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मध्य प्रदेश में एम्ब्रियों ट्रांफर तकनीक का उपयोग कर पैदा हुई जुड़वां बछियां

देश में बड़ी संख्या में किसान अपनी आजीविका के लिए खेती के साथ – साथ पशुपालन पर निर्भर होते हैं. वहीँ पशुओं में अच्छी नस्ल के लिए एवं दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार के साथ – साथ कई वैज्ञनिक भी कई तरह की प्रयास करते रहते हैं.

स्वाति राव
स्वाति राव
Embriyo Transfer Techniche
Embriyo Transfer Techniche

देश में बड़ी संख्या में किसान अपनी आजीविका के लिए खेती के साथ – साथ पशुपालन पर निर्भर होते हैं. वहीँ पशुओं में अच्छी नस्ल के लिए एवं दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार के साथ – साथ कई वैज्ञनिक भी कई तरह की प्रयास करते रहते हैं.

इसी क्रम में मध्यप्रदेश की वेटेरनरी यूनिवर्सिटी ने पशुओं में अच्छे नस्ल की सुधार के लिए एम्ब्रियों ट्रांफर तकनीक विकसित की है. जो पशुओं में नस्ल सुधार का लिए बहुत लाभदायक साबित होगी. आइये क्या है यह तकनीक जानने के लिए पढ़िए इस लेख को-

दरअसल, नाना जी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर, मध्य प्रदेश ने एम्ब्रियों ट्रांफर तकनीक की मदद से जुड़वां बछिया को सफलतापूर्वक जन्म दिया है. बताया जा रहा है कि यह तकनीक पशुधन की गुणवत्ता में सुधार के उद्देश्य के लिए किया गया. इस तकनीक में बेहतर नस्ल के मवेशियों के भ्रूण और वीर्य का उपयोग करके गायों को प्रजनन किया जाता है.

माना जा रहा है कि यह तकनीक भारत में पशुपालन में क्रांति लाएगी. वैज्ञानिकों का कहना है कि हम गौशाला से कुछ बीमार गायों को लाए और साहीवाल गाय के जीन प्लाज्म का उपयोग करके भ्रूण प्रत्यारोपण किया. जिसके परिणामस्वरूप इस तकनीक से जुड़वां बछियों का जन्म हुआ.

इस खबर को भी पढ़ें - गाय की इन 10 नस्लों से पशुपालक कमा सकते हैं अच्छा मुनाफा.

नौ महीने पहले विकसित की थी यह तकनीक (This Technology Was Developed Nine Months Ago)

वैज्ञानिकों का कहना है कि यह एंब्रियो तकनीक की नौ महीने पहले से शुरू की थी जिसमें उन्होंने 8 गायों पर यह तकनीक को अपनाया गया है, जिसमें एक देशी गाय में दो साहीवाल भ्रूणों का प्रत्यारोपित किया गया था. जिसमे गाय ने हाल ही में जुड़वां साहीवाल बछिया को जन्म दिया.

एम्ब्रियों ट्रांफर तकनीक से लाभ (Benefits Of Embryo Transfer Technology)

आपको बता दें जो स्थानीय गायों होती हैं उनका दूध उत्पादन कम होता है. यदि हम अपनी स्थानीय गायों को यहां लाते हैं और इस तकनीक का उपयोग करके साहीवाल बछियों का जन्म होगा जिससे आने वाले समय में भारी सुधार होगा, और दूध उत्पादन लगभग 13-14 लीटर तक बढ़ सकता है.

English Summary: twin calves born using embryo transfer technique in Madhya Pradesh Published on: 28 October 2021, 06:32 IST

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