देशभर में कई प्रकार के औषधीय पौधे उगाए जाते हैं, जिनमें गुड़मार का नाम भी आता है. इसका वानस्पतिक नाम जिमनामा सिल्वेस्ट्रे (Gymnema Sylvestre) है. इसके पत्ते काफी लाभदायक होते हैं, इसीलिए गुड़मार को मधुमेह का दुश्मन और लिवर का टॉनिक कहा जाता है.
बता दें कि भारत में मधुमेह (Diabetes) की बीमारी काफी तेजी से बढ़ रही है. इसके साथ ही लिवर से संबंधित समस्याएं भी चिकित्सकों के लिए बड़ी चिंता का विषय बनी हुई हैं. ऐसे में गुड़मार के पत्तों से बनी दवा काफी कारगर साबित हो सकती है. आइए आपको गुड़मार की खेती (Gudmar Farming) सबंधित ज़रूरी जानकारी देते हैं.
क्या है गुड़मार (What is gudmar)
यह एक बेलनुमा पौधा है, साथ ही यह एक काष्ठयुक्त रोएंदार लता है. इस पर पीले भड़कीले फूलों के गुच्छे लगते हैं. इसकी पत्तियां 5 से 7 सेंटीमीटर लंबी होती हैं. अगर इसके पत्तों को चबाया जाए, तो मुंह का स्वाद थोड़ी देर के लिए समाप्त हो जाता है, इसलिए इसे गुड़मार (Gudmar) कहा जाता है.
गुड़मार की खासियत (Specialty of gudmar)
एचएयू (CCS Haryana Agricultural University) के औषधीय, सुगंध एवं क्षमतावान फसलें संभाग का मानना है कि इसे औषधि को रूप में प्रयोग किया जा सकता है. इससे न सिर्फ मधुमेह या लिवर की बीमारी को दूर किया जा सकता है, बल्कि डायरिया, पेचिश, पेट दर्द आदि में भी काफी उपयोगी है. खास बात यह है कि गुड़मार के पत्तों के साथ-साथ जड़ों से भी काफी फायदा होता है. इसकी जड़ों के प्रयोग से वात रोग, पुराने बुखार को खत्म किया जा सकता है. किसान गुड़मार की खेती कर निर्यात कर सकते हैं. बता दें कि पिछले कई सालों में लगातार इसका निर्यात बढ़ा है.
कहां उगा सकते हैं गुड़मार (Where can I grow Gudmar)
देशभर में इसे कहीं भी उगा सकते हैं. यह हर प्रकार की मिट्टी में उग सकता है. हालांकि, इसके लिए हल्की दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है, जिसकी जल निकासी अच्छी हो. अभी इसकी खेती जंगलों में से एकत्रित किए गए पौधों से ही की जाती रही है. इसे बीज व कलम, दोनों से लगाना संभव है.
गुड़मार की खेती का समय (Gudmar cultivation time
इसके ताजा बीज जनवरी में एकत्रित किए जा सकते हैं. इसके बाद नर्सरी में 10 बाई 10 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाया जा सकता है. इसमें लगभग सप्ताहभर के बाद अंकुरण होने लगता है. जब नर्सरी में पौधों की ऊंचाई 15 सेंटीमीटर हो जाए, तो उन्हें पॉलीथिन में लगा देना चाहिए. बता दें कि इसकी कलम लगाने के लिए फरवरी, मार्च, सितंबर व अक्टूबर का समय उचित माना जाता है. यह एक बेलनुमा पौधा है, इसलिए इसके लिए बांस या किसी सहारे की आवश्यकता होती है.
जैविक खाद (Organic manure)
इसकी 1 हेक्टेयर खेती के लिए लगभग 5 टन प्रति एकड़ गोबर की गली सड़ी खाद पर्याप्त रहती है.
गुड़मार के लिए सिंचाई प्रबंधन (Irrigation Management for Gudmar)
इसकी खेती में अधिक पानी की आवश्यकता नहीं पड़ती है. अगर गर्मियों का दिन हैं, तो 15 दिन में और सर्दियों में 25 दिन में सिंचाई करना चाहिए.
निराई-गुड़ाई (Weeding hoeing)
इसके पौधे लगाने के 25 दिन बाद पहली गुड़ाई और दूसरी गुड़ाई 30 दिन बाद करना चाहिए.
गुड़मार की पैदावार (Production of Gudmar)
इसके पत्तों की औसत उपज 10 से 12 क्विंटल प्रति एकड़ प्राप्त हो सकती है. हर साल बाद इसके पत्ते तोड़ने के लिए तैयार हो जाते हैं. इसके पत्तों को अक्टूबर से फरवरी तक तोड़े और साफ करने के बाद छाया में सुखाएं. इसकी जड़ों को अप्रैल या मई में उखाड़ना चाहिए. ध्यान रहे कि जड़ों को धोकर साफ करते छोटे-छोटे भागों में बांटकर सुखाना है और इसको प्लास्टिक के थैलों में रखना है.