पशुपालकों को गर्मियों में हरे चारे की सबसे ज्यादा परेशानी होती है। बरसीम, मक्का, ज्वार जैसी फसलों से तीन-चार महीनों तक ही हरा चारा मिलता है। ऐसे में पशुपालकों को एक बार नेपियर घास लगाने पर चार-पांच साल तक हरा चारा मिल सकता है।
इसमें ज्यादा सिंचाई की जरूरत भी नहीं पड़ती है। गन्ने की तरह दिखने वाली नेपियर घास लगाने के महज 50 दिनों में विकसित होकर अगले चार से पांच साल तक लगातार दुधारू पशुओं के लिए पौष्टिक आहार की जरूरत को पूरा कर सकती है।
पशुपालन विभाग के उप निदेशक वीके सिंह नेपियर घास के बारे में बताते हैं, “प्रोटीन और विटामिन से भरपूर नेपियर घास पशुओं के लिए एक उत्तम आहार की जरूरत को पूरा करती है। दुधारू पशुओं को लगातार यह घास खिलाने से दूध उत्पादन में भी वृद्धि होती है और साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
हाइब्रिड नेपियर की जड़ को तीन-तीन फीट की दूरी पर रोपित किया जाता है। इससे पहले खेत की जुताई और समतलीकरण करने के बाद घास की रोपायी की जाती है और रोपाई के बाद सिंचाई की जाती है। घास रोपण के मात्र 50 दिनों बाद यह हरे चारे के रूप में विकसित हो जाती है।
एक बार घास के विकसित होने के बाद चार से पांच साल तक इसकी कटाई की जा सकती है और पशुओं के आहार के रूप में प्रयोग की जा सकती है। नेपियर घास का उत्पादन प्रति एकड़ लगभग 300 से 400 कुंतल होता है। इस घास की खासियत यह होती है कि इसे कहीं भी लगाया जा सकता है।
एक बार घास की कटाई करने के बाद उसकी शाखाएं पुनः फैलने लगती हैं और 40 दिन में वह दोबारा पशुओं के खिलाने लायक हो जाती है। प्रत्येक कटाई के बाद घास की जड़ों के आसपास हल्का यूरिया का छिड़काव करने से इसमें तेजी से बढ़ोतरी भी होती है। वैसे इसके बेहतर उत्पादन के लिए गोबर की खाद का छिड़काव भी किया जाना चाहिए।
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