शिमला मिर्च भारत की एक लोकप्रिय सब्जी है. सिर्फ भोजन ही नहीं बल्कि उत्पादन की दृष्टि से भी यह खास है. अलग-अलग भाषाओं में इसकेकई नाम है, कुछ लोगों इसे ग्रीन पेपर कहते हैं, तो कुछ इसे स्वीट पेपर के नाम से जानते हैं. आम मिर्च की तुलना में इसका आकार और तीखापन इसको अलग बनाता है.
शिमला मिर्च में विटामिन ए और सी की काफी मात्रा होती है, इसलिए सेहत की दृष्टि से भी इसको फायदेमंद माना गया है. कम जमीन और कम लागत में अधिक उपज देने वाली इसकी खेती किसानों की पहली पसंद बनती जा रही है. चलिए आपको बताते हैं कि कैसे आप भी वैज्ञानिक तरीके से इसकी खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
उपयुक्त जलवायु व मिट्टी
शिमला मिर्च की खेती नर्म आर्द्र जलवायु में सबसे लाभदायक साबित होती है. इसकी ज्यादा पैदावार के लिए लगभग 21 से 25 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान उपयुक्त है. ठंड और पालेसे इसको खास बचाने की जरूरत है. ठंड के प्रभाव में आकार इसके पौधों पर फूल आने बंद होने लगते हैं. वहीं इसके लिए चिकनी दोमट मिटटी सबसे बेहतर है. मिट्टी का पी.एच.मान लगभग 6 से 6.5 होना चाहिए और खेतों में जल निकासी की व्यवस्था होनी चाहिए.
बीज बुवाई
इसकी खेती साल में तीन बार की जा सकती है. आप चाहें तो जून से जुलाई तक इसकी फसल कर सकते हैं, इसी तरह अगस्त से सितम्बर और नवंबर से दिसंबर तक की इसकी खेती की जा सकती है.
नर्सरी तैयार करना
शिमला मिर्च की खेती के लिए पौधशाला का निर्माण जरूरी है. भूमि से लगभग 10 से 15 सेंटीमीटर ऊपर क्यारियां बनाते हुए हर क्यारी में लगभग 2 से 3 टोकरी गोबर खाद डालें.
पौध रोपण एवं सिंचाई
इसकी खेती के लिए लगभग 10 से 15 सेंटीमीटर लंबे और 4 से 5 पत्तियों वाले पौधोंका उपयोग करें. ये लगभग 45 से 50 दिनों में तैयार हो जाते हैं. पहली सिंचाई पौधा रोपण के एक दिन पहले क्यारियों में की जानी चाहिए, उसके बाद जरूरत के अनुसार सिंचाई होनी चाहिए. गर्मियों में 1 सप्ताह और ठंड में लगभग 10 से 15 दिनों में सिंचाई की जा सकती है. बरसात के दिनों में जल निकास की व्यवस्था का होना जरूरी है.
फलों की तुड़ाई
शिमला मिर्च की खती करने वक्त फलों की तुड़ाई पौधा रोपण के करीब 55 से 70 दिन बाद शुरु करनी चाहिए. इस काम को प्राय 90 से 120 दिनों तक किया जाता है.
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