देश में पाए जाने वाले हर एक पेड़-पौधे में कोई ना कोई औषधीय गुण जरूर छिपा होता है. कई बीमारियों का इलाज पेड़-पाधों की ज़डी-बूटियों में होता है. हमारे देश में कई प्रकार के पेड़ और वृक्ष पाए जाते हैं, जिनमें गजब के औषधीय गुण होते हैं. आज हम इस लेख में औषधीय गुणों से भरे कुछ ऐसे ही पेड़-पाधों की जानकारी देने जा रहा है.
अमलतास का पेड़ (Amaltas)
इस पेड़ को बाग की सुंदरता को बढ़ाने के लिए लगाया जाता है. यह अक्सर बाग- जंगलों में ही उगता दिखाई देता है. इसका वानस्पतिक नाम केस्सिया फ़िस्टुला है, जिसके पत्तों और फूलों में ग्लाइकोसाइड पाया जाता है. इसके अलावा तने की छाल में टैनिन, जड़ की छाल में टैनिन, ऐन्थ्राक्विनीन, फ्लोवेफिन, फल के गूदे में शर्करा, पेक्टीन, ग्लूटीन जैसे रसायन होते हैं. अगर पेट दर्द में इसकी तने की छाल को कच्चा चबाया जाए, तो दर्द से एकदम राहत मिल जाती है.
गुन्दा का पेड़ (Gunda Tree)
यह पेड़ मध्यभारत में ज्यादा दिखाई देता है. इसको एक विशाल पेड़ के रूप में माना जाता है, जिसके पत्ते चिकने होते हैं. बता दें, कि इसकी लकड़ी का उपयोग इमारत बनाने में ज्यादा किया जाता है. इसको रेठु नाम भी जाना जाता है, तो वहीं इसका वानस्पतिक नाम कार्डिया डाईकोटोमा है. अगर इसकी छाल को पानी के साथ उबालकर पीया जाए, तो इससे मसूड़ों की सूजन, दांतो का दर्द और मुंह के छालों से छुटकारा मिलता है.
अर्जुन का पेड़ (Arjun Tree)
यह पेड़ अक्सर जंगलों में पाया जाता है. इसके फल जब कच्चे होते हैं, तो हरे दिखाई देते हैं. फल पकने के बाद भूरे लाल रंग के हो जाते हैं. इशका वानस्पतिक नाम टर्मिनेलिया अर्जुना है. इसकी छाल का औषधीय महत्व बहुत ज्यादा है, क्योंकि इसमें कई तरह के रासायनिक तत्व होते हैं. बता दें कि इनमें कैल्शियम कार्बोनेट, सोडियम और मैग्नीशियम पाया जाता है. इसकी छाल का चूर्ण बनाकर गुड़, शहद या दूध के साथ पाने से दिल के रोग का इलाज हो सकता है.
कचनार का पेड़ (Kachnar Tree)
इस पेड़ के फूल हल्के गुलाबी लाल और सफ़ेद रंग के होते हैं. इसको घर, उद्यान और सड़क किनारे ज्यादा लगाया जाता है, ताकि उनकी सुंदरता को बढ़ाया जा सके. इसका वानस्पतिक नाम बाउहीनिया वेरीगेटा है, तो वहीं इसी पत्तियों को सोना-चांदी भी कहा जाता है. इसकी जड़ों को पानी में कूचलकर पीने से जोड़ों के दर्द और सूजन में आराम मिलता है. इसके साथ ही मधुमेह की शिकायत भी दूर हो जाती है.
अशोक का पेड़ (Ashoka tree)
यह पेड़ हमेशा हरा-भरा दिखाई देता है. कहा जाता है कि इसके नीचे बैठने से शोक दूर हो जाता है. इस पर सुंदर, पीले और नारंगी रंग फ़ूल उगते हैं. इसका वानस्पतिक नाम सराका इंडिका है. माना जाता है कि इसकी छाल को कूटने के बाद पीस लें, फिर एक कपड़े की मदद से छान लें. इसके बाद शहद में मिलाकर सेवन करें. इस तरह कई बीमारियों से निज़ात मिल जाती है.
फालसा का पेड़ (Phalsa Tree)
यह एक मध्यम आकार का पेड़ है. इस पर छोटी बेर के आकार के फल उगते हैं. इसका वानस्पतिक नाम ग्रेविया एशियाटिका है. कहा जाता है कि इसका फल खून की कमी को पूरा करता है. इसके अलावा शरीर में कहीं जलन हो, तो इसके फल को सुबह-शाम खाने से आराम मिल जाता है. इसके साथ ही चेहरे पर इसकी पत्तों को पीसकर लगाने से दाग-धब्बे ठीक हो जाते हैं.
पीपल का पेड़ (Peepal Tree)
इसका वानस्पतिक नाम फ़ाइकस रिलिजियोसा है, जो कई औषधीय गुण से भरपूर है. इसकी छाल और पत्तियों का चूर्ण खाने से मुंह में छालों को आराम मिलता है. खास बात है कि पीपल चर्म रोगों को ठीक करने में कारगर साबित है.