भारत में वर्बेना (Verbena) फूल के बारे में बहुत कम ही लोग जानते हैं. लेकिन बगीचे में अगर इस फूल के पौधों को लगाएं तो काफी फायदा हो सकता है. वर्बेना फूल गर्मी के मौसम में खिलते हैं. यह आमतौर पर छोटे व पांच पंखुड़ियों वाले फूल होते हैं जो घने इलाकों में उगते हैं. फूल विभिन्न रंगों में पाए जा सकते हैं, जिनमें बैंगनी, गुलाबी, लाल, सफेद और नीले रंग शामिल हैं. यह फूल लोगों को काफी आकर्षित करते हैं. आइए, इस फूल के बारे में विस्तार से जानें.
धूप की होती है आवश्यकता
वर्बेना फूल के पौधे बारहमासी होते हैं. उनमें फैलने या पीछे की तरफ बढ़ने की आदत होती है. इस फूल को सजावटी तौर पर जमीन को ढकने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है. वर्बेना फूल गर्मियों की शुरुआत से लेकर पतझड़ तक प्रचुर मात्रा में खिलते हैं. वर्बेना फूल को पनपने के लिए पूरी तरह से धूप की आवश्यकता होती है. वर्बेना फूल मधुमक्खियों, तितलियों और हमिंगबर्ड जैसे पॉलिनेटर्स के लिए अत्यधिक आकर्षक होते हैं. वर्बेना की कई लोकप्रिय किस्में हैं, जिनमें वर्बेना बोनारिएंसिस, वर्बेना रिगिडा और वर्बेना हाइब्रिड शामिल हैं. हर किस्म के रंग और विशेषताएं भिन्न हो सकती हैं.
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यहां होता है उपयोग
वर्बेना पौधे को बगीचों और वाणिज्यिक लैंडस्केपिंग के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसकी सुंदरता और चमकदार फूल इसे आकर्षक बनाते हैं. वर्बेना के फूल बगीचों को रंगीन बनाने के लिए अच्छा विकल्प हैं. कुछ प्रकार के वर्बेना को खाद्य में उपयोग किया जाता है. माना जाता है कि इससे भोजन काफी स्वादिष्ट बनता है. कुछ वर्बेना को पानी में उबालकर और उसे ठंडा करके औषधि की तरह पिया भी जाता है. इसके अलावा, वर्बेना के फूल में औषधीय गुण भी पाए जाते हैं. यह नींद को बढ़ाने, तनाव को कम करने और मनोवैदिक तनाव के लिए उपयोगी साबित हो सकता है. हालांकि, इसका इस्तेमाल किसी चिकित्सा विशेषज्ञ द्वारा सलाह दिए जाने के बाद ही करना चाहिए.
भारत में यहां होता है वर्बेना फूल का उत्पादन
वर्बेना के पौधों को सभी इलाके में लगाया जा सकता है. भारत में प्रमुख तौर पर इसे उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक में उगाया जाता है. इस फूल को यहां से विदेशों में भी निर्यात किया जाता है. बड़ी-बड़ी कंपनियां इस फूल के लिए कभी-कभी मुंह मांगी कीमत भी देने को तैयार हैं.
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