भारत में अमरूद को एक लोकप्रिय फल माना जाता है. अलग-अलग राज्यों में इसकी अलग-अलग किस्मों की खेती होती है. इसके आर्थिक व व्यवसायिक महत्व को नकारा नहीं जा सकता और यही कारण है कि किसानों का रुझान इसकी तरफ बहुत तेजी से बढ़ रहा है. लेकिन अमरूद की खेती में सबसे बड़ी समस्याएं कीटों के प्रकोप की आती है. ऐसे में कीटों और उनसे होने वाले रोगों के बारे में जानना जरूरी है. चलिए आज हम आपको बताते हैं कि कैसे आप अमरूद को कीटों के प्रकोप से सुरक्षित रख सकते हैं.
फल मक्खी
फल मक्खी अमरूद की खेती को बड़े स्तर पर प्रभावित करती है. ये छोटी अवस्था में ही अमरूदों पर बैठकर अपना अंडा छोड़ देती है. इसके अंडे बाद में जाकर सुंडी में बदल जाते हैं. इसके प्रभाव में अमरूदों में सड़न की समस्या होने लगती है.
उपचार
इसके उपचार के लिए मिथाइल यूजोनिल ट्रेप पेड़ों पर 5 से 6 फीट की ऊंचाई पर लगाना चाहिए. फल मक्खी ट्रेप मक्खियों को आकर्षित करने के लिए विशेष प्रकार की गंध छोड़ती है. इसको कली से फल बनने के समय पर ही बगीचों में लगाना चाहिए.
छाल भक्षक कीट
इस कीट का प्रकोप अमरूदों पर पड़ता है. इसका अंदाजा पौधों पर अपशिष्ट, लकड़ी के टुकड़ों तथा अनियमित सुरंग की उपस्थिति से लगाया जा सकता है. इसकी लटे अमरूद की छालों एवं शाखाओं पर छेद करके अंदर से रेशमी धागों का निर्माण करती है. इससे प्रभावित होकर पौधा कमजोर होने लगता है और शाखाएं सूख जाती है.
उपचार
इन कीटों से छुटकारा पाने के लिए डाईक्लोरोवास से भीगे रुई का फोहा या क्लोरोपायरीफॉस को इंजेक्शन के रूप में उपयोग करना है.
फल बेधक कीट
आम तौर पर माना जाता है कि फल बेधक कीट अरंडी फसल को नुकसान पहुंचाता है. लेकिन हम आपको बता दें कि ये बहुभक्षी कीट है और अमरूदों पर भी इसका हमला होता रहता है.
उपचार
सबसे पहले तो प्रभावित फलों को एकत्र कर उन्हें नष्ट कर देना चाहिए. इसके बाद कार्बोरील या इथोफेनप्रोक्स का उपयोग किया जा सकता है. ध्यान रहे कि छिड़काव के 15 दिन तक फलों की तुड़ाई न की जाएं.
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