विचार आया था. जून 2019 में उन्होंने सभी ग्रामीणों की बैठक को बुलवाया और अपनी बात को रखा. सभी से विचार विमार्श करने के बाद उन्होंने इस कार्य की शुरूआत भी कर दी है. बाद में योजना पर अमल हुआ और गांव के 300 से ज्यादा घरों को बांटकर कुल 20 सोसाइटी में बांट दिया. इन सभी सोसाइटी को तुलसी वन सोसाइटी, एलोवेरा, अश्वागंधा, बारहमासी, ब्राम्ही, आवंला जैसे नाम को दिया गया है. इस अभियान में वन विभाग और रिलायंस फाउडेंशन ने काफी मदद की है. इससे लोगो को भी काफी औषधीय पौधों के बारे में जानकारी मिली है.
दूर-दूर से देखने आते लोग (People coming from far and wide)
गुजरात के इस औषध गांव को लोग काफी दूर-दूर से देखने आते है. इस गांव को अब ऐसी पहचान मिलने लगी है कि अब लोग इसको औषध गांव के नाम से जानने लगे है. गांव को अलग - अलग औषधीय पौधों के सहारे नई तरह की पहचान मिली है. यह औषध पौधे लोगो के काफी काम आता है और स्वास्थय के लिए काफी लाभदायक होते है.
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गांव के लोगों को देगें औषधीय जानकारी (Will give medicinal information to the people of the village)
सरपंच के बेटे का कहना है कि आने वाले समय में वह सोसायटी के और सदस्यों को भी जोड़ेंगे. यहां का पूरा का पूरा समूह गांव के लोगों को औषधीय फसलों के बारे में पूरी जानकारी देगा. वह कहते है कि यह एक गर्व की बात है कि डोडिया गांव यहां का पहला हर्बल गांव है. यह पौधे बेहद ही उपयोगी होते है. आने वाले समय में इस तरह की औषधीय पौधों से संबंधित और योजना पर कार्य किया जाएगा.