भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान से विकसित पूसा सदाबहार किस्म के तैयार होने में मात्र 60 से 70 दिनों का समय लगता है। मिर्च की यह किस्म एक हेक्टेयर में 40 कुंतल की पैदावार देती है, जो मिर्च की किसी भी किस्म से कहीं अधिक है। यूपी में मौजूदा समय में किसान इस किस्म की नर्सरी तैयार कर सकते हैं।
पूसा से विकसित की गई मिर्च की पूसा सदाबहार किस्म देश के किसी भी हिस्से में उगाई जा सकती है। इस खास किस्म के बारे में पूसा के वनस्पति विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. प्रीतम कालिया बताते हैं, अगर मिर्च की शॉर्ट टाइम वराईटी की बात की जाए तो पूसा सदाबदार मिर्च सबसे खास मानी जाती है। इस किस्म की बुवाई पूरे भारत में की जाती है, इसकी नर्सरी जून से जुलाई माह तक तैयार की जाती है। यह किस्म एक हेक्टेयर में करीब 40 कुंतल की पैदावार देती है।’’
पूसा सदाबहार किस्म की मिर्च छह से आठ सेमी. लंबी होती है और इस किस्म से करीब एक गुच्छे में 12 से 14 मिर्च पैदा होती हैं। यह किस्म रोपाई के 60 दिन बाद तैयार हो जाती है। इस किस्म की खेती में एक हेक्टेयर खेत में 150 ग्राम बीज की ज़रूरत पड़ती है।
डॉ. प्रीतम कालिया ने आगे बताया,“पूसा सदाबहार मिर्च में सिंचाई की आवश्यकता बेहद ज़रूरी होती है। बुवाई से सात दिन के अंतराल पर सिंचाई की जाती है। इसलिए बारिश के समय ही इस मिर्च की नर्सरी तैयार करना बेहद असरदार माना गया है। यह समय इस किस्म की बुवाई के लिए बिलकुल सही है।’’
पूसा सदाबहार मिर्च में खरपतवार व कीट नियंत्रण
पूसा सदाबहार मिर्च की नर्सरी तैयार करने के बाद सबसे ज़रूरी होता है फसल में खरपतवार नियंत्रण। फसलों बोने के 25 से 30 दिनों के बाद खेत में अनावश्यक तौर पर उगे खरपतवार को हटाना बेहद ज़रूरी होता है। इस किस्म में फल छेदक, थ्रिप्स और माहू जैसे कीट का खतरा रहता है। कीटों के अधिक प्रभाव से फसल को बचाने के लिए 15 ग्राम एसीफेट या 10 एमएल इमीडाक्लोप्रिड दवा को 15 लीटर पानी में घोलकर फसल पर छिड़काव करना चाहिए।
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