सिट्रोनेला घास की खेती कर आप अधिक लाभ कमा सकते हैं. दरअसल यह घास कई प्रकार से उपयोग में लायी जाती है. जहां एक ओर सौंदर्य के लिए क्रीम आदि बनाने में इसका उपयोग होता है तो वहीं दूसरी ओर मच्छर व मक्खियों को दूर भगाने के लिए इस घास की खास उपयोगिता है. यह काफी दिनों तक लगने वाली घास है जिसके फलस्वरूप किसान एक बार की लागत में कई गुना ज्यादा उत्पादन प्राप्त कर आसानी से अच्छा लाभ कमा सकते हैं.
इस घास की एक नई किस्म जोर लैब सी- 5 जावा जो कि असम के उत्तर-पूर्व विज्ञान एवं प्रौद्दोगिकी संस्थान द्वारा अनुसंधान की गई थी उसे खेती के लिए स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जारी की थी.
यह घास अधिक औषधीय गुण रखने के कारण आजकल काफी व्यापक पैमान पर खेती के अन्तर्गत किसानों को अधिक मुनाफा दे रही है. बताते हैं कि यह घास कम उर्वरा शक्ति वाली भूमि पर आसानी से उपजाई जा सकती है. इस घास से निकला हुआ तेल में मौजूद रसायन ही कई प्रकार के उत्पाद बनाने में लाभकारी होते हैं.
इसकी खेती भारत में पूर्वोत्तर राज्यों समेत यूपी, पश्चिम बंगाल मध्य प्रदेश के साथ-साथ दक्षिण में तमिलनाडू एवं केरल में बड़े स्तर पर की जाती है. यह बुवाई के तीन महीने बाद कटाई के लिए तैयार हो जाती है. एक कटाई के बाद बहुत जल्द कटाई के लिए तैयार होने के कारण यह साल में तीन से चार फसल देती है. जिससे सिंट्रोनेला व्यावसायिक खेती के लिए काफी लाभकारी है.
इस घास की एक एकड़ खेती से 80 किलोग्राम तक तेल प्राप्त किया जा सकता है जबकि इसकी तेल की कीमत डेढ़ हजार रुपए तक मिलती है.
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बताते चलें कि दैनिक जीवन में इस्तेमाल किए जाने वाले साबुन, क्रीम, आदि के लिए इस घास के तेल में मौजूद रसायन काफी लाभकारी होते हैं. मच्छर व मक्खी आदि को भगाए जाने के लिए आज कल बनने वाले उत्पादों के निर्माण में यह लाभदायक होती है.
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