
देश में जिस तरह से दूध की मांग बढ़ती जा रही है, उसे देखते हुए किसान खेती के साथ-साथ पशुपालन की ओर भी तेजी से बढ़ रहे हैं। आमतौर पर किसान भैंस पालन को प्राथमिकता देते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि भैंस गाय की तुलना में ज़्यादा दूध देती है। वह कहीं भी रह लेती है. किसी भी प्रकार का चारा खा लेती है. लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसी देशी और विदेशी गाय की नस्लों के बारे में जानकारी देंगे, जिनकी मदद से किसान बेहतर दूध उत्पादन कर सकते हैं और मोटा मुनाफा कमा सकते हैं।
देशी गाय की टॉप 3 नस्लें
1. साहीवाल नस्ल
साहीवाल गाय भारत की सबसे अधिक दूध देने वाली देशी नस्लों में से एक है। यह प्रतिदिन औसतन 15 से 25 लीटर तक दूध दे सकती है। इसकी प्रमुखता पंजाब और राजस्थान के क्षेत्रों में पाई जाती है। यह नस्ल अपने उच्च दूध उत्पादन और अनुकूल स्वभाव के कारण पशुपालकों के बीच काफी लोकप्रिय है।
2. गिर नस्ल
गिर गाय गुजरात के गिर जंगलों से संबंधित एक प्रमुख देशी नस्ल है। इसकी पहचान इसके लंबे, पान के पत्ते जैसे कानों और ऊपर की ओर मुड़े हुए सींगों से की जा सकती है। यह नस्ल प्रतिदिन 10 से 20 लीटर तक दूध देती है और अपने A2 क्वालिटी दूध के लिए जानी जाती है, जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी है।
3. हरियाणा नस्ल
हरियाणा नस्ल की गाय एक बहुपयोगी नस्ल है जो न सिर्फ दूध देती है, बल्कि खेतों में काम करने के लिए भी उपयुक्त मानी जाती है। यह प्रतिदिन 10 से 15 लीटर तक दूध दे सकती है। यह नस्ल अपने मज़बूत शरीर और श्रमशील स्वभाव के लिए किसानों की पहली पसंद बनी हुई है।
गोकुल योजना क्या है?
सरकार ने पशुपालकों के लिए गोकुल योजना की शुरुआत की थी, जिसे राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM) के नाम से भी जाना जाता है। इस योजना की शुरुआत वर्ष 2014 में की गई थी, जिसका उद्देश्य देशी गायों की नस्लों का संरक्षण और दूध उत्पादन की क्षमता में वृद्धि करना है।
इस योजना के तहत कृत्रिम गर्भाधान, सैक्स-सॉर्टेड सीमेन और आईवीएफ तकनीक जैसी वैज्ञानिक विधियों को अपनाकर दूध उत्पादन को बढ़ाया गया है, जिससे सीमांत और छोटे किसानों को भी लाभ मिल रहा है।
विदेशी गाय की प्रमुख नस्लें
अगर किसान विदेशी नस्ल की गायों का पालन करना चाहते हैं, तो वे इन विकल्पों पर विचार कर सकते हैं:
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होल्स्टीन फ्रिज़ियन (HF): एक बार में 20 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है।
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जर्सी गाय
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होल्स्टीन फ्रिज़ियन-क्रॉस
इन नस्लों का पालन लाभदायक होता है, लेकिन इनकी देखभाल और रखरखाव की लागत अपेक्षाकृत अधिक होती है।
ऐसे में अगर आप डेयरी फार्मिंग से जुड़े हैं या इससे जुड़ने की योजना बना रहे हैं, तो गाय की इन देशी नस्लों को अपनाकर कम लागत में ज़्यादा दूध उत्पादन और अधिक मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। सरकार की योजनाओं और आधुनिक तकनीकों का लाभ उठाकर पशुपालक न केवल अपनी आय बढ़ा सकते हैं, बल्कि देश में दूध उत्पादन में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
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