AIF Scheme: किसानों के लिए वरदान है एग्री इंफ्रा फंड स्कीम, सालाना कर सकते हैं 6 लाख रुपये तक की बचत, जानें कैसे करें आवेदन स्टार 33 मक्का: कम निवेश में बंपर उत्पादन की गारंटी इस किस्म के दो किलो आम से ट्रैक्टर खरीद सकते हैं किसान, जानें नाम और विशेषताएं भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! आम की फसल पर फल मक्खी कीट के प्रकोप का बढ़ा खतरा, जानें बचाव करने का सबसे सही तरीका
Updated on: 26 June, 2023 12:00 AM IST
जरुर जानें ग्राफ्टिंग की यह पांच तकनीकें

हम हमेशा चाहते हैं कि हमारे छोटे से बाग़ में बहुत से फल-फूल के पौधे हों लेकिन जगह की कमी के कारण आप कुछ ही पौधों को अपने बगीचे में जगह दे पाते हैं. लेकिन ग्राफ्टिंग एक ऐसी तकनीक है जिसके चलते हम एक ही फल की बहुत सी किस्मों को एक ही पौधे में लगा सकते हैं इससे हमको कम जगह में बहुत से फलों का स्वाद एक ही बगीचे से मिल जाता है.

वेनरी ग्राफ्टिंग (Veneer Grafting): इस तकनीक में हम आम के पौधे में छेद करते हैं. जिसके बाद दूसरे पेड़ की कलम को कुछ इस प्रकार सेट करते हैं कि वह उस किए गए छेद में पूरी तरह से फिट हो जाए. पूरी तरह से सेट हो जाने के बाद आपको इसको उस छेद के आस-पास अच्छी तरह से बंद कर देना है. कुछ ही दिनों में आप इसमें एक नए किस्म के आम को देख पाओगे .  

विप ग्राफ्टिंग (Whip Grafting): इस तकनीक में आपको एक पेड़ की छाल को छील कर ग्राफ्टिंग करनी पड़ती है. जिसके लिए आपको पूरी सावधानी के साथ काम करना होता है. आपको इस ग्राफ्टिंग में सबसे पहले एक आम के पेड़ की छाल को थोड़ा छील कर उसमें दूसरे आम के पौधे की जड़ समेत कुछ इस तरह से बांधना होता है कि उसमें बाहरी हवा भी न लगे. सही तरीके से बांधे गए पौधों को कुछ ही समय बाद आप अच्छी तरह से बढ़ता हुआ देखेंगे.

बड ग्राफ्टिंग (Bud Grafting): इस तकनीक में हमको सबसे ज्यादा मौसम का ध्यान देना होता है. यह ग्राफ्टिंग मुख्य रूप से जुलाई से सितंबर के मध्य की जाती है. इसमें दूसरे पौधे की कलम से सभी पत्तियों को हटा कर इसमें सेट करके बाँध दिया जाता है. इसकी देखभाल भी आपको समय-समय पर करते रहना होगा.

साइअन ग्राफ्टिंग (Scion Grafting): इस तकनीक में, एक प्रजननी पौधे (स्कूटल) का चयन किया जाता है और इसका ऊपरी हिस्सा काट दिया जाता है. जिसके बाद हम एक अन्य पौधे की ग्राफ्टिंग उस कटे हुए स्थान पर करते हैं. साथ ही इसको सही तरीके से बांध देते है. 

टॉप वेनीर ग्राफ्टिंग (Top Veneer Grafting): यह ग्राफ्टिंग करने के बाद पुराने पौधे के स्थान पर एक नए पौधे को स्थापित कर दिया जाता है. लेकिन यह प्रक्रिया पूरी तरह से ग्राफ्टिंग पर ही आधारित होती है. जिसमें कुछ समय बाद पुराने पेड़ को हटा दिया जाता है और उसके स्थान पर नए पेड़ को ग्राफ्टिंग की सहयता से बड़ा किया जाता है.

ये भी पढ़ें: खाना व सजावट से लेकर इलाज तक में काम आता है ‘गुलाब’, जानें किसान कैसे करते हैं मोटी कमाई

ये थीं कुछ आम ग्राफ्टिंग विधियाँ जो आम के पेड़ों में प्रयोग होती हैं. ग्राफ्टिंग के अलावा भी अन्य विधियाँ भी मौजूद हैं, जो आम के पेड़ों के लिए विशेष आवश्यकताओं और परिस्थितियों पर आधारित हो सकती हैं.

English Summary: Grafting: Do grafting in mango plant with these five techniques, you will be able to plant many varieties on the same tree
Published on: 26 June 2023, 06:28 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now